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’इश्क़’ का क़ायदा है ऐसा.. कि जो छूट जाते हैं कहीं

’इश्क़’ का क़ायदा है ऐसा.. कि जो छूट जाते हैं
कहीं राहों में...उन्हें भी साथ में लेकर चलना होता है।
फ़क़त दोपहर का सूरज ही नहीं, बर्फ़ सा चाँद भी
तपिश ओढ़ लेता है, रात–दिन इश्क़ में जलना होता है।


अबोध_मन//“फरीदा”





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©अवरुद्ध मन
  ’इश्क़’ का क़ायदा है ऐसा.. कि जो छूट जाते हैं
कहीं राहों में...उन्हें भी साथ में लेकर चलना होता है।
फ़क़त दोपहर का सूरज ही नहीं, बर्फ़ सा चाँद भी
तपिश ओढ़ लेता है, रात–दिन इश्क़ में जलना होता है।


#अबोध_मन//“फरीदा”
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’इश्क़’ का क़ायदा है ऐसा.. कि जो छूट जाते हैं कहीं राहों में...उन्हें भी साथ में लेकर चलना होता है। फ़क़त दोपहर का सूरज ही नहीं, बर्फ़ सा चाँद भी तपिश ओढ़ लेता है, रात–दिन इश्क़ में जलना होता है। #अबोध_मन//“फरीदा” #फ़क़तफरीदा #अबोध_मन #अबोध_poetry #शायरी

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