मंजिलों की मुसाफिर हूँ राहों से बेपनाह मोहब्बत है ख्वाबों की शहजादी हूँ आशिकों से नफरत है........🙅 मत नापिए मेरी शायरियो से मेरी शख्सियत को .......... जिंदा हूँ अभी महफिल में तो समझिये मेरी अहमियत को .....💞 कभी कभी खुद को खुद से हीं आजमाती हूं भिगो कर दर्द को स्याही में फिर अल्फाजों से पन्ने को सजाती हूं ....🖋🖋
Shukla Sakshi
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