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bhaveshlokhande6070
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Bhavesh Lokhande

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Bhavesh Lokhande

मिरे सिर पर आसमाँ पाँव में जमीं कायम रखता है 

मिरा बाप आज भी मिरे सिरहाने तकिया रखता है


मैने देखा नही खुदा को कभी जमींपर दोस्त

मिरा बाप मुज़पर खुदा जितनी रहमत रखता है



-भावेश 'मुन्तज़िर' #happyfathersday
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#father
#urdu
#hindi
#rekhta
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Bhavesh Lokhande

इथले असले अनाठायी ...कसले कुठले केव्हाचे हे सारे संचित... देवळाच्या कळसावरचे कावळे तसे विचार... आत झोपतो एक बुद्ध शांत... पण तो खूप खोल आत... तिथला प्रवास नाही झेपत... बुद्ध नाही सापडत...  त्याचे अधोन्मलित नयन... त्याचा धीरोदात्त चेहरा... अगम्य तिच्या वागण्याचे हे सारे ओझे वाहताना तो दगड होत जातो...त्याच्या होण्याचे न होण्याचे मग उरत नाही महत्व... अस्तित्वहीन मग तो धावत राहतो अश्वथाम्यासारखा... डोक्यावर भळभळणारी जखम घेऊन... मरहम मागत फिरतो... आपल्याच भगव्या शेल्याची शकले करत... त्या चिंध्या कपाळावर बांधत... मग रात्रीला चंद्र बघवत नाही अन दिवस होतो दिवाभीत... एका वादळाला छातीत भरत तो हेलकावत हवा होतो...जन्माचे सारे दावे मग एकदाच उभे राहतात न्यायाच्या प्रतीक्षेत... त्याने कुणाकुणाला खुश करावे जो स्वतःच दुःखाच्या गर्दीशीत विस्कळून पडलाय... तिच्या संदर्भांत देखील नाही... ना तिच्या बोलण्यात त्याचा ओझरता उल्लेख... या कसल्या शिक्षा... विधात्यापेक्षा का मोठे मुन्सिफ ते दोघे... कुठले हे दावे... कुठल्या या शिक्षा...
  ज्वालामुखी दडवलाय त्यांनी मनांत... तिच्या मनात कमालीची चीड आहे त्याच्यासाठी... त्याने असे तोडून टाकायला नको होतं तिला कधी... त्याला राग आहे तिचा प्रचंड... पुन्हा एकदा नको का बोलायला होते तिने... एखादे खेळणे तोडावे तसे तोडले त्याने तिचे मन... अन पुन्हा तिच्याकडे वळून हि नाही पाहिले... तीही गेली रागावून... अपमानाचे कढ अंतरी दाबून...
 तिच्या उधाणलेल्या श्वासांच्या लाटा...अन दूर किनाऱ्यावर त्याचे नाव... लांब चाललेलं त्याचे गाव... पुसटसा तो... तिच्या आत असतो नेहमी...
चदरियां झिनी रे झिनी... 
-भावेश #अगम्य #बुद्ध #प्रेम #आयुष्य #मन #तळ #भावेश #भावेश_मुन्तज़िर #love #life

अगम्य बुद्ध प्रेम आयुष्य मन तळ भावेश भावेश_मुन्तज़िर love life

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Bhavesh Lokhande

तुम चले गए उस रात

हम बडी देर तक तकिया लेकर बैठे रहे

रातभर बारीश होती रही

तकिया भिगती रही 

सुबह होते ही बारीश थम गयी

मैने तकिये को सिरहाने लिया 

गिले रूई कि महक आयी 

गाल पर पानी कि बुंदे छुती रही

मै सोचता रहा 

ये रात कि कमाई तो नही

के मै अब खाली सा हूं

और तकिया भारी भारी सी 


-भावेश 'मुन्तज़िर' #PoetInYou #Muntazir
#Bhavesh
#poem
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Bhavesh Lokhande

