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Madhur Choubey
गिरह खोल आज, फिर दिल शाद होना चाहता है पलकें झुका कर, फिर तुझमे खोना चाहता है जो मिल जाये अब वो कहीं किसी मंज़िल पर उसे एक बार फिर छूने को दिल चाहता है #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #dil #qoutes #hindiquotes #yourquote #yourquotebaba
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//दर-ए-गंजीना-ए-गौहर// मत ढूंढ दर-ए-गंजीना-ए-गौहर; इस घनी आबादी के शहर में, जब है तेरा यार ही तेरे सामने, तो तू क्यों भटकता है दहर में। प्यार से अनमोल कोई मोती नहीं; ढूँढ़ ले चाहे किसी बहर में, जब होगा हताश, लौट आएगा मेरे ही पास तू किसी पहर में। दर-ए-गंजीना-ए-गौहर : मोतियों के ख़ज़ाने का दरवाज़ा दहर: दुनिया बहर: समुद्र पहर: समय Image Credit: HUSH & HUMS #collabwithकोराकाग़ज़
Insprational Qoute
देख मेरे फ़टे हालात वो मुस्कुरा कर मुझ पर तंज कस गई, उफ़्फ़ उसकी ये शोख़ अदाएं अब तो मेरे दिल मे बस गई, शायदअमीरी गरीबी का फर्क मालूम नही वो नासमझ सी है, उसकी मासूम सी तरबियत वो नादां मेरे दिल मे घर कर गई, अब दिल तो कहीं और लगता ही नहीं उस शहजादी के बिना, बयाँ होगा नही खामोश रहे कैसे इस ग़रीब दिल को वो जच गई, कर दिया ये दिल का मकां भी खाली बस उसी को बसाना है, जब भी सामने पेशकश करती है कुछ नही बस सांसे थम गई, देखो तो सही ये गबरू जवान एक मे सौ को पछाड़ने वाला है, जब भी नज़रे वो उठाये तो तपिश में भी वो मुझे सुन्न कर गई, छोड़ो भी ये अमीरी ग़रीबी का खेल ये मोहब्बत में आई बाधा है, अब तो ये दिवानगी की हद इतनी बढ़ जायेगी ऐसा असर कर गई। देख मेरे फ़टे हालात वो मुस्कुरा कर मुझ पर तंज कस गई, उफ़्फ़ उसकी ये शोख़ अदाएं अब तो मेरे दिल मे बस गई, शायदअमीरी गरीबी का फर्क मालूम नही वो नासमझ सी है, उसकी मासूम सी तरबियत वो नादां मेरे दिल मे घर कर गई, अब दिल तो कहीं और लगता ही नहीं उस शहजादी के बिना,
भाग्य श्री बैरागी
बुराई का अंत निश्चित है, विजय अच्छाई की देर से ही सही सुनिश्चित है। होलिका जली जबकि वरदानी चुनर थी, जी गये प्रहलाद उनकी श्रद्धा सच्ची थी। शूर्पणखा का बदला देवी सीता से निकला, रावण की सज़ा का वर्णन रामायण में मिला। द्रोपदी का चीर जो भरी सभा में हरण हुआ, सभा का हर व्यक्ति महाभारत का पात्र हुआ। कलयुगी इंसान कहाँ नारी का महत्व समझा है, नारी के सम्मान को बस पंक्तियों में ही समझा है। कभी लाज शर्म का तंज कसा,कभी घसीटा,पीटा चलती है जब रास्ते पर चेहरे पर एसिड का छींटा इस बुराई का अंत भी निश्चित है, नारी का सम्मान ही अपमान का प्रायश्चित है। टीम रंगीला हिंदुस्तान के सदस्यों की रचना के लिए आज का विषय बुराई का अंत निश्चित है #होलीकेहमजोली #कोराकाग़ज़ #रंगीला_हिंदुस्तान Aरिफ़ Aल्व़ी #collabwithकोराकाग़ज़ #YourQuoteAndMine
Anita Saini
सफ़रनामा जैसा कि योर कोट के सफर पर "सफ़रनामा” लिखना है वो भी अपनी पहली रचना के आधार पर.... मेरी पहली रचना वक़्त के नाम थी... वो कुछ ऐसे थी~ ज़िंदगी में दो चीज़ें कभी नहीं मिली ना अपनों का वक़्त न अपने लिए वक़्त... 20 मई 2018!
