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ये रौनकें,ये चकाचौंध आंखों में चुबती हैं,,, जैसे

ये रौनकें,ये चकाचौंध 
आंखों में चुबती हैं,,,
जैसे कि नस्तर चूबते हों
जैसे की पांव में शूल और शीशा चुबता हो


संसार की सारी वस्तुओं से दिल और मन ऊब गया है
दिमाग़ में हरदम अनंत विचारों का सृजन होता है 
सब कुछ असंतुष्ट लगता है


मन बैचानियों की अपार सीमाओं के घेरे में कैद हो चुका है
क्यों, क्यों, क्यों,,,....

क्यों हुआ ये क्या हुआ है
कोई बता दे भला,,,............

©Rakesh frnds4ever
  #duniya 
ये #रौनकें ,ये #चकाचौंध 
आंखों में चुबती हैं,,,
जैसे कि #नस्तर  चूबते हों
जैसे की पांव में #शूल  और शीशा चुबता हो
#संसार  की सारी वस्तुओं से दिल और मन #ऊब  गया है
दिमाग़ में हरदम अनंत विचारों का #सृजन होता है 
सब कुछ असंतुष्ट लगता है

#duniya ये #रौनकें ,ये #चकाचौंध आंखों में चुबती हैं,,, जैसे कि #नस्तर चूबते हों जैसे की पांव में #शूल और शीशा चुबता हो #संसार की सारी वस्तुओं से दिल और मन #ऊब गया है दिमाग़ में हरदम अनंत विचारों का #सृजन होता है सब कुछ असंतुष्ट लगता है #क्यों #ज़िन्दगी #rakeshfrnds4ever

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