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अदनासा-
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भारतीय राजनीति में मुर्गा लड़ाने का महत्वाकांक्षी परियोजना, सफ़लतम दृढ़ निश्चय एवं संकल्प के साथ प्रगति पर है, मेहरबानी करके संयमित मन एवं सावधान दिमाग से सोचना। वैसे तो हर मानव जाति जब सुबह शौच को जाता है तो वह केवल दुर्गंध ही फेलाता है सुगंध नही ©अदनासा- #हिंदी #राजनीति #धर्मांधता #संविधान #एकता #लड़ाई #दंगा #Instagram #Facebook #अदनासा
अदनासा-
मज़हब की नफ़रती आग में, जिसने जलकर जान गंवाई है, अफ़सोस होता है मरकर भी, वो मज़हब बड़ा ना बन सका, मज़हब का ठेकेदार कसम से, बड़ा और बड़ा बनता ही गया। ©अदनासा- चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏🇮🇳🇮🇳 https://www.abplive.com/web-stories/when-gujarat-riots-happen-gk-2453632 #हिंदी #दंगे #दंगा #मज़हब #धर्म #लोकतंत्र #जनता #Instagram #Facebook #अदनासा
Tarun Vij भारतीय
जल गया शहर सारा बस इसी ऐतबार मे, पहले सफे पर आएगी खबर अखबार में। #caa #riots #दंगा #nrc #caaprotests #fools #religiousintolerance #religiousmorons
Nilam Agarwalla
मजहबी उन्माद लोगों पर चढ़ रहा था। दंगों की आग में शहर जल रहा था। हिन्दू मुस्लिम को, मुस्लिम हिंदू को हर शख्स एक दूजे को कोस रहा था।। ©Nilam Agarwalla #दंगा
Pooja Udeshi
कोई पत्थर फेक रहा था कोई tire जला रहा था, कोई पुलिस से पिट रहा था कोई पुलिस पर छुपके से वार कर रहा था सरकारी गाड़ी के शीशे कोई तोड़ रहा था बस मे आग लगा रहा शख्श नारे बाजी कर लोगो को भड़का रहा था क्या मिलता हैं ये सब कर के, जान माल का नुक्सान, आम आदमी ही मू की खां रहा, नेता vote उड़ा रहा, ये भारत देखो शर्म से मू छुपा रहा, ये क्या हमारा देश आजाद हुआ, हर यूवा भटका जा रहा!!! ©पूजा उदेशी #Aag #violance #दंगा #POOJAUDESHI
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read moreAbundance
#दंगा /पत्थर #बुलडोज़र माँ कहती थी बचपन में अगर कोई गलती करोगी ओर झूठ बोलोगी तो भगवान आसमान से पत्थर गिरा देंगे मै डर कर बचपन में इस बात से की पत्थर से तो दब जाउंगी झूठ नहीं बोलती थी तस्वीरें बेहद डरावनी सामने आ जाती हैँ पत्थर फेकने की अच्छा सुनो! मैंने कोई गलती की क्या लोग भगवान बन पत्थर क्यों फेक रहे हैँ! ©MALLIKA
सुधा भारद्वाज"निराकृति"
दंगा ***** झुलसे दिन सिसकते सवेरे बेबस शामें ----*----*---*--- सुबकती माँ झोली भरके ग़म द्रवित मन ----*----*----*--- घर की रोटी चढ़ गयी है बलि बेमन राहें ---*---*---*---*--- चैन-ओ-सुकूं लेकर संग अपने दे गया दंगा 19/4/2022 रविवार ©सुधा भारद्वाज #दंगा(#हिन्दी_लेखन)#हाइकु
Anand Kumar Ashodhiya
दँगा - भाग 2 अमन-चैन लौट आया, लौट आई और एक जाँच निश्चिन्त हुआ हर एक, साँच को है अब क्या आँच पूरसूकून मैं भी लौटा अपने शहर बिलकुल अज़नबी की तरह माकूल नज़र से तौला हर किसी को सच्चे मज़हबी की तरह रिक्शा वाले से किराया तय ठहराने को ज्यूं ही आगे बढ़ा देखता हूँ की वो मेरी ही तरफ़ आ रहा है चढ़ा मैं घबराया, रिक्शा वाला मुस्कराया, हाथ सलाम में उठाये हुए मैं तो और भी ठिठक गया अपनी पोटली बगल में दबाये हुए मेरी आँखों में झांकते अजनबीपन ने रिक्शा चालक की मुस्कान छीन ली तब जाकर मेरे शक्की मन ने चैन की साँस ली रास्ते भर मैं उचक उचक कर कूचे गली मोहल्लों के निशान तलाशता रहा रस्ते में ड्यूटी पर तैनात पुलिसियों से रिक्शा चालक की निशानदेही करवाता रहा मुकाम आने तक अपने मन को खुद ही ढ़ाणढ़स बँधाता रहा रियर व्यू मिरर में रिक्शा वाले से खुद ही नज़रें चुराता रहा ना जाने क्यों मुझे रिक्शे वाले की नीयत पर शक हो रहा था मुझे देख कर उसकी आँखों में जो उभरी थी चमक, उस पर तो और भी शक हो रहा था या खुदा, हे भगवन किसी तरह नैय्या पार लगादे इस काल समान रिक्शा चालाक से निज़ात दिलादे कि तभी रिक्शा रुकी, मैं सहमा सहमा काँप गया रिक्शा चालक शायद मेरे मन का डर भांप गया वह बोला भाई साहब आपने मुझे पहचाना नहीं? भूल गए? मैं रहमत हूँ, क्या अब भी मुझे जाना नहीं मैं खिसियानी हँसी हँस कर रह गया फिर से ज़माने की रौ में बह गया अब मैं फिर से शेर की तरह दनदनाता फिरता हूँ दँगा तूफ़ान की क्या मजाल किसी से नहीं डरता हूँ क्या करूँ इन्सान हूँ, अत: फिर से किसी बलवे की बाट जोह रहा हूँ अपना तमाम सामान बाँधे, सिरहाने रखकर सो रहा हूँ रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइ ©Anand Kumar Ashodhiya #दंगाभाग2 #दंगा #हिन्दीकविता #MereKhayaal
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read moreRummaب نedil
बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा ©Ruman Bedil رومان بیدل ☑ #देश #Politics #leader #दंगा #शौक_बहराइच #BengalBurning
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