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आती है तुम्हारी याद सुबह जो सिंदूरी धूप की तरह, मि

आती है तुम्हारी याद सुबह जो सिंदूरी धूप की तरह,
मिलती नहीं  क्यों तुम शीतल हवाँ की तरह 

तुम्हारी स्मृतियों की जागीर है दिल में दर्द का ज़ख़ीरा 
हम जी रहे इन दिनों   रणभूमि में हारा युवराज की तरह 

न ख्वाईशें, न अदाएं न इश्क की बातें गुफ्तगूं अब कहाँ उनसे है
अंतरंग किसी से अब क्यों करे हम मेहमान नवाज़ी की तरह 

देखे थे जो ख़्वाब हमने, ख़्वाब ख़्वाब में चले गए
रिश्ते अब जले भुने हुए अपने, कोई जलता शहर की तरह 

कोई ढूंढ न पाया हमें भूली हुई मेरे एहसानों में
 वक्त का दगां अब हथेली की टूटी फूटी लकीरो की तरह 

मेरे खेत की हरियाली सूखे सूखे उजड़ सी गई
कुचले गए हैं जैसे तन मन अपराधी की तरह

#निशीथ

©Nisheeth pandey
  #tereliye 
आती है तुम्हारी याद सुबह जो सिंदूरी धूप की तरह,
मिलती नहीं  क्यों तुम शीतल हवाँ की तरह 

तुम्हारी स्मृतियों की जागीर है दिल में दर्द का ज़ख़ीरा 
हम जी रहे इन दिनों   रणभूमि में हारा युवराज की तरह 

न ख्वाईशें, न अदाएं न इश्क की बातें गुफ्तगूं अब कहाँ उनसे है

#tereliye आती है तुम्हारी याद सुबह जो सिंदूरी धूप की तरह, मिलती नहीं क्यों तुम शीतल हवाँ की तरह तुम्हारी स्मृतियों की जागीर है दिल में दर्द का ज़ख़ीरा हम जी रहे इन दिनों रणभूमि में हारा युवराज की तरह न ख्वाईशें, न अदाएं न इश्क की बातें गुफ्तगूं अब कहाँ उनसे है #lovequotes #Remember #शायरी #Ambitions #Likho #Streaks #निशीथ #merasheher #ManKeUjaale #UskeSaath #WoSadak

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