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ashutosh anjan
मकाँ के रास्ते बदलें ताकि मंज़िल का रास्ता मिल जाए लेकिन, हार मानने का इरादा नही है हमारा। दिनों दिन हमने किताबों की ख़ाक छानी है,असफलताएं ओढ़ी है मग़र हौसला टूटा नही हमारा। अंतहीन सफ़र में चुका दी इतनी लागतें कि उसपर भी अधिकार सा है दिल टूटा सही मग़र इश्क़ तो इश्क़ है हमारा हमनें बंद दरवाज़ों और खिड़कियों में अनगिनत साँसे ली बल्बों को ही सूर्य समझा ऐसे तो ख़त्म नही होगा सफ़र हमारा। हम जरूर इक रोज़ कुछ बड़ा करेंगे!! #cinemagraph #yourquotedidi #yourquotebaba #कोराकाग़ज़ #collabwithrestzone #collabwithकोराकाग़ज़ #yqdidi #आशुतोष_अंजान
ashutosh anjan
सफ़र ख़त्म नही हुआ और मैं चलता रहा धीरे-धीरे, धूप ज़िंदगी की निकली मग़र मैं ढलता रहा धीरे-धीरे। मेरी बर्बादियों का अंदाज़ा तो मेरी सूरत से न होगा, मैं इक बुझा हुआ चिराग़ था जो जलता रहा धीरे-धीरे। मेरे क़दमो के निशां बयाबां में ढूंढ़ने वालों से पूछो, कांटो में भी रहकर दिल मेरा मचलता रहा धीरे-धीरे। और एक शख्स जो बचपन से मेरा अंदर रहता है, 'अंजान' ख़्वाहिशों में भी दबकर पलता रहा धीरे-धीरे। ♥️ Challenge-977 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
ashutosh anjan
स्वभाव की ऊष्णता हो या ज़बान की तीक्ष्णता जीवन भले बना हो एक रेत का महल लेकिन सनद रहें जहाँ मन की गंगोत्री से बस निकल पड़ती है नेह की एक धारा और बहती रहती है, रिश्तों की नदी वहाँ बचें रह जाते है,कटार की नोंक पर रखें संबंध भी। #yqdidi #yqbaba #yourquote #yourquotehindi #yourquotedidi #life #collabwithकोराकाग़ज़ #आशुतोष_अंजान
ashutosh anjan
सबको चाहिए था प्रेम मगर सबको मिला नही सबको बस हर रूप रंग रिश्तें में बस प्रेम 'पाना' था किसी को नही आया प्रेम 'देने' का ख़्याल भी...! #yqdidi #yqbaba #love #yqpoetry #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #आशुतोष_अंजान
ashutosh anjan
कुछ तो बस ख़्वाब देखते रहते है, कुछ बस मन ही मन प्यार के बीज़ बोते है वो तमन्ना रखतें है एक प्यार की! जिसके इंतज़ार में वो गुज़ार देते है एक उम्र लेकिन उन्हें क्या पता जीवन उनका होता है एक ऊसर मरुभूमि जैसा जहां बस नागफ़नी उग सकती है, कांटो के बीच कोई ग़ुलाब नही।।— % & #yqdidi #yqbaba #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #yourquotedidi #poetry #asetheticthoughts #आशुतोष_अंजान
ashutosh anjan
आवारा सपने लिए आँखे बेदार होती जा रही है, साँसे बंद नही लेकिन दुश्वार होती जा रही है। ख़्वाहिशों का भार जैसे कंधों पर बढ़ता गया, दर्द नही है लेकिन ज़िंदगी कटार होती जा रही है। यक़ीनन मेरी जिंदगी एक खुली क़िताब जैसी है, तभी मेरी मंज़िल हफ़्ते का इतवार होती जा रही है। तेरे सवालों का शोर इस क़दर फैला है मेरे ज़हन में, मेरी आँखें तेरे दीदार की तलबगार होती जा रही है। अब तो दरख्तों पर भी नए नए फूल उग आए है, एक उम्मीद है जो टूटकर बेज़ार होती जा रही है। मरने के बाद भी ज़िंदगी खबरों में रहती है 'अंजान', तभी ज़िंदगी रोज़ नया अख़बार होती जा रही है। आवारा सपने (ग़ज़ल) ख़्वाबों की ज़ुस्तज़ू है आँखे बेदार होती जा रही है, साँसे बंद नही लेकिन दुश्वार होती जा रही है। ख़्वाहिशों का भार जैसे कंधों पर बढ़ता गया, दर्द नही है लेकिन ज़िंदगी कटार होती जा रही है।
