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वो रातें जो जाग कर निकलती है जिसमें हर इक पल में अ

वो रातें जो जाग कर निकलती है
जिसमें हर इक पल में अंधेरा आपके मन रूपी
भवनों/इमारतों/मकानों
की 
भावनाओं/जज्बातों/ख्वाबों खयालातों रूपी
कंद्राओं ओर शिलाओं
 ओर द्वंद एवम कुंठाओ रूपी खिड़कियों / रोशनदानों से 
आर पार होता हुआ
किसी अनजान अनंत अगमय जगह 
पर घर करता हुआ बैठता चला जाता है
उन रातों की भोर होने में ओर सुबह होने 
काफी बरसो का असीमित समय लग जाता है,,,...

©Rakesh frnds4ever
  #WoRaat 
वो #रातें  जो जाग कर निकलती है
जिसमें हर इक पल में #अंधेरा  आपके #मन  रूपी
भवनों/इमारतों/मकानों
की 
#भावनाओं /जज्बातों/ख्वाबों खयालातों रूपी
#कंद्राओं ओर शिलाओं
 ओर द्वंद एवम #कुंठाओ  रूपी खिड़कियों / रोशनदानों से

#WoRaat वो #रातें जो जाग कर निकलती है जिसमें हर इक पल में #अंधेरा आपके #मन रूपी भवनों/इमारतों/मकानों की #भावनाओं /जज्बातों/ख्वाबों खयालातों रूपी #कंद्राओं ओर शिलाओं ओर द्वंद एवम #कुंठाओ रूपी खिड़कियों / रोशनदानों से #सुबह #ज़िन्दगी #भोर #rakeshfrnds4ever

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