1) कविता :-रिमझिम बिन तेरे तपन को बढ़ाती है यह बारिश की बूँदें मन को मेरे, तिल तिल जलाती बारिश की बूँदें सावन अधूरा तुम बिन, आँखों में ये नमी सी है भीगता सिर्फ़ यह तन, मन सुखाती है यह बूँदें मिट्टी की महक याद दिलाती, सोंधी खुशबु तेरी प्यासा हूँ, सावन में भी, बरसती बारिश की बूँदें यादों का सावन निराला, ताकती पलकें मेरी ये यार कहाँ मिलने वाला, 'तड़पाती' मुझे यह बूँदें रिमझिम बरसती घटायें, ये ख़्वाब तोड़ जाती है मिलन होगा सावन में, पर रह जाती है यह बूँदें #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkरिमझिम #रिमझिमकविता #कोराकाग़ज़रिमझिम #रिमझिम