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Prakash Vidyarthi
White "प्रथा स्वयंवर होता" ::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::: काश फिर से कोई प्रथा स्वयंवर होता। नीचे स्वतंत्र धरती ऊपर खुला अम्बर होता।। मिलता सबको आमंत्रण सब धुरंधर होता। न कल छपत किसी के अन्दर होता।। भेदता कोई जन मानव मछली की आँखें सही आंसर होता। बन जाते सारथी कान्हा जीवन में न भूमि कोई बंजर होता।। प्रेमी अपनी प्रतिष्ठा में जाता सात समन्दर होता। प्रेम की परीक्षा में जो जीता वहीं सिकन्दर होता।। कोई भी राम सीता लखन कोई बजरंगी बन्दर होता। जाती धर्म के बन्धन से परे मुहब्बत का मंतर होता।। न कोई बड़ा न कोई छोटा न कोई छुछुंदर होता। समानता का सामान अवसर प्राप्त पुरंदर होता।। तोड़ देता कोई भी धनुष शिव भक्ती का तंतर होता। सह लेता कोई भी कष्ट चाहें पथ में कांटे कंकड़ होता।। त्याग देती गर सुख नारी लोभ लालच न किसी के अन्दर होता। स्वर्ग से सुन्दर लगता भारत न श्रृंगार जलन जालंधर होता।। मिलता सबको बराबर मौका शुभ मुहूर्त का जंतर होता। करता प्रयास हर विद्यार्थी गर न कोई भेदभाव अन्तर होता।। जीत लेता प्रकाश कलयुगी सीता को न कोई आडंबर होता। गूंजता जय माता दी हर दिशा में खुश ब्रह्मा विष्णु शंकर होता।। स्वरचित -प्रकाश विद्यार्थी। भोजपुर आरा बिहार ©Prakash Vidyarthi #Sad_Status #पोएट्री #कविता_शिव_की_कलम_से
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White इस सर्दी के मौसम में बाते कमाल हों गई। मेरी मोहब्बत मेरी तमन्ना बेमिशाल हों गई।। मैं उसका जवाब वो मेरी प्रश्न सवाल हो गई। मेरा सुकुन सुख चैन वहीं मेरा हाल चाल हों गई।। वो मुस्कुराती हसीना कभी नीला पीला कभी लाल हों गई। सूट में सजी धजी मासूम सूरत होठ गुलाबी गाल हों गई।। मेरे सफर की हमसफर हमदम ऐसी साथी बहाल हों गई। गुणी ज्ञानी चहकती चिड़ियां सी मन मन्दिर की भाल हों गई।। मानो तो मै उसका सब्जी चावल वो मेरी रोटी दाल हों गई। मैं प्यासा वो जलकुआं तृप्त ह्रदय सह सुन्दर ढाल हों गई।। कर नहीं पाया उसको अपने कैमरे में कैद जैसे एक सुर सरगम लय एक ताल हों गई । हों गया इतना मग्न उसके आवाजे सुनकर। ईश्क में अब सनम वो मेरे नाल हों गई ।। नहीं छोड़ पाया उसे जब कभी बवाल हों गई। रूठकर हमसे कभी वो तीर ताल हों गई।। अपना लिया फिर एक दूजे को प्यार में एक साथ होने की संभावना निहाल हों गई।। हैं बड़ी मनचली कलि वो परी दीवानगी की मोहिनी जाल हों गई। हों गया ये दिल आशिकाना अब वो मेरे ख्वाब और ख्याल हों गई।। मन ही मन चाहती हैं मुझे रंग दे बसंती गुलाल हों गई। रह नही सकता मै बिन देखे उसे वो दिवस बाल हों है।। मैं विद्यार्थी दीवाना उसका वो रूप की रानी खाल हों गई। चाहत कि बारिश हुए तन मन में भींगे कई साल हो गई।। अहसासो के बुंदे बरसे जीवन भर सदा खुशहाल हो गई। फूलो सा खिलता रहे चेहरा भाव भूखम प्रेम महाकाल हों ।। ©Prakash Vidyarthi #good_night #कविता_शिव_की_कलम_से
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read moreShivendra Gupta 'शिव'
White धनतेरस के पर्व पर, सजे हुए बाज़ार। घर में लाओ आज कुछ, नये-नये उपहार।। झालर-दीपों से सजे, आज सभी के गेह। मन के नभ से आज तो, बरसे मधुरिम नेह।। रहे हमेशा देश में, उत्सव का माहौल। मिष्ठानों का स्वाद ले, बोलो मीठे बोल।। सरस्वती जी के साथ हों, लक्ष्मी जी रिद्धि सिद्धि और गणेश। कुबेर जी सदा रहे सहाय आपके साथ।। तब आएगी सम्पदा, सुधरेगा परिवेश। जब तुम खुद को कर लोगे लोभ मोह से पृथक।। उल्लू बन जाना नहीं, पाकर द्रव्य अपार। धन के साथ मिले सदा, मेधा का उपहार।। आप और आपके परिवार को धनतेरस की बहुत बहुत शुभकामनाएं 🥰🙏 #शिवेन्द्र नाथ गुप्ता 'शिव' #कविता_शिव_की_कलम_से ©Shivendra Gupta 'शिव' #Dhanteras poetry in hindi
