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Best कविता_शिव_की_कलम_से Shayari, Status, Quotes, Stories

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Prakash Vidyarthi

White "प्रथा स्वयंवर होता"
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काश फिर से कोई प्रथा स्वयंवर होता।
नीचे स्वतंत्र धरती ऊपर खुला अम्बर होता।।

मिलता सबको आमंत्रण सब धुरंधर होता।
न कल छपत किसी के अन्दर होता।।

भेदता कोई जन मानव मछली की आँखें सही आंसर होता।
बन जाते सारथी कान्हा जीवन में न भूमि कोई बंजर होता।।

प्रेमी अपनी प्रतिष्ठा में जाता सात समन्दर होता।
प्रेम की परीक्षा में जो जीता वहीं सिकन्दर होता।।

कोई भी राम सीता लखन कोई बजरंगी बन्दर होता।
जाती धर्म के बन्धन से परे मुहब्बत का मंतर होता।।

न कोई बड़ा न कोई छोटा न कोई छुछुंदर होता।
समानता का सामान अवसर प्राप्त पुरंदर होता।।

तोड़ देता कोई भी धनुष शिव भक्ती का तंतर होता।
सह लेता कोई भी कष्ट चाहें पथ में कांटे कंकड़ होता।।

त्याग देती गर सुख नारी लोभ लालच न किसी के अन्दर होता।
स्वर्ग से सुन्दर लगता भारत न श्रृंगार जलन जालंधर होता।।

मिलता सबको बराबर मौका शुभ मुहूर्त का जंतर होता।
करता प्रयास हर विद्यार्थी  गर न कोई भेदभाव अन्तर होता।।

जीत लेता प्रकाश कलयुगी सीता को न कोई आडंबर होता।
गूंजता जय माता दी हर दिशा में खुश ब्रह्मा विष्णु शंकर होता।।

स्वरचित -प्रकाश विद्यार्थी।  भोजपुर आरा बिहार

©Prakash Vidyarthi #Sad_Status #पोएट्री #कविता_शिव_की_कलम_से

Prakash Vidyarthi

White इस सर्दी के मौसम में बाते कमाल हों गई।
मेरी मोहब्बत मेरी तमन्ना बेमिशाल हों गई।।

मैं उसका जवाब वो मेरी प्रश्न सवाल हो गई।
मेरा सुकुन सुख चैन वहीं मेरा हाल चाल हों गई।।

वो मुस्कुराती हसीना कभी नीला पीला कभी लाल हों गई।
सूट में सजी धजी मासूम सूरत होठ गुलाबी  गाल हों गई।।

मेरे सफर की हमसफर हमदम ऐसी साथी बहाल हों गई।
गुणी ज्ञानी चहकती चिड़ियां सी मन मन्दिर की भाल हों गई।।

मानो तो मै उसका सब्जी चावल वो मेरी रोटी दाल हों गई।
मैं प्यासा वो जलकुआं तृप्त ह्रदय सह सुन्दर ढाल हों गई।।

कर नहीं पाया उसको अपने कैमरे में कैद
जैसे एक सुर सरगम लय एक ताल हों गई ।

 हों गया इतना मग्न उसके आवाजे सुनकर।
ईश्क में अब सनम वो मेरे नाल हों गई ।।

नहीं छोड़ पाया उसे जब कभी बवाल हों गई।
रूठकर हमसे कभी वो तीर ताल हों गई।।

अपना लिया फिर एक दूजे को प्यार में 
एक साथ होने की संभावना निहाल हों गई।।

हैं बड़ी मनचली कलि वो परी दीवानगी की मोहिनी जाल हों गई।
हों गया ये दिल आशिकाना अब वो मेरे ख्वाब और ख्याल हों गई।।

मन ही मन चाहती हैं मुझे रंग दे बसंती गुलाल हों गई।
रह नही सकता मै बिन देखे उसे वो दिवस बाल हों है।।

मैं विद्यार्थी दीवाना उसका वो रूप की रानी खाल हों गई।
चाहत कि बारिश हुए तन मन में भींगे कई साल हो गई।।

अहसासो के बुंदे बरसे जीवन भर सदा खुशहाल हो गई।

फूलो सा खिलता रहे चेहरा भाव भूखम प्रेम महाकाल हों ।।

©Prakash Vidyarthi #good_night #कविता_शिव_की_कलम_से

Shivendra Gupta 'शिव'

