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Deepak Kumar 'Deep'
वक़्त भी क्या-क्या रंग दिखलाता है! जीते जी इंसान रहने को घर, महल बनता है! फिर उस पर इतराता है, आखिर में मर कर ख़ाक हो जाता है!! ©Deepak Kumar 'Deep' #khak
Deepak Kumar 'Deep'
वक़्त भी क्या-क्या रंग दिखलाता है! जीते जी इंसान रहने को घर, महल बनता है! फिर उस पर इतराता है, आखिर में मर कर ख़ाक हो जाता है!! ©Deepak Kumar 'Deep' #khak
Kamlesh Kandpal
मै ग़ालिब नहीं कमलेश,मै फिराक भी नहीं, बुलंदिया न छुई तो क्या,फिर मै राख भी नहीं। ©Kamlesh Kandpal #khak
Tahir Raza
ना मेरा एक होगा ना तेरा लाख होगा ना तारीफ तेरी होगी ना मज़ाक़ मेरा होगा ग़ुरूर ना कर शाह ए शरीर का तेरा भी खा़क होगा मेरा भी ख़ाक होगा 🥀💔💯 ©Tahir Raza #feather #tera #aik #khak #hoga #tareef
POETRY QUEEN 👸
Hum galat the aur galat hain.. Khud ko Sahi aur Sachha Sabit karke kya milega... hum pehle bhi khak the aur abhi khak hain.. kisi ke liye khas banke kya milega..? ©POETRY QUEEN 👸 #khak
Aliem U. Khan
आप चाहें कि या न चाहें मुझे! दिल ❤️ में थोड़ी सी बस जगह दें मुझे! जी, जनाब,आप! ये तकल्लुफ़ क्यूं! आप भी नाम से पुकारें मुझे। मैं तो बस ख़ाक हूं मुझे छूकर, अपनी मर्ज़ी से कुछ बना दें मुझे। यूं तो मुमकिन है भूल जाना पर ये मुनासिब नहीं भुला दें मुझे। लड़खड़ाऊं मैं रहगुज़र पे कभी, चाहता हूं कि आप थामें मुझे। अब संभलता नहीं ये दिल मुझसे, आप आकर के बस संभालें मुझे। #yqaliem #naam #takalluf #ji_janaab_aap #dil #yqurdu #yqurduhindipoetry #khak
Aliem U. Khan
2122 1212 22/112 हाय! कितने बुरे! बुरे थे हम! सख़्त कहते थे और खरे थे हम! एक लम्हे की ज़िंदगी के लिए, जाने कितनी दफ़ा मरे थे हम! रास आती थी दिल को तन्हाई, भीड़ में लोगों से घिरे थे हम। सबकी नफ़रत हमें गंवारा थी, यूं मुहब्बत से कुछ भरे थे हम। जाने किस ख़ाक किस दयार के थे, अपनी ही सोच से परे थे हम! #yqaliem #khak #dayaar #bure #khare #Hum #soch_se_pare #yqurduhindipoetry ख़ाक : Soil दयार : State
#Yqaliem #khak #dayaar #Bure #Khare #Hum #Soch_se_Pare #yqurduhindipoetry ख़ाक : Soil दयार : State
read moreAliem U. Khan
पल में बिखरा था,सिमटने में बहुत देर लगी, ज़िन्दगी क्या है, समझने में बहुत देर लगी। इसी मिट्टी से बना फिर इसी मिट्टी में मिला, फिर इसी ख़ाक से उठने में बहुत देर लगी। मुद्दतों तक रहा भटकाव जहान-ए-फ़ानी में, ख़ाक का घर था वो बनने में बहुत देर लगी। दर्द के फूल भी मुद्दत में खिला करते हैं, दिल का गुलदान महकने में बहुत देर लगी। ये हसीं चेहरे भी अब और नहीं अच्छे लगते, आइना दिल का संवरने में बहुत देर लगी। न तो अब इश्क न चाहत न मरासिम में कशिश, एक पत्थर था, पिघलने में बहुत देर लगी। #yqaliem #zindgi #khak #qabr #dard #dil #muhabbat #marasim