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White "गजल" ("गाने हैं हम दीवाने हैं हम") तू मानो या न मानो शनम, तेरे दिल दीवाने हैं हम -२ कहदो गज़ल या कहो शायरी -२ पहेली कविता या गाने हैं हम.... तू मानो.........२ दूर चाहें या तुम पास हों, मेरे मन की सुखद एहसास हों। झूठा सही बस एक राज हों, ख्याबों की मलिका तुम खास हो।। नई नई हैं बनी रचना, तू सुर सरगम तराने हैं हम -२ कहदो....... तू मानो........ याद करू रोज डरता हूं मैं, खो दू कहीं न टूटे सपना। हक ही नहीं हैं तुझपे कोई, कैसे कहूं मै तुम्हें अपना।। चेहरा तेरा हरदम देखा करू, परिओ के परवाने हैं हम -२ कहदो........ तू मानो........ पूजा करू तेरी मिन्नत करू, दे दे माफ़ी जो हों जाए भूल। क्या हैं बतादे तेरा फैसला, भाने लगा हैं अब तेरा वसूल।। ईश्वर से यहीं करू प्रार्थना, विद्यार्थी प्रेम नजराने हैं हम -२ कहदो......... तू मानो......... स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी गीतकार सह गायक भोजपुर बिहार ©Prakash Vidyarthi #GoodMorning #कविता_शिव_की_कलम_से #गीत #गजल_सृजन
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देखो आंखों में आज भी तुम्हारी याद की नमी है, हाथ की कलाई एक तुम्हारी राखी बिन सूनी है, चाहें जितनी भी चलती जाए ये जिन्दगी, पर तुम्हारे बिन सदैव इसमें एक कमी है, काश आ पाता वापस वो वक्त जब हम दोनो लड़ा करते थे, एक दूसरे को हंसाया रुलाया करते थे, वो बचपन जो के पल जो साथ बिताए थे, आज भी स्मरण होते हैं जब तो ये दिल भारी और आंखें नम हो जाती हैं, कि आज भी बहन तुम्हारी कमी बहुत सताती है... ©Shivendra Gupta 'शिव' #Rakhi #कविता_शिव_की_कलम_से poetry lovers love poetry in hindi
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White भाई बहन का रिश्ता हंसने हंसाने का, एक मुस्कान का और वो गम वाले आंसू का, रूठने का छोटी छोटी बातों पर और फिर मनाने का, ऐसा होता है रिश्ता भाई बहन का।। बहने ये वो फूल है घर के आंगन की बगिया का, कि इनकी किलकिलाहट,शरारत से ही होती रौशन है ये बगिया, जो हो वो उदास तो घर हो जाता है उदास, उनसे ही होता है हर घर खुशहाल।। बहनें होती है वो जो भाई की खुशी के खातिर छुपा ले जाती है हर आंसू अपना, तो भाई होते हैं वो को हर हद कर देते हैं पार बहन के चेहरे पे लाने को हंसी, बहन वो जो समेत लाती है अपना सारा प् यार एक राखी के धागे के साथ, और भाई वो जो बहन हो तकलीफ में तो पलट दे इस दुनिया को।। यह रिश्ता है चिड़ने चिड़ाने का एक दूसरे को, है ये रिश्ता अनगिनत शरारतों के पिटारों का, कहीं अनकही सी कुछ बातों का, यही रिश्ता है बचपन की खूबसूरत यादों का, यही एक रिश्ता है एक प्यार के समुंदर में विश्वास के फूलों का।। यह रिश्ता है एक ऐसे फूल का, जिसकी पंखुड़ियां पी जाती बिन पता हुए हर आंसू को, एक ऐसा रिश्ता जिसे देख कर चहरे पे आती है खुशी हमेशा, जिसकी खुशबू हमेशा जहन में रहती है बसी सदा, यह रिश्ता है भाई बहन का, एक बंधन हैं जन्म जन्म का, एक बहन की प्यार भरी राखी का... ©Shivendra Gupta 'शिव' #raksha_bandhan_2024 #कविता_शिव_की_कलम_से hindi poetry poetry on love
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White धन्य सुभग स्वर्णिम दिन तुमको, धन्य तुम्हारी शुभ घड़ियां, जिनमें पराधीन भारत मां, की देखो खुली थी हथकड़ियां, श्रद्धा से शत शत नमन उन देश प्रेमी दीवानों को, जो हुए अमर शहीद कर न्योछावर अपने प्राणों को, ना जाने कितने अगणित मां के लाल हुए बलिदान देश पे, तब ये शुभ दिन हमने पाया, स्वर्णाक्षर में अंकित रहेगा उच्च अमर पद पाएगा... स्वतंत्रता दिवस की आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएं मां भारती की जय जय हिन्द ©Shivendra Gupta 'शिव' #happy_independence_day #कविता_शिव_की_कलम_से hindi poetry on life hindi poetry poetry lovers poetry in hindi
