अब कहीं लगता नहीं दिल हम भला जाएं कहाँ? भीड़ दिखती हर जगह पर कोई अपना है कहाँ? अब फ़क़त नाते हमारे बस नाम के ही रह गए! हर कहीं चलता है पैसा प्यार अब मिलता कहाँ। अब सुबह से शाम तक चलता यहाँ प्यापार है। चौके चूल्हे हैं मिट गए चौपाल भी बाज़ार है। अब अलावों के अलावा लोग जुटते हैं कहीं! अब बैठ घरवालों के संग में बात होती है कहाँ क्या हुआ है साथ तेरे हो गया मैं क्या करूँ! मैं तुम्हारी गलतियों पे शान्ति मेरी क्यों हरूँ? ब्रह्म ज्ञानी हो गए हैं बस ज्ञान दे जाते हैं सब! कोई पीड़ा ज़ख्म पर मरहम लगाता है कहाँ? अब कहीं लगता नहीं दिल हम भला जाएं कहाँ? भीड़ दिखती हर जगह पर कोई अपना है कहाँ? अब फ़क़त नाते हमारे बस नाम के ही रह गए! हर कहीं चलता है पैसा प्यार अब मिलता कहाँ। अब सुबह से शाम तक चलता यहाँ प्यापार है। चौके चूल्हे हैं मिट गए चौपाल भी बाज़ार है।