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Bramhan Ashish Upadhyay
न मिला था,अब मिलेगा हमको रोज़गार अब इसकी आस नहीं। इनकी पोटली में सिर्फ़ वादे हैं रोज़गार देने का प्रयास नहीं।। माँगते हैं रोज़गार तो मिलती हैं अनगिनत लाठियाँ। ज़िंदा है लोकतंत्र इस बात पर संशय है हमें विश्वास नहीं।। अभिनेताओं की छींक भी बटोरती हैं बड़ी सुर्ख़ियाँ साहब। मर जायें हम या लुटे हमारी बेटियाँ ये बात तो ख़ास नहीं।। ©ब्राह्मण आशीष उपाध्याय न मिला था,अब मिलेगा हमको रोज़गार अब इसकी आस नहीं। इनकी पोटली में सिर्फ़ वादे हैं रोज़गार देने का प्रयास नहीं।। माँगते हैं रोज़गार तो मिलती ह
Pen of a Soul
क्यों गए तुम ये दुनिया छोड़ कर, तुम्हें दुआएं क्या कम थी, जिस गरीब की फरियाद तुमने सुनी थी, आज उसकी भी आंखें नम थी, तुमने जो सिखाया था अभिनय से अपने, वो तुम खुद की ज़िन्दगी में भूल गए, हिम्मत नहीं हारना था तुम्हें, तुम तो छिछोरों की कहानी भूल गए, तुम्हारा बुरा वक़्त भी चला जाता, अगर दिखाते थोड़ी हिम्मत, तुम्हारा अभिनय ही साहस था, अगर पहचानते इसकी ताकत।। एक अच्छे अभिनेता के जाने का दुख बहुत होता है क्योंकि मूवी मैं सोच समझ के देखता हूं। अच्छे अभिनेताओं की हमेशा से बॉलीवुड में कमी रही है ऊपर स
Vikash Bakshi
क्यों गए तुम ये दुनिया छोड़ कर, तुम्हें दुआएं क्या कम थी, जिस गरीब की फरियाद तुमने सुनी थी, आज उसकी भी आंखें नम थी, तुमने जो सिखाया था अभिनय से अपने, वो तुम खुद की ज़िन्दगी में भूल गए, हिम्मत नहीं हारना था तुम्हें, तुम तो छिछोरों की कहानी भूल गए, तुम्हारा बुरा वक़्त भी चला जाता, अगर दिखाते थोड़ी हिम्मत, तुम्हारा अभिनय ही साहस था, अगर पहचानते इसकी ताकत।। एक अच्छे अभिनेता के जाने का दुख बहुत होता है क्योंकि मूवी मैं सोच समझ के देखता हूं। अच्छे अभिनेताओं की हमेशा से बॉलीवुड में कमी रही है ऊपर स
Vishw Shanti Sanatan Seva Trust
देश को बिगड़ो मत ©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust युवा संदेश भारत देश की युवा पीढ़ी को बिगाड़ने वाले अभिनेताओं कुछ शर्म करो और सुधर जाओ अपने चेहरे का सदुपयोग करो VSSST जिस देश के अखबार पर पह
DR. SANJU TRIPATHI
विश्व रंगमंच और हिंदी रंगमंच कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें 👇👇👇👇 #czचिंतन #collabzone #yqcollabzone #collabwithcollabzone #विश्व_रंगमंच_दिवस विश्व रंगमंच और हिंदी रंगमंच
महेन्द्र सिंह (माही)
बेवकूफ थे हम जो अभिनेताओं ओर क्रिकेटरों को अपना हीरों मानते रहे। उधर देश के सच्चे हीरो चुपचाप अपने प्राण त्यागते रहे जय हिन्द #NojotoQuote बेवकूफ थे हम जो अभिनेताओं ओर क्रिकेटरों को अपना हीरों मानते रहे। उधर देश के सच्चे हीरो चुपचाप अपने प्राण त्यागते रहे जय हिन्द
Rakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि
आलोक कुमार
बस यूँ ही चलते-चलते ......... जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त