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White हैं तो हम स्वतंत्र भारत के वासी, पर हर पल होता यहां अपराध है, लूटी जाती आबरू बेटियों की, ना जाने कैसा ये स्वतंत्र विचार है, हर पल होते कत्ल यहां, हर पल लगती इंसानियत की बोली है, स्वतंत्रता के नाम पे देश को ही कुछ लोग गाली देते हैं, तो कुछ पैसों के खातिर देश की बोली लगा देते हैं, जो करे अच्छा देश का उसको नीचे गिराते हैं, देश के अंदर बैठे गद्दार देश को ही खाते जाते हैं, अब यहां जवानों से मांगे जाते कामों के सबूत हैं, किसानों को पैसों का लालच देके करते उनका खून है, कहने को हैं स्वतंत्र सभी हम, पर कुछ लोगों के बहकावे में, जला देते लोग देश हैं, ना जाने खून से सने हाथों से, कैसे ये लोग मनाते स्वतंत्रता का पर्व हैं, लोगो का हक खाते मार के और खुद इज्जतदार कहते हैं, समझ नहीं आता कैसे मनाएं स्वत्रंता का ये पर्व हम, जहां कदम कदम पे बस धोखा और फरेब है.. ©Shivendra Gupta 'शिव' #happy_independence_day #कविता_शिव_की_कलम_से poetry lovers poetry
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किस्मतवालों को ही मिलती है पनाह किसी के दिल में, यूं हर शख़्स को तो जन्नत का पता नहीं मिलता. अपने सायें से भी ज़यादा यकीं है मुझे तुम पर, अंधेरों में तुम तो मिल जाते हो, साया नहीं मिलता. इस बेवफ़ा ज़िन्दगी से शायद मुझे इतनी मोहब्बत ना होती. अगर इस ज़िंदगी में दोस्त कोई तुम जैसा नहीं मिलता. लोग दौलत देखते हैं, हम इज़्ज़त देखते हैं, लोग मंज़िल देखते हैं, हम सफ़र देखते हैं, लोग दोस्ती बनाते हैं, हम उसे निभाते हैं.. जिन्दगी जख्मो से भरी है, वक्त को मरहम बनाना सीख लो, हारना तो है एक दिन मौत से, फिलहाल दोस्तों के साथ जिन्दगी जीना सीख लो..!! वैसे तो हर दिन दोस्तो का ही होता है पर आज के इस दिन को दोस्तो के नाम करते है।। हैप्पी फ्रेंडशिप डे।।। ©Shivendra Gupta 'शिव' #FriendshipDay poetry in hindi hindi poetry on life poetry on love #कविता_शिव_की_कलम_से
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White मेरा स्वाभिमान मेरा अभिमान मेरी ताकत हैं पिता, मां ने दिया है अगर जन्म तो मेरी पहचान है पिता, घर के आंगन को सजाया है मां ने, तो घर की ईंट ईंट को सजाया है पिता ने, मेरी तरक्की मेरी इज्जत मेरी हर सफलता है पिता, मां ने सिखाया है जीने का सलीका, तो दुनिया की सच्चाई से रूबरू कराया है पिता ने, इस दुनिया का हर रिश्ता हैं उनके दम से, मेरी ताकत मेरे गुरुर का हर किस्सा है उनके नाम से, घर में घुसते ही आवाज जो लगाते वो आवाज है मां, पर घर से निकलते ही देने वाली सीख हैं पिता, मां का प्यार लाडला बनाता हैं हमें, पर पिता का गुस्सा ही रहने लायक दुनिया में बनाता हमें, आंख से आंख न मिला पता है कोई, जब तक रहता सर पे है हाथ पिता का, सारे खिलोने बाजार के होते हैं अपने, जब तक रहता हाथ में हाथ पिता का, दुनिया जितने की ताकत होती है खुद के अंदर, जब कंधे पे हाथ होता है पिता का, खुद की खुशियों को भी कुर्बान कर देते हैं, तकदीर हमारी वो बनाते हैं, ऐसे भगवान है धरती पे पिता.. सिखाते हैं सर उठा के स्वाभिमान से जीना, शत शत नमन मेरा की मेरी किस्मत में है इसे पिता.. ©Shivendra Gupta 'शिव' #fathers_day #father #Love #life #कविता_शिव_की_कलम_से
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