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सुन.! पंख फैला उड़ गए पखेरू, अब तू का बैठी

सुन.!
पंख  फैला  उड़  गए  पखेरू,
अब तू  का  बैठी  ताक  रही।
विस्तृत नभ कबसे प्रतीक्षारत,
तेरे ‘आँगन’ से उसे जाना था।
...

©अबोध_मन//फरीदा
  #पंख #आस_उम्मीद #बिछड़ते_अपने  #अबोध_मन  #मुक्तक💝  #अबोध_मुक्तक #बदलते_रिश्ते 

सुन.!
पंख  फैला  उड़  गए  पखेरू,
अब तू  का  बैठी  ताक  रही।
विस्तृत नभ कबसे प्रतीक्षारत,
तेरे ‘आँगन’ से उसे जाना था।
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#पंख #आस_उम्मीद #बिछड़ते_अपने #अबोध_मन मुक्तक💝 #अबोध_मुक्तक #बदलते_रिश्ते सुन.! पंख फैला उड़ गए पखेरू, अब तू का बैठी ताक रही। विस्तृत नभ कबसे प्रतीक्षारत, तेरे ‘आँगन’ से उसे जाना था। ... #कविता #फ़क़तफरीदा

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