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लिखुँ जो ख़त तुझे , दिल अपना खोलकर रख दूँ, हर्फ़ ह

लिखुँ जो ख़त तुझे , दिल  अपना  खोलकर रख दूँ,
हर्फ़ हर्फ़ में उस ख़त के,प्रेम अपना घोलकर रख दूँ,

इतिहास  में  दर्ज   हो   जाये , वो पाती प्रेम से भरी,
हीर राँझा  से  इश्क़   सा , हर अक्षर तौलकर रख दूँ,

तोड़  दूँ  ख़ामोशी  अपनी , इज़हार इश्क़ का कर दूँ,
जो अब तक लब न कह पाए,वो बातें बोलकर रख दूँ,

वो पहली बार देखकर तुम्हे,जो धड़का था दिल मेरा,
दिल के हर कोने कोने से , मैं इश्क़ टटोलकर रख दूँ,

तुम  पढ़  लेना वो मेरा ख़त , मेरा इक़रार समझकर ,
तोड़ अब  ख़ामोशी अपनी,  इश्क़ मैं बोलकर रख दूँ ।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
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