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Anuradha T Gautam 6280
Anuradha T Gautam 6280
#पिता-#पुत्री 🧔🏻I❤️U👩🏻🎨 चाहे कुछ भी कहो नाम अलग हो सकते हैं पर भावनाएं एक होती हैं कहते हैं की एक बेटी जितना अपने पिता के करीब होती है उतने मां के करीब नहीं होती शायद यह सच भी है क्योंकि हम भी जब छोटे थे तो मां से ज्यादा पापा को प्यार करते थे हमारी बेटी भी हमसे ज्यादा अपने पापा को प्यार करती है कहीं भी जाएंगे तो हमारे साथ फोटो खिंचवावाये या ना खींचवाए अपने पापा के साथ जरूर खिंचवाती है या तो अकेले या हम दोनो के बीच में आ जाती है कहती है पापा बस मेरे हैं जब छोटी थी तब भी अगर उसके पापा किसी और बच्चे को प्यार करते थे तो गुस्सा हो जाती थी उसकी आदत अब भी नहीं बदली है वह चाहती है कि उसके पापा बस उससे ही प्यार करें किसी और से नहीं ...🖊️#अनु ॲजुरि🤦🏻🙆♀️ 👩🏻🎨सब #बेटियां एसी ही होती हैं👩🏻🎨 🧔🏻🧔🏻🧔🏻🧔🏻❣️🧔🏻🧔🏻🧔🏻🧔🏻 ©riddhi anuradha gautam #पिता-#पुत्री 🧔🏻I❤️U👩🏻🎨 चाहे कुछ भी कहो नाम अलग हो सकते हैं पर भावनाएं एक होती हैं कहते हैं की एक बेटी जितना अपने पिता के करीब होती है
अमित चौबे AnMoL
#कली किसी फूल की हो या हो किसी पिता के आंगन के कमबख्त #कलियुग दोनो को डरा रहा हैं, #कलि -कलयुग #कली -पुष्प की कली #कलयुग #पिता #पुत्री #अनमोल_तुम #kaliyuga
vibrant.writer
#पुत्री शादी ही किस्मत हो जैसे, बिना सोचे दान कर डाला है दहेज को पिता संभाले, उसने चिंता को संभाला है। #womensday #स्त्री #feminism #vibrant_writer कलम बोल रही है। #pritliladabar #daughter #yqdidi #yqhindi
isha rajput
दुनिया का सबसे बेहतरीन रिश्ता है पिता और पुत्री का जिसकी निर्मलता से प्रत्येक पुत्री राजकुमारी और पिता महाराज सा अनुभव करता है । ©Isha Rajput #पिता #पुत्री #family #Nojoto #my #Tu #Love #thought #FathersDay2021 Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" Riya Saini ankijoshi ᖴOUᒍI SAAB UK06☀️ k Smile
priyanka
माता शैलपुत्री नव दूर्गांपैकी प्रथम दुर्गा तू l हिमालय पुत्री शिव अर्धांगिनी तू ll१ll साक्षात शक्ती स्वाभिमानी तू l अखंड तप करुनी शिव वरीला तू ll२ll दक्ष पुत्री होता अपमानित l देह त्यागिला हवन अग्नीत ll३ll पुनर्जन्म घेतला साक्षात पार्वती तू l शिव प्रिया तेजस्विनी तू ll४ll कमल पुष्प एक हाती दुसऱ्या त्रिशूल l प्रसन्न मुद्रा तुझी हेमवती माता सकल ll५ll ✍️ प्रियंका सोनवणे
Modern Danoda
❤️हृदय परिवर्तन❤ 🌷एक राजा को राज भोगते काफी समय हो गया था । बाल भी सफ़ेद होने लगे थे । एक दिन उसने अपने दरबार में उत्सव रखा और अपने गुरुदेव एवं मित्र देश के राजाओं को भी सादर आमन्त्रित किया । उत्सव को रोचक बनाने के लिए राज्य की सुप्रसिद्ध नर्तकी को भी बुलाया गया । राजा ने कुछ स्वर्ण मुद्रायें अपने गुरु जी को भी दीं, ताकि नर्तकी के अच्छे गीत व नृत्य पर वे उसे पुरस्कृत कर सकें । सारी रात नृत्य चलता रहा । ब्रह्म मुहूर्त की बेला आयी । नर्तकी ने देखा कि मेरा तबले वाला ऊँघ रहा है, उसको जगाने के लिए