*शीर्षक* - *सावन की बूँदें* सावन की बूँदें धरा को भिगोने लगी हैं, माटी की खुशबू मन मोहने लगी है! कैसे समझाऊँ सोनू इस विरहन को, जो साजन से मिलने को तरसने लगी है। सरहद की सरहदों मे है मोरा पिया, बरबस ही फिर से आज ई बूँदे मन को रिझाने लगी हैं, की यूँ तो सकुन है म्हारे पिया जी याद साथ है, हो जाती अब भी फोन पर बात है, कर लेवे है सब से बात...बस म्हारे में खोट दिखावन लागे है। कभी हसावे कभी रुलाए और कभी मन के तार झुलसाए है... कसम से पीआ जी ई सावन की विरहन बड़ा सताए है। देश के जवानों को समर्पित 🙏🏻 *जय हिंद* ©अभिषेक मिश्रा "अभि" #विरहन_सावन_की #सोनू_की_कलम_से #अल्फाज़ #rain