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सर आंखों पर रखने वाले साथी झूठे निकल गए, चार दिनों

सर आंखों पर रखने वाले साथी झूठे निकल गए,
चार दिनों परदेस में रहकर इज्जत करना भूल गए।

-सौरभ पांडेय

©साहित्य संजीवनी
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