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इज़्ज़त की ख़ातिर (ग़ज़ल) कभी-कभी किताबों के पयाम मे

इज़्ज़त की ख़ातिर (ग़ज़ल)
कभी-कभी  किताबों  के  पयाम में  मिल  लेना,
जो ना दिखूँ  दोपहरी तक  शाम  में मिल  लेना।
तुमसे मिलकर  तुम्हें  मिज़ाज़-ए-दिल बताना है,
महफ़िल में नही इक दफ़ा आराम में मिल लेना।
हिचकी  भी  आए  और  मिलने  में  भी लगें डर,
हक़ीकत में न सही कुछ एहतिमाम में मिल लेना।
इज़्ज़त की ख़ातिर नही कर सकता दिल का सौदा,
निकलना घर से तो बहानों से काम मे मिल लेना। #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #रमज़ान_कोराकाग़ज़ #kkr2021 #kkइज़्ज़तकीख़ातिर #yqbaba #yqdidi #आशुतोष_अंजान
इज़्ज़त की ख़ातिर (ग़ज़ल)
कभी-कभी  किताबों  के  पयाम में  मिल  लेना,
जो ना दिखूँ  दोपहरी तक  शाम  में मिल  लेना।
तुमसे मिलकर  तुम्हें  मिज़ाज़-ए-दिल बताना है,
महफ़िल में नही इक दफ़ा आराम में मिल लेना।
हिचकी  भी  आए  और  मिलने  में  भी लगें डर,
हक़ीकत में न सही कुछ एहतिमाम में मिल लेना।
इज़्ज़त की ख़ातिर नही कर सकता दिल का सौदा,
निकलना घर से तो बहानों से काम मे मिल लेना। #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #रमज़ान_कोराकाग़ज़ #kkr2021 #kkइज़्ज़तकीख़ातिर #yqbaba #yqdidi #आशुतोष_अंजान