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तन से भारी सांस है इसे समझ लो खूब। मुर्दा जल में त

तन से भारी सांस है इसे समझ लो खूब।
मुर्दा जल में तैरता ज़िंदा जाता डूब।।

-गोपाल दास नीरज

©साहित्य संजीवनी
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