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Rabindra Kumar Ram
" फकत ये भी होता कही कुछ बात तो बनता , ना मिलते हम वेशक कभी कहीं मुंतज़िर तुम भी मैं भी बनता. " ये दौर हैं हमारे फासलों का तो क्या किया जाये, फ़ुर्क़त से कभी कही मुनासिब तुम भी मैं भी होगें. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " फकत ये भी होता कही कुछ बात तो बनता , ना मिलते हम वेशक कभी कहीं मुंतज़िर तुम भी मैं भी बनता. " ये दौर हैं हमारे फासलों का तो क्या किया जाये, फ़ुर्क़त से कभी कही मुनासिब तुम भी मैं भी होगें. " --- रबिन्द्र राम #मुंतज़िर #फासलों #फ़ुर्क़त #मुनासिब
Rabindra Kumar Ram
" एक काफिला हूं गुजर जाऊंगा , फिर तेरे दर पे कभी आऊं ना आऊं , तमाम फासलों के पैमाने बनेगें , फिर तुझे कभी याद आऊ ना आऊं ." --- रबिन्द्र राम " एक काफिला हूं गुजर जाऊंगा , फिर तेरे दर पे कभी आऊं ना आऊं , तमाम फासलों के पैमाने बनेगें , फिर तुझे कभी याद आऊ ना आऊं ." --- रबिन्द्र राम #काफिला #गुजर #दर
Rabindra Kumar Ram
" बस कर की कोई तमन्ना ख्वाब यूं ही रखें है , तेरी आरजू तेरी जूस्तजु का हिसाब यूं ही रखें है , तुम से फासलों को क्या खुब मैंने तय किया हैं , तेरे पास तो हूं मैं इतने करीब नहीं की इस बात की जस्न मनाईं जाये ." --- रबिन्द्र राम " बस कर की कोई तमन्ना ख्वाब यूं ही रखें है , तेरी आरजू तेरी जूस्तजु का हिसाब यूं ही रखें है , तुम से फासलों को क्या खुब मैंने तय किया हैं , तेरे पास तो हूं मैं इतने करीब नहीं की इस बात की जस्न मनाईं जाये ." --- रबिन्द्र राम #तमन्ना #ख्वाब
Rabindra Kumar Ram
" वाकिफ हो तो जरा तुम भी कुछ कहो ना , हाले दिल वयान मैं कब तक तुझसे बेजार रखूं , फासलों का सफ़र तुमसे ही तय करना है , अब भला मैं तुम्हें छोड़कर किसका ख्याल रखूं . " --- रबिन्द्र राम " वाकिफ हो तो जरा तुम भी कुछ कहो ना , हाले दिल वयान मैं कब तक तुझसे बेजार रखूं , फासलों का सफ़र तुमसे ही तय करना है , अब भला मैं तुम्हें छोड़कर किसका ख्याल रखूं . " --- रबिन्द्र राम #वाकिफ #दिल #वयान #बेजार
Rabindra Kumar Ram
" कुछ फासलों का सफर तय करना तुमसे , कुछ बात मतलब जिरह करना है तुमसे , अब फैसला जो भी अच्छा या बुरा इस एहसास में , जो भी रास्ता निकले वो मेरे हक़ में होगा. " --- रबिन्द्र राम " कुछ फासलों का सफर तय करना तुमसे , कुछ बात मतलब जिरह करना है तुमसे , अब फैसला जो भी अच्छा या बुरा इस एहसास में , जो भी रास्ता निकले वो मेरे हक़ में होगा. " --- रबिन्द्र राम #फासलों #सफर #जिरह #फैसला #एहसास #रास्ता #हक़
Rabindra Kumar Ram
" कह दु क्या या ये फासलों का सफर बरकरार रहने दें , बेनतीजन ये एहसास को तेरे पे छोड़ते हैं , तुझे इसका अभी इकतफाक होना बाकी है , कुछ ख्याल आये तो आज-कल में आये तो सही . " --- रबिन्द्र राम Pic : pexels.com " कह दु क्या या ये फासलों का सफर बरकरार रहने दें , बेनतीजन ये एहसास को तेरे पे छोड़ते हैं , तुझे इसका अभी इकतफाक होना बाकी है , कुछ ख्याल आये तो आज-कल में आये तो सही . " --- रबिन्द्र राम
Pic : pexels.com " कह दु क्या या ये फासलों का सफर बरकरार रहने दें , बेनतीजन ये एहसास को तेरे पे छोड़ते हैं , तुझे इसका अभी इकतफाक होना बाकी है , कुछ ख्याल आये तो आज-कल में आये तो सही . " --- रबिन्द्र राम
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" हर रोज कोई ख्वाब गवारा रह जाता है , तेरे ख्यालों से परे कोई जुस्तजू अधूरा रह जाता है , तेरे फासलों का सफर क्या खूब मैंने तय किया है , तेरी हसरतें छोड़ के हर एक ख्याल मुकमबल हो जाता है ." --- रबिन्द्र राम Pic : pexels.com " हर रोज कोई ख्वाब गवारा रह जाता है , तेरे ख्यालों से परे कोई जुस्तजू अधूरा रह जाता है , तेरे फासलों का सफर क्या खूब मैंने तय किया है , तेरी हसरतें छोड़ के हर एक ख्याल मुकमबल हो जाता है ." --- रबिन्द्र राम
Pic : pexels.com " हर रोज कोई ख्वाब गवारा रह जाता है , तेरे ख्यालों से परे कोई जुस्तजू अधूरा रह जाता है , तेरे फासलों का सफर क्या खूब मैंने तय किया है , तेरी हसरतें छोड़ के हर एक ख्याल मुकमबल हो जाता है ." --- रबिन्द्र राम
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" तेरे फासलों का सफर क्या खूब मैंने तय किया , मैं पास आया और तुम दुर होते चले गये , आज भी सम्हाल रखा हूं तेरी हसरतों को , तेरे बाद अब किसी और का होने ना दिया . " --- रबिन्द्र राम " तेरे फासलों का सफर क्या खूब मैंने तय किया , मैं पास आया और तुम दुर होते चले गये , आज भी सम्हाल रखा हूं तेरी हसरतों को , तेरे बाद अब किसी और का होने ना दिया . " --- रबिन्द्र राम #फासलों #सफर #तय #पास #दुर #सम्हाल #हसरतों
Rabindra Kumar Ram
" तेरे फासलों का सफर क्या खूब रहा है , गुजरती हुई शाम की तन्हाई में अक्सर तुझे याद करना कुछ अच्छा लगता है , जिक्र करें की ना करें अब ये गूनजाइस तेरे बात पे ठहरी , अपने तरफ से जो तु इसे नाम दे दे. " --- रबिन्द्र राम Pic : Google pic तेरे फासलों का सफर क्या खूब रहा है , गुजरती हुई शाम की तन्हाई में अक्सर तुझे याद करना कुछ अच्छा लगता है , जिक्र करें की ना करें अब ये गूनजाइस तेरे बात पे ठहरी , अपने तरफ से जो तु इसे नाम दे दे. " --- रबिन्द्र राम
Pic : Google pic तेरे फासलों का सफर क्या खूब रहा है , गुजरती हुई शाम की तन्हाई में अक्सर तुझे याद करना कुछ अच्छा लगता है , जिक्र करें की ना करें अब ये गूनजाइस तेरे बात पे ठहरी , अपने तरफ से जो तु इसे नाम दे दे. " --- रबिन्द्र राम
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