ashutosh anjan
तुम्हारी होठों की तलब(ग़ज़ल) खींच लाती है अक्सर गली में तेरे पायल की झंकार मुझें, तेरे पैरहन की ख़ुशबू ने कर रखा है जीना दुश्वार मुझें। तुम्हारी होठों की तलब में भूल बैठा हूँ सारी दुनिया को मैं, ख़ुद की बर्बादी के नज़र आने लगे है हर आसार मुझें। चलते चलते अब राहों के कंकड़ से उलझ जाया करता हूँ, कंकड़ की बात छोड़िए नज़र नही आती कोई दीवार मुझें। यार कहते थे कि डूब जाएगा इक रोज़ इश्क़ के दरिया में, डूबने लगा तो उसका हाथ ही नज़र आया पतवार मुझें। #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #kkतेरेहोंठोंकीतलब #yourquotedidi #yourquotebaba #आशुतोष_अंजान
ashutosh anjan
तेरी पाज़ेब(ग़ज़ल) मेरी परछाई में तेरा तस्व्वुर साथ आता है, अंधेरे रास्तों को रौशन करने चाँद आता है। तेरी तस्वीर से अब तिश्नगी मिटती नही मेरी, लेकिन महफ़िल छोड़ कौन सहरा में आता है। हर क़दम पर हुस्न के ऐसे फ़रेब फ़ैले हुए है, सफ़र शुरू करते ही ख़तरे में 'ईमान' आता है। उठती नज़रों के साथ पाज़ेब की खनक तेरी, फ़िर क्यों छेड़खानी का इल्ज़ाम हमपे आता है। #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #kkतेरीपाजेब #yqdidi #yqbaba #आशुतोष_अंजान
ashutosh anjan
ये दिखावें का अपनापन ये झूठा प्यार अब अच्छा नही लगता, पानी के माफ़िक साफ है सब शब्द ऐतबार अच्छा नही लगता। वो लहज़ा वो यादें वो फ़ोन का बजना परेशान करता है मुझें, जो टूटा हो इंसान तब इनकार को इक़रार अच्छा नही लगता। ख़्वाबों के पंख कट गए उम्मीदें थकी थकी सी मालूम होती है, होता है मनभेद तो ये रोज़ रोज़ का तक़रार अच्छा नही लगता। जब पत्थर दिल हो हमसफ़र तो किससे कही जाए दिल की बातें, सांस चल रही है मग़र हर बार प्यार को प्यार अच्छा नही लगता। कितनी दफ़ा गिरकर अपने पैरों पर चलना सीख पाया हूँ अंजान, मत आओ ज़हन में अब मेरे गिरना बार बार अच्छा नही लगता। पत्थर दिल हमसफ़र(ग़ज़ल) ये दिखावें का अपनापन ये झूठा प्यार अब अच्छा नही लगता, पानी के माफ़िक साफ है सब शब्द ऐतबार अच्छा नही लगता। वो लहज़ा वो यादें वो फ़ोन का बजना परेशान करता है मुझें, जो टूटा हो इंसान तब इनकार को इक़रार अच्छा नही लगता।
ashutosh anjan
दिल के उलझें बिखरें तारों को सुलझाऊँ कैसे, नज़दीकियाँ हमारें दरमियाँ फ़िर बढ़ाऊँ कैसे। बहती नदी सा वक़्त अब इम्तिहानों में गुज़रता है, बिन इम्तिहाँ के नाव दिल की पार लगाऊँ कैसे। सुना है! क़दम बस महफिल में पड़ते है उनके, इक पल में अपनी तरबियत भूल जाऊँ कैसे। तन्हाई से रुसवाईयाँ भी बहुत है मुझें मग़र, सर-ए-बज़्मो दिलचस्पी बढाऊँ तो बढाऊँ कैसे। अजी! मोबाइल के ज़मानें में कौन मांगता है पता, अब ख़त लिखकर फिर हाल-ए-दिल बताऊँ कैसे। उसके हुस्न की जादूगरी से सिल जाते है लब मेरे, 'अंजान'अपनी कहानी मंज़िल तक पहुँचाऊँ कैसे। बहती नदी सा वक़्त(ग़ज़ल) #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #kkबहतीनदीसावक़्त #yqbaba