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Krish Vj
चीखती है, "चिल्लाती" है, मिन्नतें वो करती है मासूम निगाहों में वो अपना "दर्द" दिखाती हैं वास्ता देती "माँ-बहन" का उन "जालिमों" को हाथ जोड़, "अश्क" भर, "विनती" करती उनको हैवानियत की हद, "नोचते" उसको जानवरो सी कतरा-कतरा बहती "इज्ज़त" जिस्म की लहू सी ऐसे मानव क्या मानव? पशु से "अधम" जीवन वासना भरी मन में, कलंकित उनका ये जीवन पुरुष जितेन्द्रिय कहलाते फिर इसको लज्जाते है नारी "माँ" आधार पुरुष का हम क्यूँ भूल जाते है ना छोड़ते नन्ही बच्ची को बहनो को भूल जाते हैं क्षणिक सुख हेतु, जीवन नर्क उनका कर जाते हैं संस्कार ताक पर, शिक्षा ज्ञान विमुख करते पाप राक्षस सा हम करते, कोमल मन-शरीर पर वार मैं भी पुरुष हूँ अपराधी मातृ समाज का "कृष्णा" क्षमा प्रार्थी सबसे, रक्षा का अब वचन मेरा कृष्णा रमज़ान:_ बलात्कार (17/30) #कोराकाग़ज़ #kkr2021 #collabwithकोराकाग़ज़ #kkबलात्कार #रमज़ान_कोराकाग़ज़ #अल्फाज_ए_कृष्णा #बलात्कार #rape
Insprational Qoute
........ विषय:-#बलात्कार# ******************** सुबह थी आज की बड़ी सुहानी, सुनाती हूँ एक बेकसूर की कहानी, वो लाडली थी किसी के घर की लाज, खुले आसमान में सपने बुने उसने परवाज़, .
jagruti vagh
चीखे निकली समाज वालों बहुत पर नहीं ने उठाये कई सुनी किसी ने सवाल बुरे दर्द हुआ है जब मुझपे मुझे,पर तमाशा आफत आई तब हुआ लोगों को आप थे कहाँ गुनाह मेरा मेरी जगह नहीं,फिर भी गंदा अपनी माँ-बहन चरित्र मेरा को नहीं पाया दरिंदों ने ली अब तो हुई आज़ादी,पर मुझे नफरत खुद से चारदीवारी हूँ जा रही में #कोराकाग़ज़ #kkबलात्कार #collabwithकोराकाग़ज़ #रमज़ान_कोराकाग़ज़ #kkr2021 #tigreess
ashutosh anjan
बलात्कार चिंतन👇 अनुशीर्षक में पढ़े। आजकल हम टी वी पर देखते हैं,अखबारों में पढ़ते हैं रेप या बलात्कार की आठ दस घटनाएँ तो रोज हमारे संज्ञान में आती ही हैं। कभी कभी ये घटनाएँ बहुत हृदयविदारक और नृशंस होती है जैसे गैंगरेप और तड़पाकर कर अमानवीय तरीके से की गयी हत्या छोटी छोटी बच्चियों से दरिंदगी बाप या भाई या सगे सम्बन्धी द्वारा बारम्बार बलात्कार और सम्बंधित महिला या
अभिलाष सोनी
//बलात्कार// **************** मानव जन के रूप हजार, कुछ साधू कुछ व्यभिचार। जीवन में कुछ सदमार्ग चलते, कुछ करते हैं अत्याचार। मिले हैं जिसको जैसे संस्कार, उसके यहाँ वैसे विचार। कुछ में मानवता का संस्कार, कुछ करते हैं अत्याचार। जीवन की परिभाषा है ये, करना सबका खूब सत्कार। फिर इस संसार में जाने क्यूँ, कुछ करते है अत्याचार। इंसानियत की सबसे गंदी सोच, जो करते हैं बलात्कार। गंदी नीयत, सोच और कृत्य से, रूह भी करते तार-तार। हैवानियत की नहीं कोई जाति, ना ही कोई सही विचार। ज़िस्म से खेलते दानव सारे, मानवता को करते शर्मशार। कमी है ऐसे लोगों में, अच्छी परवरिश, संगत और संस्कार। नर पिशाच कहलाते है लोग, जो करते हैं ऐसा अत्याचार। बलात्कार (#kkबलात्कार) 28 अप्रैल 2021 मानव जन के रूप हजार, कुछ साधू कुछ व्यभिचार। जीवन में कुछ सदमार्ग चलते, कुछ करते हैं अत्याचार। मिले हैं जिसको जैसे संस्कार, उसके यहाँ वैसे विचार। कुछ में मानवता का संस्कार, कुछ करते हैं अत्याचार।
