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प्रसन्न (दोहे) जब प्रसन्न कोई दिखे, हो मन में उल्

प्रसन्न (दोहे)

जब प्रसन्न कोई दिखे, हो मन में उल्लास।
ईश्वर का वरदान ये, जो मानव में खास।।

मन प्रसन्न जिसका रहे, हो जीवन से आस।
मुख पर ही मुस्कान तब, घेरे उसके पास।।

जो प्रसन्न रहता सदा, होता भाव-विभोर।
मंगलमय जीवन रहे, मन में उठे हिलोर।।

प्रसन्नता ही ढाल है, रोके दुख के भाव।
जो उससे अब दूर है, मिलते उसको घाव।।

जीवन भी मुश्किल बने, रहता वही उदास।
मुख फेरे उससे सभी, रहे नहीं तब पास।।

ईश्वर के वरदान का, करो नहीं अपमान।
रह कर प्रसन्न तुम सदा, बनो सफल इंसान।।
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देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit 
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प्रसन्न

जब प्रसन्न कोई दिखे, हो मन में उल्लास।
ईश्वर का वरदान ये, जो मानव में खास।।

मन प्रसन्न जिसका रहे, हो जीवन से आस।
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Devesh Dixit

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