Neha Pathak
ख़ामोशियाँ उतर आई हैं मेरी हर एक शाम के साथ! तन्हाईयाँ आरज़ी हैं या दायमी ये तो ख़ुदा जाने। #collabwithकोराकाग़ज़ #आरज़ी #कोराकाग़ज़
Divyanshu Pathak
लोकतंत्र के अभियानों की हलचल लेकर आता है। जन-जन का उन्नायक बनकर मन से जो जुड़ जाता है। संवाद सेतु का हेतु बनकर जो निर्भीक लिखे हरपल! विचार क्रांति का वाहक बनकर सत्य हमें दिखलाता है। अपराध निवारण करने में सहयोग सदा जो करता है। कठिन घड़ी में प्रहरी बनकर ये सबको अवगत करता है। सैनिक सा अख़बार मेरा यह चौकस रहता है हरदम! साधक बनकर यह पाठक का,उत्साह दिलों में भरता है। परिवर्तन का ज़रिया बनता!नहीं दिखावा करता है। जीवन के हर पहलू को सामने सबके रखता है। गाँव-शहर को जोड़ रहा जो शब्दों की पगडण्डी से! नित नूतन संस्कारों का, यह बीजारोपण करता है। #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #हमलिखतेरहेंगे #गुलिस्ताँ #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine Collaborating with Shelly Jaggi
Divyanshu Pathak
चोट दर चोट सहता है,ये घायल का मुक़द्दर है। लिपट कर पाँव से बजती,ये पायल का मुक़द्दर है। अकिंचन नींद को कोई,उमर सारी तरसता है, चैन से नैन में सोता!यह काज़ल का मुक़द्दर है। ज़मीं पर देख कर उसको,मुझे जन्नत नजर आई! गुज़ारिश थी यह नज़रों की,या थी वह एक परछाईं। यह क़िस्सा आज कहता हूँ,तुम्हें जो दिल के अंदर है- मोहब्बत में कोई हारा हुआ भी तो सिकंदर है। मैं अल्हड़ता में दिल अपना उसे देकर के आया था! मुझे लगता था वह जैसे, मेरी धड़कन का साया था। अज़नबी ने मेरी साँसों को,अपना सा बनाकर के! मेरे ख्वाबों की महफ़िल को सितारों से सजाया था। मेरी पहली मोहब्बत की कहानी तो अधूरी है। कई रस्में पड़ी भारी रिवाज़ों की उधारी है। मेरा दिल तोड़ कर मुझसे मेरा हक छीन लेते हैं। मगर अफ़सोस भी उनको,बड़ा पछतावा भारी है॥ #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #हमलिखतेरहेंगे #गुलिस्ताँ #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine Collaborating with Shelly Jaggi
Divyanshu Pathak
समाज को श्रेष्ठ बनाने की बातें हम बड़ी बनाते हैं। जातिवाद का विष अमृत में खुद ही ख़ूब मिलाते हैं। अहँकार में जलते दिखते,पुतले सौहार्द्र एकता के- विष फ़ैलाकर कट्टरता का,दूर खड़े इतराते हैं। लगवाकर ठप्पा जो आया,ज़रा मुझे दिखलाओ तो! किसने ऐसा धर्म बनाया मुझको ज़रा बताओ तो! संसार स्वर्ग की छाया है, क्या सोचा कभी मसीहों ने ? क्यों छल फ़ैलाकर तुम इसको,बस बाज़ार बनाते हो। भूतकाल पर दोष लगा कर,वर्तमान को रंग डाला! आरक्षण का जाल बिछाकर,गुणवत्ता को ठग डाला! बेशर्म शीर्ष के वोटों का हमको लालच ही खाया है। जो ज़हर बाँटते दुनिया को,उनको नायक बतलाया है। 'कर्म प्रधान विश्व करि राखा' ग्रंथ हमें बतलाते हैं! कर्म की महिमा गीता में हमको,कृष्ण स्वयं समझाते हैं। चीख़ चीख़ विज्ञान आज यहाँ कर्म की महिमा गाता है । फ़िर भी क्यों! अब भी हमें यह जातिवाद ही भाता है । #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #हमलिखतेरहेगें #गुलिस्ताँ #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine Collaborating with Shelly Jaggi
Divyanshu Pathak
परिवार कट गए हैं,परदेसों भटक रहे हैं। मिलने को अपनों से,अपने तड़प रहे हैं । थमे हुए पहिये जीवन के,उम्मीद आँख से बह निकली! मिल कर गले नहीं रो सकते,दूर-दूर ही सुबक रहे हैं। 'आग लगे जंगल' के जैसे- शहर हुए , बेघर हो मजदूर कार्मिक झुलस रहे हैं। सुन लो हे भगवान!हृदय के उठते क्रंदन, क़हर मिटाओ जल्दी करता मैं अभिवंदन! आदमी उम्मीदियाँ जीने की,अपनी खो रहे हैं। दूरी तय करने मीलों की,रोज़ मौत से झड़प रहे हैं। #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #हमलिखतेरहेंगे #गुलिस्ताँ #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine Collaborating with Shelly Jaggi