जैसे-तैसे तो कट रही है ये ज़िन्दग़ी सिमट रही है एक पूरी थी ये ज़िन्दग़ी अब हादसों में बँट रही है ये ख़्वाब मैं ले जाऊँ कहाँ नींदें ही ख़्वाब लुट रही है पुरशोर हवा विराने से तन्हाई मुझसे लिपट रही है जब भी लगा कोई आया अपनी ही आहट रही है जब भी मैं रोया,उनके लब पे मुस्कुराहट रही है ©Aaina #ज़िन्दगी #हादसा #गजल #शायरी #WallTexture