//बलात्कार// **************** मानव जन के रूप हजार, कुछ साधू कुछ व्यभिचार। जीवन में कुछ सदमार्ग चलते, कुछ करते हैं अत्याचार। मिले हैं जिसको जैसे संस्कार, उसके यहाँ वैसे विचार। कुछ में मानवता का संस्कार, कुछ करते हैं अत्याचार। जीवन की परिभाषा है ये, करना सबका खूब सत्कार। फिर इस संसार में जाने क्यूँ, कुछ करते है अत्याचार। इंसानियत की सबसे गंदी सोच, जो करते हैं बलात्कार। गंदी नीयत, सोच और कृत्य से, रूह भी करते तार-तार। हैवानियत की नहीं कोई जाति, ना ही कोई सही विचार। ज़िस्म से खेलते दानव सारे, मानवता को करते शर्मशार। कमी है ऐसे लोगों में, अच्छी परवरिश, संगत और संस्कार। नर पिशाच कहलाते है लोग, जो करते हैं ऐसा अत्याचार। बलात्कार (#kkबलात्कार) 28 अप्रैल 2021 मानव जन के रूप हजार, कुछ साधू कुछ व्यभिचार। जीवन में कुछ सदमार्ग चलते, कुछ करते हैं अत्याचार। मिले हैं जिसको जैसे संस्कार, उसके यहाँ वैसे विचार। कुछ में मानवता का संस्कार, कुछ करते हैं अत्याचार।