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कुमार दीपेन्द्र
दुर्योधन संवाद ऐ दुर्योधन तू सोच किस मद में था माधव को बांधने चला कुछ हद में था सत्य को छोड़ तू अफवाह के पद में था सत्ता चाहने के उम्मीद मदमस्त में था एक तनिक आध भूमि के अध में था माधव को बांधता जीवन तेरा गर्त में था शकुनी तो छलिया तू उसके ही शर्त में था करुण वंश कौरव देखो कब तेरे पक्ष में था ऐ दुर्योधन तू सोच किस मद में था मधुसूदन को बांधने चला तू कुछ हद में था अब सोच तुम ऐ धृतराष्ट्र पुत्र गुरु द्रोण का विद्या तेरे किस सर्ग में था बांध पितामह की जटिल प्रतिज्ञा को विदुर को रुलाना तेरे किस वर्त में था ऐ दुर्योधन तू था भले विद्वान सही तेरा मनभाव किसके लिए मदमस्त में था माधव को बांधने चला तू कुछ हद में था ऐ दुर्योधन तू सोच किस गुमानी मद में था ©Deependra jha #krishan #Duryodhana
KhaultiSyahi
दुर्योधन ने श्री कृष्ण की पूरी नारायणी सेना मांग ली थी। और अर्जुन ने केवल श्री कृष्ण को मांगा था। उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन की चुटकी (मजाक) लेते हुए कहा:- हार निश्चित हैं तेरी, हर दम रहेगा उदास ।माखन दुर्योधन ले गया, केवल छाछ बची तेरे पास । अर्जुन ने कहा :- हे प्रभु जीत निश्चित हैं मेरी, दास हो नहीं सकता उदास । माखन लेकर क्या करूँ, जब माखन चोर हैं मेरे पास । - ©KhaultiSyahi #boat #bhishma #Duryodhana #Mahabharat #khaultisyahi #truth #lifeexperience #MoralStories
KhaultiSyahi
8कृष्ण की चेतावनी हरि ने भीषण हुंकार किया, अपना स्वरूप विस्तार किया, डगमग-डगमग दिग्गज डोले, भगवान् कुपित होकर बोले- 'जंजीर बढ़ा कर साथ मुझे, हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे। यह देख, गगन मुझमें लय यह देख, पवन मुझमें लय मुझमें विलीन झंकार सकल, मुझमें लय है संसार सकल । अमरत्व फूलता है मुझमें, संहार झूलता है मुझमें 'उदयाचल मेरा दीप्त भाल, भूमंडल वक्षस्थल विशाल, भुज परिधि बन्ध को घेरे हैं, मैनाक -मेरु पग मेरे हैं। दिपते जो ग्रह नक्षत्र निकर, सब हैं मेरे मुख के अन्दर 'दृग हों तो दृश्य अकाण्ड देख, • मुझमें सारा ब्रह्माण्ड देख, चर-अचर जीव, जग, क्षर- अक्षर, नश्वर मनुष्य सुरजाति अमर । शत कोटि सूर्य, शत कोटि चन्द्र, शत कोटि सरित, सर, सिन्धु मन्द्र । ‘शत कोटि विष्णु, ब्रह्मा, महेश, शत कोटि विष्णु जलपति, धनेश, शत कोटि रुद्र, शत कोटि काल, शत कोटि दण्डधर लोकपाल। जजीर बढ़ाकर साथ इन्हें, हाँ- हाँ दुर्योधन! बाँध इन्हें। -An extract from Rashmirathi - Krishna ki chetavani (Krishna Duryodhan Samvad ©KhaultiSyahi #navratri #krsna #KrsnaLove #Chetavni #Mahabharat #Duryodhana #khaultisyahi #Krishna #krishna_flute #God
KhaultiSyahi
कृष्ण की चेतावनी हरि ने भीषण हुंकार किया, अपना स्वरूप विस्तार किया, डगमग-डगमग दिग्गज डोले, भगवान् कुपित होकर बोले- 'जंजीर बढ़ा कर साथ मुझे, हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे। यह देख, गगन मुझमें लय यह देख, पवन मुझमें लय मुझमें विलीन झंकार सकल, मुझमें लय है संसार सकल । अमरत्व फूलता है मुझमें, संहार झूलता है मुझमें 'उदयाचल मेरा दीप्त भाल, भूमंडल वक्षस्थल विशाल, भुज परिधि बन्ध को घेरे हैं, मैनाक -मेरु पग मेरे हैं। दिपते जो ग्रह नक्षत्र निकर, सब हैं मेरे मुख के अन्दर 'दृग हों तो दृश्य अकाण्ड देख, • मुझमें सारा ब्रह्माण्ड देख, चर-अचर जीव, जग, क्षर- अक्षर, नश्वर मनुष्य सुरजाति अमर । शत कोटि सूर्य, शत कोटि चन्द्र, शत कोटि सरित, सर, सिन्धु मन्द्र । ‘शत कोटि विष्णु, ब्रह्मा, महेश, शत कोटि विष्णु जलपति, धनेश, शत कोटि रुद्र, शत कोटि काल, शत कोटि दण्डधर लोकपाल। जजीर बढ़ाकर साथ इन्हें, हाँ- हाँ दुर्योधन! बाँध इन्हें। -An extract from Rashmirathi - Krishna ki chetavani (Krishna Duryodhan Samvad) ©KhaultiSyahi #Krishna #jaishreekrishna #lordkrishna #krsns #KrsnaLove #khaultisyahi #Life_experience #Mahabharat #Duryodhana
DR. SANJU TRIPATHI
पांडवों को उनका राज्य दिलाने का प्रस्ताव लेकर आए थे कन्हैया। खुद ही पांडवों के शांति दूत बनकर हस्तिनापुर आए थे कन्हैया। राज्य ना दो तो पांच गांव ही दे दो उन्हें कान्हा ने फरमाया था। उनकी इस बात को सुनकर दुर्योधन को बहुत गुस्सा आया था। दुर्योधन पांडवों को लेकर हमेशा से ही बहुत बैर खाये रहता था। राज्य की भूमि का एक टुकड़ा देने के पक्ष में भी ना आया था। दुर्योधन ने जब युद्ध को ही इस समस्या का हल बतलाया था। दुर्योधन की बात गलत है कान्हा ने उपस्थित सभी को समझाया था। सबने दुर्योधन की इच्छा के आगे अपना शीश झुकाया था। कान्हा ने इसको कौरवों के विनाश का कारण बतलाया था। फिर भी वहां किसी को कुछ भी समझ में नहीं आया था। गुस्से में दुर्योधन बौराया सही गलत की सोच को भुलाया था। द्वारिकाधीश को जंजीर में बांधने का आदेश करवाया था। कान्हा ने फिर सब को अपना विशालतम रूप दिखलाया था। महाभारत के युद्ध का आगाज है यह सब को अवगत करवाया था। कौरवों के वंश का नाश हो जाएगा यह भी सब को बतलाया था। #krishna #duryodhana #karna #mahabharat #yqbaba #yqdidi #duryodhanarrestingkanha Time limit till today 10:00 pm tonight No word limit You have to maintain these hashtags Kindly keep the bell icon on to get recent updates... Results will be out tomorrow along with new topic... All the best...