नर्तकी ने एक दोहा पढ़ा "बहु बीती, थोड़ी रही, पल पल गयी बिताई । एक पलक के कारने, ना कलंक लग जाए ।" अब इस दोहे का अलग-अलग व्यक्तियों ने अपने अनुरुप अर्थ निकाला । तबले वाला सतर्क होकर बजाने लगा । जब यह बात गुरु जी ने सुनी । गुरु जी ने सारी मोहरें उस नर्तकी के सामने फैंक दीं । वही दोहा नर्तकी ने फिर पढ़ा तो राजा की लड़की ने अपना नवलखा हार नर्तकी को भेंट कर दिया । उसने फिर वही दोहा दोहराया तो राजा के पुत्र युवराज ने अपना मुकट उतारकर नर्तकी को समर्पित कर दिया । नर्तकी फिर वही दोहा दोहराने लगी तो राजा ने कहा - "बस कर, एक दोहे से तुमने वेश्या होकर सबको लूट लिया है ।" जब यह बात राजा के गुरु ने सुनी तो गुरु के नेत्रों में आँसू आ गए और गुरु जी कहने लगे - "राजा इसको तू वेश्या मत कह, ये अब मेरी गुरु बन गयी है । इसने मेरी आँखें खोल दी हैं । यह कह रही है कि मैं सारी उम्र जंगलों में भक्ति करता रहा और आखिरी समय में नर्तकी का मुज़रा देखकर अपनी साधना नष्ट करने यहाँ चला आया हूँ, भाई मैं तो चला ।" यह कहकर गुरु जी तो अपना कमण्डल उठाकर जंगल की ओर चल पड़े । राजा की लड़की ने कहा - "पिता जी मैं जवान हो गयी हूँ । आप आँखें बन्द किए बैठे हैं, मेरी शादी नहीं कर रहे थे और आज रात मैंने आपके महावत के साथ भागकर अपना जीवन बर्बाद कर लेना था । लेकिन इस नर्तकी ने मुझे सुमति दी है कि जल्दबाजी मत कर कभी तो तेरी शादी होगी ही । क्यों अपने पिता को कलंकित करने पर तुली है ?" युवराज ने कहा - "पिता जी आप वृद्ध हो चले हैं, फिर भी मुझे राज नहीं दे रहे थे । मैंने आज रात ही आपके सिपाहियों से मिलकर आपका कत्ल करवा देना था । लेकिन इस नर्तकी ने समझाया कि पगले आज नहीं तो कल आखिर राज तो तुम्हें ही मिलना है, क्यों अपने पिता के खून का कलंक अपने सिर पर लेता है । धैर्य रख ।" जब ये सब बातें राजा ने सुनी तो राजा को भी आत्म ज्ञान हो गया । राजा के मन में वैराग्य आ गया । राजा ने तुरन्त फैंसला लिया - "क्यों न मैं अभी युवराज का राजतिलक कर दूँ ।" फिर क्या था, उसी समय राजा ने युवराज का राजतिलक किया और अपनी पुत्री को कहा - "पुत्री दरबार में एक से एक राजकुमार आये हुए हैं । तुम अपनी इच्छा से किसी भी राजकुमार के गले में वरमाला डालकर पति रुप में चुन सकती हो ।" राजकुमारी ने ऐसा ही किया और राजा सब त्याग कर जंगल में गुरु की शरण में चला गया । यह सब देखकर नर्तकी ने सोचा - "मेरे एक दोहे से इतने लोग सुधर गए, लेकिन मैं क्यूँ नहीं सुधर पायी ?" उसी समय नर्तकी में भी वैराग्य आ गया । उसने उसी समय निर्णय लिया कि आज से मैं अपना बुरा धंधा बन्द करती हूँ और कहा कि "हे प्रभु ! मेरे पापों से मुझे क्षमा करना । बस, आज से मैं सिर्फ तेरा नाम सुमिरन करुँगी ।" समझ आने की बात है, दुनिया बदलते देर नहीं लगती । एक दोहे की दो लाईनों से भी हृदय परिवर्तन हो सकता है । बस, केवल थोड़ा धैर्य रखकर चिन्तन करने की आवश्यकता है । 🌷प्रशंसा से पिंघलना मत, आलोचना से उबलना मत, नि:स्वार्थ भाव से कर्म करते रहो, क्योंकि.... इस धरा का, इस धरा पर, सब धरा रह जाएगा।। 