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कोसते हैं समाज को हम, बलात्कार को कुकर्म कहते हो,

कोसते हैं समाज को हम, बलात्कार को कुकर्म कहते हो,
देतें हो बढावा वैहशीपन को, सामाज की मानसिकता पर उंगली करतें हो,
बहु, बेटीयों के लिए अब यह दुनिया रहने के काबिल ना रही,
बलात्कार अस्मिता का नहीं, समाज का होता, क्यों लुटी इज़्ज़त देख, आंसू बहाते हो।

जागो भारतीय नारी,‌ तू‌ कोमलता नहीं, क्यों चंडी का रुप नहीं दिखाते हो,
द्रौपदी  का  चीर  हरण  हुआ  तो  कौरवो  का  वंश  मिटा,जताते हो,
अब वक्त नहीं आंसू बहाने का, वक्त है दुष्टों का संहार करने का,
चलो, समय बदला हैं, अब, क्यों सेल्फ डिफेंस करना नहीं सिखाते हो।

जिस ऊमर में लाड प्यार चाहिए ‌उस उम्र में मोबाइल हाथ थमाते हो,
तकनीकीकरण को दे हवा, मासूम ऊमर में क्या क्या दिखाते हो,
परवरिश पर गौर फरमाए ज़रा क्यों किसी बहु बेटी को गलत नज़र से देखो तुम,
बिमार हो चुकी मानसिकता पर , फिर तुम क्यों किसी और को दोषी ठहिराते हो। #kkबलात्कार 
#रमज़ान_कोराकाग़ज़ 
#kkr2021 
#कोराकाग़ज़ 
#collabwithकोराकाग़ज़
कोसते हैं समाज को हम, बलात्कार को कुकर्म कहते हो,
देतें हो बढावा वैहशीपन को, सामाज की मानसिकता पर उंगली करतें हो,
बहु, बेटीयों के लिए अब यह दुनिया रहने के काबिल ना रही,
बलात्कार अस्मिता का नहीं, समाज का होता, क्यों लुटी इज़्ज़त देख, आंसू बहाते हो।

जागो भारतीय नारी,‌ तू‌ कोमलता नहीं, क्यों चंडी का रुप नहीं दिखाते हो,
द्रौपदी  का  चीर  हरण  हुआ  तो  कौरवो  का  वंश  मिटा,जताते हो,
अब वक्त नहीं आंसू बहाने का, वक्त है दुष्टों का संहार करने का,
चलो, समय बदला हैं, अब, क्यों सेल्फ डिफेंस करना नहीं सिखाते हो।

जिस ऊमर में लाड प्यार चाहिए ‌उस उम्र में मोबाइल हाथ थमाते हो,
तकनीकीकरण को दे हवा, मासूम ऊमर में क्या क्या दिखाते हो,
परवरिश पर गौर फरमाए ज़रा क्यों किसी बहु बेटी को गलत नज़र से देखो तुम,
बिमार हो चुकी मानसिकता पर , फिर तुम क्यों किसी और को दोषी ठहिराते हो। #kkबलात्कार 
#रमज़ान_कोराकाग़ज़ 
#kkr2021 
#कोराकाग़ज़ 
#collabwithकोराकाग़ज़