Writer1
कोसते हैं समाज को हम, बलात्कार को कुकर्म कहते हो, देतें हो बढावा वैहशीपन को, सामाज की मानसिकता पर उंगली करतें हो, बहु, बेटीयों के लिए अब यह दुनिया रहने के काबिल ना रही, बलात्कार अस्मिता का नहीं, समाज का होता, क्यों लुटी इज़्ज़त देख, आंसू बहाते हो। जागो भारतीय नारी, तू कोमलता नहीं, क्यों चंडी का रुप नहीं दिखाते हो, द्रौपदी का चीर हरण हुआ तो कौरवो का वंश मिटा,जताते हो, अब वक्त नहीं आंसू बहाने का, वक्त है दुष्टों का संहार करने का, चलो, समय बदला हैं, अब, क्यों सेल्फ डिफेंस करना नहीं सिखाते हो। जिस ऊमर में लाड प्यार चाहिए उस उम्र में मोबाइल हाथ थमाते हो, तकनीकीकरण को दे हवा, मासूम ऊमर में क्या क्या दिखाते हो, परवरिश पर गौर फरमाए ज़रा क्यों किसी बहु बेटी को गलत नज़र से देखो तुम, बिमार हो चुकी मानसिकता पर , फिर तुम क्यों किसी और को दोषी ठहिराते हो। #kkबलात्कार #रमज़ान_कोराकाग़ज़ #kkr2021 #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़
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बलात्कार वो सहमी सहमी सी रहती है,घुटन सी महसूस उसे हर लम्हा अपनी ज़िन्दगी में रहती है,चुप हो खामोश हो कहती नहीं किसी से जब रूह उसकी घायल हो जाती है,एक बेटी होने की कीमत ऐसी दरिंदगी से सामना कर चुकाती है, चला जाता है ईश्वर कहाँ जब साथ उसके दुष्कर्म का हादसा होता है बचा कर रखना चाहती ख़ुद को वहशी दरिंदों से जाने कैसे कब उनकी बुरी नजरों में आ जाती है वो,कभी मासूम बच्चियाँ तो कभी युवा बेटी उनकी दरिंदगी की शिकार हो जाती है,हो जाता घर से निकलना दुश्वार जब अपशब्द भरी फबतियों का सामना उसको करना पड़ता,ग़र हो जाती शिकार इस दरिंदगी का तो समाज उसे अपने तानों से उसको इतना हीनभावना से ग्रस्त है कर देता,होकर वो मजबूर जीने की तमन्ना से नफ़रत कर आत्महत्या को गले लगा इस दुनियाँ को अलविदा है कह जाती,होगा वो दिन कौन सा जब बेटियों को सही मायने में एक देवीय रूप से सम्मान दिया जायेगा। कभी समझने की कोशिश करना ऐ समाज के रखवालों तुम्हारी दकियानुसूर विचारधारा के कारण एक बच्ची एक युवा बेटी एक महिला इस हैवानियत का शिकार होती है। संस्कार बंदिश उन ऐसे इन्सान पर भी लागू करो जो इस दरिंदगी को अंजाम देते हैं। बाॅलीवुड फिल्में सोशल साइट्स पर आय दिन वीडियों मेकर ऐपस कहीं न कहीं जिम्मेदार है।जहाँ अश्लीलता परोस युवा पीढ़ी भटकती जा रही है एक लाईक के लिए सोशल साइट्स की दुनिया में मशहूर हो जाने के लिए कुछ युवा लड़की और लड़के कुछ भी कर जाते हैं जिनका असर छोटी उम्र के
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