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रिमझिम (ग़ज़ल) रिमझिम बारिश की बूँदे बदलती है अपन

रिमझिम (ग़ज़ल)

रिमझिम बारिश की बूँदे बदलती है अपना रूप,
कभी भाप तो कभी पानी लेकिन बरसती है तो धरा पर।

साफ करती है यह पत्तों की धूल और देती है नवचेतन, 
लेकिन ओस की बूँदे गिरती है तो सिर्फ धरा पर। 

बारिश की बूँदे दो प्रेमियों को भीगाकर कराती है मिलन,
दोनों को नई जिंदगी देकर गिरती है तो सिर्फ धरा पर। 

धरतीपुत्र के चेहरे पर चमक और मन को सुकून, 
देकर बरसती है रिमझिम बारिश की बूँदे धरा पर। 

भाप की बूँदे चाहे कितना भी छुप ले बादल में, 
सावन उसे गिराता है हमेंशा अपनी प्रेयसी धरा पर। 

-Nitesh Prajapati 


 रचना क्रमांक :-2

#रिमझिम
#kkरिमझिम
#कोराकाग़ज़रिमझिम
#रिमझिमग़ज़ल
#विशेषप्रतियोगिता
#collabwithकोराकाग़ज़
रिमझिम (ग़ज़ल)

रिमझिम बारिश की बूँदे बदलती है अपना रूप,
कभी भाप तो कभी पानी लेकिन बरसती है तो धरा पर।

साफ करती है यह पत्तों की धूल और देती है नवचेतन, 
लेकिन ओस की बूँदे गिरती है तो सिर्फ धरा पर। 

बारिश की बूँदे दो प्रेमियों को भीगाकर कराती है मिलन,
दोनों को नई जिंदगी देकर गिरती है तो सिर्फ धरा पर। 

धरतीपुत्र के चेहरे पर चमक और मन को सुकून, 
देकर बरसती है रिमझिम बारिश की बूँदे धरा पर। 

भाप की बूँदे चाहे कितना भी छुप ले बादल में, 
सावन उसे गिराता है हमेंशा अपनी प्रेयसी धरा पर। 

-Nitesh Prajapati 


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