LAFZON KO NA DI DIKKAT
NA HOTHON NE JURRAT KI
HUM RAHE KHAMOSH
UNHONE BHI NA KOSHISH KI


- BHAVESH 'MUNTAZIR' #muntazir #shayari #khamoshi #love #life #hindipoetry
 #wordporn #wordswag #writeaway #thoughts
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Bhavesh Lokhande

#कभी_कभी #Kabhi_Kabhi #Jajbaat #firstpost #Hindi #Najm
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Bhavesh Lokhande

#Pehlealfaaz  कभी कभी मेरे दिल में ये ख़याल आता है  की

जला दु सारी कविताएँ अपनी ,सारी नज़्मे की

लिखा था जिनको तुम्हारी याद में कभी 

जिनकी हसरत तुम थी 

जिस वजह से उतरे थे अल्फ़ाज़ कागज़ पर कभी 

वो अब बाकी नहीं 

अब तुम नहीं ,ना तनहाई भी 

कभी कभी मेरे दिल में ये ख़याल आता है  की 

बसर हो रही है जिंदगी यु सालदरसाल 

दरअसल कम असर हो रहा है ग़म गर जुदाई का 

की फ़िराक की शबे भी अब इतनी मायूस नहीं 

तो फिर करू क्या इन लिखावटोंकी पूँजीका 

जो दरअसल चंद आसूओंकी 

और चंद हसीं की 

बस एक रंगबिरंगी कहानी है और 

लम्हातोंकी लिखी हुई जबानी है 

और बस 

कुछ थब्बे है ,स्याहि के 

, उनमेसे कुछ आसूओंके भी है

कुछ तजुर्बे से लिखे है 

कुछ बेतजुर्ब है 

ताज्जुब है की 

मिटते नहीं है ये अब 

चुनांचे 

कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है की 

जला दु सारी कविताएँ अपनी ,सारी नज़्मे की

लिखा था जिनको तुम्हारी याद में कभी 

जिनकी हसरत तुम थी 

जिस वजह से उतरे थे अल्फ़ाज़ कागज़ पर कभी 

वो अब बाकी नहीं 

अब तुम नहीं ,ना तनहाई भी 

- भावेश #कभीकभी #साहीर #poetry #shayari #lonely #emptiness #freeread
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Bhavesh Lokhande

कोई जिन्दा भी है यहां

की सब लाशे ठंडी पड चुकी ?

ये बदहवस ये बदगुमाँसी हवा

शहरोंको साँस लेने नहीं देती

गावोंको तो खा गयी कबकी

अब इन्सानियत को पनपने नहीं देती

हम परचम भी लहराये इन्किलाब के

इनके खिलाफ

जमानेभर की बेरुखी इन्किलाब होने नहीं देती

न सर है ना पाँव है ना हात है न अंग

जातिवाद की दीमक हमे तरक़्क़ी से मसरूफ़ होने नहीं देती

बरपता रहता है रातभर मुर्दाखोरोंका कहर

तेरे शहर की लाइटे मेरे लाश को सोने नहीं देती


-भावेश कोई जिन्दा भी है यहां...
#people
#truewords #casteism #life #citylife #ibquilab

कोई जिन्दा भी है यहां... #people #TrueWords #casteism #Life #citylife #ibquilab #कविता

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Bhavesh Lokhande

परिंदो की ज़बान भी कुछ अजीब है 

मुहब्बत जताने के लिए अल्फ़ाज़ नहीं लगते 

ज़िंदगी गुजर जाती है इन्सान की ए दोस्त 

थकती है जुबाँ इज़हार-ए-मुहब्बत करते करते 

-भावेश #wordgasm #love #life #philosophy
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Bhavesh Lokhande

गहरा तो संमदर भी हैं मगर आसमाँसा नहीं

गमगीं तो तुम भी हो दर्द मगर मुज़सा नहीं

-भावेश  #horizon #sky #skyline #emptyness #traveldiaries
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Bhavesh Lokhande

एक झलक' दूर जाना ही मुकद्दर है
तो क्युँ न हसके विदा ले हम
अश्क अक्सर बेबस होते है
तरसेंगे तेरी एक झलक के लिए हम #words #shayari #pain #lonely
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