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चलो वहां चले जहां तुम और मैं हों, गीत गाते झरने हो

चलो वहां चले जहां तुम और मैं हों,
गीत गाते झरने हों, गुस्से में गरजते बादल हों,
प्रेम में झुके पहाड़ हो, खूबसूरत नजारे हों
चलो वहां चले जहां तुम और में हों
हमको बुलाते रास्ते हों, जहां प्रेम की सौगात हों
खिलते रंग बिरंगे फूल हों, जहां खुला आसमान हों,
सूरज आके हमें जगाए, चांद लोरी सुनाकर सुलाए,
चलो वहां चले जहां तुम और मैं हों
फिर हम तुम भी फूलों से महकते हों,
इस दुनियां से कहीं दूर, प्रकृति के हम तुम करीब हों
इस द्वेष, ईर्ष्या, हीनता से दूर हों 
ऐ, चलो ना वहां चले जहां हम तुम हों।।

©ATUL_NISHABD
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