#Dhanteras poetry in hindi

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White धनतेरस के पर्व पर, सजे हुए बाज़ार।
 घर में लाओ आज कुछ, नये-नये उपहार।।
 झालर-दीपों से सजे, आज सभी के गेह। 
मन के नभ से आज तो, बरसे मधुरिम नेह।। 
रहे हमेशा देश में, उत्सव का माहौल।
 मिष्ठानों का स्वाद ले, बोलो मीठे बोल।। 
सरस्वती जी के साथ हों, 
लक्ष्मी जी रिद्धि सिद्धि और गणेश। 
कुबेर जी सदा रहे सहाय आपके साथ।।
तब आएगी सम्पदा, सुधरेगा परिवेश।
जब तुम खुद को कर लोगे लोभ मोह से पृथक।।
उल्लू बन जाना नहीं, पाकर द्रव्य अपार। 
धन के साथ मिले सदा, मेधा का उपहार।।
आप और आपके परिवार को धनतेरस 
की बहुत बहुत शुभकामनाएं 🥰🙏

#शिवेन्द्र नाथ गुप्ता 'शिव'
#कविता_शिव_की_कलम_से

©Shivendra Gupta 'शिव' #Dhanteras  poetry in hindi

Prakash Vidyarthi

White "गजल"
   ("गाने हैं हम दीवाने हैं हम")

तू मानो या न मानो शनम, तेरे दिल दीवाने हैं हम -२
कहदो गज़ल या कहो शायरी -२
पहेली कविता या गाने हैं हम....
तू मानो.........२

दूर चाहें  या  तुम पास हों,     मेरे मन की सुखद एहसास हों।
झूठा सही बस एक राज हों, ख्याबों की मलिका तुम खास हो।।
नई नई हैं बनी रचना, तू सुर सरगम तराने हैं हम -२
कहदो....... तू मानो........

याद करू रोज डरता हूं मैं, खो दू कहीं न टूटे सपना।
हक ही नहीं हैं तुझपे कोई, कैसे कहूं मै तुम्हें अपना।।
चेहरा तेरा हरदम देखा करू, परिओ के परवाने हैं हम -२
कहदो........ तू मानो........

पूजा करू तेरी मिन्नत करू, दे दे माफ़ी जो हों जाए भूल।
क्या हैं बतादे तेरा फैसला, भाने लगा हैं अब तेरा वसूल।।
ईश्वर से यहीं करू प्रार्थना, विद्यार्थी प्रेम नजराने हैं हम -२
कहदो......... तू मानो.........

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी 
               गीतकार सह गायक  
              भोजपुर बिहार

©Prakash Vidyarthi #GoodMorning #कविता_शिव_की_कलम_से #गीत #गजल_सृजन

Shivendra Gupta 'शिव'

#Rakhi #कविता_शिव_की_कलम_से poetry lovers love poetry in hindi

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Shivendra Gupta 'शिव'

White भाई बहन का रिश्ता हंसने हंसाने का,
एक मुस्कान का और वो गम वाले आंसू का,
रूठने का छोटी छोटी बातों पर और फिर मनाने का,
ऐसा होता है रिश्ता भाई बहन का।।

बहने ये वो फूल है घर के आंगन की बगिया का,
कि इनकी किलकिलाहट,शरारत से ही होती रौशन है ये बगिया,
जो हो वो उदास तो घर हो जाता है उदास,
उनसे ही होता है हर घर खुशहाल।।

बहनें होती है वो जो भाई की खुशी के खातिर 
छुपा ले जाती है हर आंसू अपना,
तो भाई होते हैं वो को हर हद कर देते हैं 
पार बहन के चेहरे पे लाने को हंसी,
बहन वो जो समेत लाती है अपना सारा प्
यार एक राखी के धागे के साथ,
और भाई वो जो बहन हो तकलीफ में तो पलट दे इस दुनिया को।।

यह रिश्ता है चिड़ने चिड़ाने का एक दूसरे को,
है ये रिश्ता अनगिनत शरारतों के पिटारों का,
कहीं अनकही सी कुछ बातों का,
यही रिश्ता है बचपन की खूबसूरत यादों का,
यही एक रिश्ता है एक प्यार के समुंदर में विश्वास के फूलों का।।

यह रिश्ता है एक ऐसे फूल का,
जिसकी पंखुड़ियां पी जाती बिन पता हुए हर आंसू को,
एक ऐसा रिश्ता जिसे देख कर चहरे पे आती है खुशी हमेशा,
जिसकी खुशबू हमेशा जहन में रहती है  बसी सदा,
यह रिश्ता है भाई बहन का, एक बंधन हैं जन्म जन्म का,
एक बहन की प्यार भरी राखी का...

©Shivendra Gupta 'शिव' #raksha_bandhan_2024 
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Shivendra Gupta 'शिव'

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Shivendra Gupta 'शिव'

Shivendra Gupta 'शिव'

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Shivendra Gupta 'शिव'

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