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अबोध_मन//फरीदा
मैं नज़्म कोई सुना रहा था वो बज़्म में मुस्कुरा रहा था। मैं लफ़्ज़ ’अदा’ कर रहा था वो ‘अदा’ से मायने बता रहा था। कंगन को हाथों में घुमाता जाने क्या वो कहना चाह रहा था। झुमको ने गालों को था चूमा, कैसे कैसे मुझे वो बहका रहा था। ख़्याल पढ़ते भी ख़्याल रुसवा, वो इश्क़ से मुझे भरमा रहा था। ... ©अबोध_मन//फरीदा #फ़क़तफरीदा #अबोध_मन #अबोध_ग़ज़ल #चाँद_इश्क़ #she_fireflies_moon_herlove
अबोध_मन//फरीदा
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अबोध_मन//फरीदा
कि कोई जल रहा, है कोई ढल रहा। जो कभी था मिला, अब वो निकल रहा। कोई है कहीं उदास, कोई यहाँ खिल रहा। मैं तन्हा सफ़र नहीं, रास्ता संग चल रहा। मैं धूप हूँ, साया नहीं, मुझमें अर्क पल रहा। भाव पढ़ पाया नहीं, अबोध सा मचल रहा। ©अबोध_मन//फरीदा #अबोध_मन #अबोध_poetry कि कोई जल रहा, है कोई ढल रहा। जो कभी था मिला, अब वो निकल रहा। कोई है कहीं उदास,
अबोध_मन//फरीदा
पल ये पलछिन ठहरे भला कब? बहता ही जाए, दो पल रोक लेने की ख्वाहिश दम तोड़ जाती है अक्सर! .... कुछ एक शब्द, खाली–खाली से; अर्थ रहित कोई उन्हें भावों से जोड़ जाए, कविता में ढल जाते हैं अक्सर ! ... ©अबोध_मन//फरीदा #अबोध_मन #अबोध_poetry #फ़क़तफरीदा पल ये पलछिन ठहरे भला कब? बहता ही जाए, दो पल रोक लेने की ख्वाहिश
अबोध_मन//फरीदा
सुन.! पंख फैला उड़ गए पखेरू, अब तू का बैठी ताक रही। विस्तृत नभ कबसे प्रतीक्षारत, तेरे ‘आँगन’ से उसे जाना था। ... ©अबोध_मन//फरीदा #पंख #आस_उम्मीद #बिछड़ते_अपने #अबोध_मन #मुक्तक💝 #अबोध_मुक्तक #बदलते_रिश्ते सुन.! पंख फैला उड़ गए पखेरू, अब तू का बैठी ताक रही। विस्तृत नभ कबसे प्रतीक्षारत, तेरे ‘आँगन’ से उसे जाना था। ...
अबोध_मन//फरीदा
ईद है आज ... फिर भी उदास हूँ... कि मेरी ईद तो उस दिन होगी जब तुम 'शाद' होगे... जब तुम साथ होगे..! ... ©अबोध_मन//फरीदा #EidChand #Eid_Mubark #अबोध_मन #फ़क़तफरीदा
अबोध_मन//फरीदा
BG:@arpiponders एक अबूझ पहेली थी तेरे आने से पहले, एक मुकम्मल तहरीर बनी हूँ तेरे आने के बाद। ... अबोध_मन//”फरीदा” ©अवरुद्ध मन #अबोध_मन #फ़क़तफरीदा
अबोध_मन//फरीदा
’इश्क़’ का क़ायदा है ऐसा.. कि जो छूट जाते हैं कहीं राहों में...उन्हें भी साथ में लेकर चलना होता है। फ़क़त दोपहर का सूरज ही नहीं, बर्फ़ सा चाँद भी तपिश ओढ़ लेता है, रात–दिन इश्क़ में जलना होता है। अबोध_मन//“फरीदा” . ©अवरुद्ध मन ’इश्क़’ का क़ायदा है ऐसा.. कि जो छूट जाते हैं कहीं राहों में...उन्हें भी साथ में लेकर चलना होता है। फ़क़त दोपहर का सूरज ही नहीं, बर्फ़ सा चाँद भी तपिश ओढ़ लेता है, रात–दिन इश्क़ में जलना होता है। #अबोध_मन//“फरीदा” #फ़क़तफरीदा #अबोध_मन #अबोध_poetry
अबोध_मन//फरीदा
||हाइकु|| ... विह्वल भाव, बर्फ़ से जमे घाव; ख़त्म लगाव। ... न है पड़ाव, न तारे टूटी नाव, डूबता गाँव, ... ख़ुद पे दाँव, जले न धूप पाँव, स्वयं अलाव। ... अबोध_मन//”फरीदा” ©अवरुद्ध मन ||हाइकु|| ... विह्वल भाव, बर्फ़ से जमे घाव; ख़त्म लगाव। ... न है पड़ाव, न तारे टूटी नाव,
अबोध_मन//फरीदा
कुछ ऐसे है छुआ.. तूने मुझे पिया कि इक तेरा प्रेम रंग साजे माेको.. रंग बाकी सारे के सारे बन बैठे हैं तेरे रकीब..! हाँ....अब तू मुझमें मुझसे ज्यादा है। ....... अबोध_मन//‘फरीदा’ ® ©अवरुद्ध मन #होलीकेरंग कुछ ऐसे है छुआ.. तूने मुझे पिया कि इक तेरा प्रेम रंग साजे माेको.. रंग बाकी