Nojoto: Largest Storytelling Platform

गरल (दोहे) गरल भरे मन में यहाँ, देखो जो इंसान। कष

गरल (दोहे)

गरल भरे मन में यहाँ, देखो जो इंसान।
कष्ट भोगता है वही, कहते हैं भगवान।।

दुष्ट धरे जो भावना, वो बदले की राह।
मर्म उसे सोहे नहीं, करे गरल की चाह।।

गरल धरे जो कंठ में, वो हैं भोले नाथ।
दुष्टों का संहार कर, भक्तों का दें साथ।।

करे गरल का त्याग जो, सज्जन उसको मान।
छोड़ सभी वह द्वेष को, करता सुख का पान।।

गरल भरे आस्तीन में, छिप कर करता वार।
अपमानित होता तभी, मन में रखता भार।।
..............................................................
देवेश दीक्षित
स्वरचित एवं मौलिक

©Devesh Dixit 
  #गरल #दोहे #nojotohindipoetry 

गरल (दोहे)

गरल भरे मन में यहाँ, देखो जो इंसान।
कष्ट भोगता है वही, कहते हैं भगवान।।

दुष्ट धरे जो भावना, वो बदले की राह।
deveshdixit4847

Devesh Dixit

New Creator

#गरल #दोहे #nojotohindipoetry गरल (दोहे) गरल भरे मन में यहाँ, देखो जो इंसान। कष्ट भोगता है वही, कहते हैं भगवान।। दुष्ट धरे जो भावना, वो बदले की राह। #Knowledge #sandiprohila

459 Views