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हम खड़े छत पर हमारे सामने समंदर है मिल गई दिल

   हम खड़े छत पर हमारे सामने समंदर है
  मिल गई दिल को सुकू बेहद हसीन मंजर है
  
    खेल कर लहरें हवाओं से कभी थक  जाती है
    कुछ घड़ी आराम करने मेरे दर पे आती हैं
       खलबली  मचती है उनसे मिल के दिल के अंदर है
   इश्क है कुदरत से हमको हम यहां पर आ गए
   घोंसला अपना बनाया यूं किनारे भा गए
         दिल हुआ गमगीन जब आती कोई बवंडर है
    हलचलें  बेहद है प्यारी सुरमई संगीत है
    दिल को लगता है गुनगुनाती जलपरी कोई गीत है
           दिल्लगी इससे है बेखुद यह भले ही बंजर है

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
  # समंदर का किनारा

# समंदर का किनारा #शायरी

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