🌸 ❤️हृदय परिवर्तन❤ 🌷एक राजा को राज भोगते काफी समय हो गया था । बाल भी सफ़ेद होने लगे थे । एक दिन उसने अपने दरबार में उत्सव रखा और अपने गुरुदेव एवं मित्र देश के राजाओं को भी सादर आमन्त्रित किया । उत्सव को रोचक बनाने के लिए राज्य की सुप्रसिद्ध नर्तकी को भी बुलाया गया । राजा ने कुछ स्वर्ण मुद्रायें अपने गुरु जी को भी दीं, ताकि नर्तकी के अच्छे गीत व नृत्य पर वे उसे पुरस्कृत कर सकें । सारी रात नृत्य चलता रहा । ब्रह्म मुहूर्त की बेला आयी । नर्तकी ने देखा कि मेरा तबले वाला ऊँघ रहा है, उसको जगाने के लि
Shweta Dewangan Mahima
प्रिय पुत्री तेरा मेरी कोख में आना सहसा मेरे जीवन मे समाना हतप्रभ हर्षित करता मुझको यूँ तेरा मेरा बन जाना तू खिली कली सी ,पुष्प बनी झोली 'ख़ुशी' से सराबोर किया तू लहर लहर लहराई जो ममत्व सागर हिलोर लिया मैं धीरे धीरे माँ बनती गई तेरे पाँव की रुनझुन आहट से तू चलती रही बढ़ती रही गमकती रही मुस्कुराहट से गढ़ नया कुछ आगे बढ़ जा विश्व में तेरा यश फैले तू जिस पथ पर भी बढ़ती हो उस पथ का तुझे साम्राज्य मिले जन्मदिवस है कुछ वादे कर तू रौशन ये संसार करेगी मानव जीवन व्यर्थ न हो ऐसा सार्थक प्रयास करेगी तू दुर्गा बन तू लक्ष्मी बन तू सीता का प्रतिमान भी हो तेरा "होना" यूँ चमके कि भारत का स्वाभिमान भी हो स्त्री हो तुम स्त्री भी बनो सहज सरल सी शोभित हो पुरुष कहीं नहीं बाधक है जो अपना तेज सुशोभित हो गर्व मेरा ,पर पुत्री देश की आर्यावर्त की "शौर्या" बनो सतत उन्नति करो सदा हर क्षेत्र की "सौंदर्या" बनो प्रिय पुत्री शौर्या को जन्मदिवस की शुभकामनाओं सहित...चंद पंक्तियाँ सस्नेह... 'महिमा' #महिमा
Sanu Mishra
"वेदान्तप्रतिबोधिता विजयते विन्ध्याचलाधीश्वरी" वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्द्वकृत शेखराम। वृषारूढ़ा शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम॥ श्री दुर्गा का प्रथम रूप श्री शैलपुत्री हैं। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण ये शैलपुत्री कहलाती हैं। नवरात्र के प्रथम दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है। गिरिराज हिमालय की पुत्री होने के कारण भगवती का प्रथम स्वरूप शैलपुत्री का है, जिनकी आराधना से प्राणी सभी मनोवांछित फल प्राप्त कर लेता है। नवरात्री दुर्गा पूजा पहले तिथि – माता शैलपुत्री की पूजा
Nitish Sagar
सामा चकेवा मिथिलांचल का एक पर्व Read in caption सामा चकेवा मिथिलांचल क्षेत्र में प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को दर्शाता है। जिस तरह रक्षाबंधन, भाईदूज भाई-बहन का त्योहार होता है उसी तरह ये भी पर्व है। सामा- चकेवा का उत्सव पारंपरिक लोकगीतों से जुड़ा है |यह उत्सव मिथिला के प्रसिद्ध संस्कृति और कला का एक अंग है जो सभी समुदायों के बीच व्याप्त सभी बाधाओं को तोड़ता है। यह उत्सव कार्तिक शुक्ल पक्ष से सात दिन बाद शुरू होता है | आठ दिनों तक यह उत्सव मनाया जाता है , और नौवे दिन बहने अपने भाइयों को धान की नयी फसल की चुरा एव