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read moreAjay Amitabh Suman
........................... ©Ajay Amitabh Suman #Pauranik, #Kavita, #Duryodhana, #Poetry_on_Duryodhana, #Ashvatthama, #Mahabharata, #Epic, #Poetry_on_mahabharata, #Poertry_on_Ashvtthama अश्रेयकर लक्ष्य संधान हेतु क्रियाशील हुए व्यक्ति को अगर सहयोगियों का साथ मिल जाता है तब उचित या अनुचित का द्वंद्व क्षीण हो जाता है। अश्वत्थामा दुर्योधन को आगे बताता है कि कृतवर्मा और कृपाचार्य का साथ मिल जाने के कारण उसका मनोबल बढ़ गया और वो पूरे जोश के साथ लक्ष्यसिद्धि हेतु अग्रसर हो चला।
#Pauranik, #kavita, #Duryodhana, #Poetry_on_Duryodhana, #Ashvatthama, #Mahabharata, #Epic, #Poetry_on_mahabharata, Poertry_on_Ashvtthama अश्रेयकर लक्ष्य संधान हेतु क्रियाशील हुए व्यक्ति को अगर सहयोगियों का साथ मिल जाता है तब उचित या अनुचित का द्वंद्व क्षीण हो जाता है। अश्वत्थामा दुर्योधन को आगे बताता है कि कृतवर्मा और कृपाचार्य का साथ मिल जाने के कारण उसका मनोबल बढ़ गया और वो पूरे जोश के साथ लक्ष्यसिद्धि हेतु अग्रसर हो चला।
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-29 #kavita #Duryodhana #Ashvatthama #Kritvarma #Kripacharya #Mahabharata #mahadev #Shiv #RuDra महाकाल क्रुद्ध होने पर कामदेव को भस्म करने में एक क्षण भी नहीं लगाते तो वहीं पर तुष्ट होने पर भस्मासुर को ऐसा वर प्रदान कर देते हैं जिस कारण उनको अपनी जान बचाने के लिए भागना भी पड़ा। ऐसे महादेव के समक्ष अश्वत्थामा सोच विचार में तल्लीन था।
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••••••••••• ©Ajay Amitabh Suman दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-29 #Kavita #Duryodhana #Ashvatthama #Kritvarma #Kripacharya #Mahabharata #Mahadev #Shiv #Rudra महाकाल क्रुद्ध होने पर कामदेव को भस्म करने में एक क्षण भी नहीं लगाते तो वहीं पर तुष्ट होने पर भस्मासुर को ऐसा वर प्रदान कर देते हैं जिस कारण उनको अपनी जान बचाने के लिए भागना भी पड़ा। ऐसे महादेव के समक्ष अश्वत्थामा सोच विचार में तल्लीन था।
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-29 #kavita #Duryodhana #Ashvatthama #Kritvarma #Kripacharya #Mahabharata #mahadev #Shiv #RuDra महाकाल क्रुद्ध होने पर कामदेव को भस्म करने में एक क्षण भी नहीं लगाते तो वहीं पर तुष्ट होने पर भस्मासुर को ऐसा वर प्रदान कर देते हैं जिस कारण उनको अपनी जान बचाने के लिए भागना भी पड़ा। ऐसे महादेव के समक्ष अश्वत्थामा सोच विचार में तल्लीन था।
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................. ©Ajay Amitabh Suman #Kavita #Duryodhana #Ashvatthama #Kritvarma #Kripacharya #Mahabharata #Mahadev #Shiv शिवजी के समक्ष हताश अश्वत्थामा को उसके चित्त ने जब बल के स्थान पर स्वविवेक के प्रति जागरूक होने के लिए प्रोत्साहित किया, तब अश्वत्थामा में नई ऊर्जा का संचार हुआ और उसने शिव जी समक्ष बल के स्थान पर अपनी बुद्धि के इस्तेमाल का निश्चय किया । प्रस्तुत है दीर्घ कविता "दुर्योधन कब मिट पाया " का सताईसवाँ भाग।
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