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कुछ तो टूट रहा है अंदर ही अंदर, कुछ तो बिखर रहा है

कुछ तो टूट रहा है अंदर ही अंदर,
कुछ तो बिखर रहा है अंदर ही अंदर,
एक ज़ख्म रिस रहा है अंदर ही अंदर,
एक तूफ़ान उमड़ रहा है अंदर ही अंदर।

©HINDI SAHITYA SAGAR
  #akelapan 
कुछ तो टूट रहा है अंदर ही अंदर,
कुछ तो बिखर रहा है अंदर ही अंदर,
एक ज़ख्म रिस रहा है अंदर ही अंदर,
एक तूफ़ान उमड़ रहा है अंदर ही अंदर।
#Hindi  #hindisahityasagar  #hindi_shayari  #hindi_poetry  #hindikavita  #poetshailendra

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