बढ़ते अत्याचार देश की सारी जनता कर रही है चारों ओर हाहाकार, फैली है सारी दुनियाँ में कालाबाजारी और भ्रष्टाचार। कहीं कोई कर रहा है घूसखोरी कहीं हो रहा बलात्कार, सुरक्षित नहीं है कहीं भी कोई घर हो चाहे हो बाजार। दम घुटने लगा है सबका अब देख कर बढ़ते अत्याचार, कहीं भ्रष्ट हैं लोग तो कहीं भ्रष्टाचार कर रही है सरकार। अमीर बन रहे हैं और अमीर गरीब हो रहे और लाचार, कहीं इज्जत कहीं शोहरत कहीं है रोटी के लिए मारा मार। नहीं करता दिल से कोई मोहब्बत सबको है जिस्म से प्यार, कोई किसी की इज्जत लूट रहा कहीं करवा रहा देह व्यापार। जब तक हम खुद से नहीं समझेंगे सुधरने वाले नहीं आसार, गरीब हो अमीर हो या हो सरकार रोकना होगा बढ़ते अत्याचार। 24/04/2021 #kkबढ़तेअत्याचार #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #रमज़ान_कोराकाग़ज़ #KKR2021