इज़्ज़त की ख़ातिर (ग़ज़ल) कभी-कभी किताबों के पयाम में मिल लेना, जो ना दिखूँ दोपहरी तक शाम में मिल लेना। तुमसे मिलकर तुम्हें मिज़ाज़-ए-दिल बताना है, महफ़िल में नही इक दफ़ा आराम में मिल लेना। हिचकी भी आए और मिलने में भी लगें डर, हक़ीकत में न सही कुछ एहतिमाम में मिल लेना। इज़्ज़त की ख़ातिर नही कर सकता दिल का सौदा, निकलना घर से तो बहानों से काम मे मिल लेना। #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #रमज़ान_कोराकाग़ज़ #kkr2021 #kkइज़्ज़तकीख़ातिर #yqbaba #yqdidi #आशुतोष_अंजान