रिमझिम बरसे फुहार चल पड़ी बयार ठंडी छाई घटा अंबर पर ऐसे लो सावन की रिमझिम फुहार संग ले आई, लहलहा रही फसलें बयार में चहक रहे पंछी मोर नृत्य करते पंख फैलाये वातावरण की शुद्धिकरण हुई, मन भी हुआ हर्षित ऐसा मानों थोड़ा ही सही जीवन का कुछ तो ग़म इस बौछार में कम हुआ, भूल गये हम कुछ वक्त के जीवन के संघर्षों को नवचेतन मन में ऐसा जाग्रत हुआ, भीगे हम भीगे सारे ग़म कुछ तो मन का बोझ कम है हुआ, अबके लगी बरसात कुछ ऐसी पहली दफा हमने अपने मन को खुश है किया, पहला_चरण_रिमझिम कविता शीर्षक _रिमझिम बरसे फुहार (कविता) #रिमझिम #kkरिमझिम #कोराकाग़ज़रिमझिम #रिमझिमकविता #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #tarunasharma0004