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विरह की रैना आँसू बनकर, गंगा जमुना सी बहती जाये। य

विरह की रैना आँसू बनकर, गंगा जमुना सी बहती जाये।
याद पिया की आकर मन में,व्याकुल जिया को करती जाये।।

©Shubham Bhardwaj
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