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Shivkumar
ब्रह्माण्ड में चारों तरफ़ सिर्फ अंधकार था व्याप्त। चौथे रुप में माता ने तब किया अण्ड निर्माण।। सभी जीवों और प्राणियों में है मां का तेज। माता के कृपा बिना हो जाते हैं सब निस्तेज।। सारा चराचर जगत है मां के ही माया से मोहित। मां के ही प्रेरणा से होता है जगत में सबका हित।। दिव्य प्रकाश जगत में मां कुष्मांडा फैलाती। ममतामई, करुणामई, कल्याणकारी कहलाती।। सौम्य स्वभाव वाली है मेरी मां अष्टभुजाओंवाली। भक्तों की सारी विपदा दूर करती है महामाई।। जो कोई श्रद्धा भक्ति से मां के शरण में आता। सुख, समृद्धि,धन, सम्पदा बिन मांगे मिल जाता।। ©Shivkumar #navratri #navratrispecial #नवरात्रि #navratri2024 #ब्रह्माण्ड में चारों तरफ़ सिर्फ #अंधकार था व्याप्त । चौथे रुप में माता ने तब किया
Rajkumar Siwachiya
बिन मांगे पूरी होज्या ऐसी मन्नत है ओय मां चलती फिरती धरती पे कोय जन्नत है ओय मां ✨🤱✨♥️🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ ©Rajkumar Siwachiya बिन मांगे पुरी होज्या ऐसी मन्नत है तू मां चलदी फिरदी धरती पे ओय जन्नत है तू मां ✨🤱✨♥️🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ #motherlove #rajkumarsiw
Dil galti kr baitha h
रब से आप की ख़ुशी मांगते हैं दुआओं में आपकी हंसी मांगते हैं सोचते हैं आपसे क्या मांगे चलो आप से उमर भर कि मोहब्बत मांगते हैं ©Dil galti kr baitha h रब से आप की ख़ुशी मांगते हैं दुआओं में आपकी हंसी मांगते हैं सोचते हैं आपसे क्या मांगे चलो आप से उमर भर कि मोहब्बत मांगते हैं Happy pro
Ashtvinayak
bhim ka लाडला official
Ak.writer_2.0
एक डर मन से जाता ही नहीं...🥺 आप बिना मांगे किसी और को मिल जाओगे और हम यूँ ही मंदिर मंदिर भटकते रह जाएँगे..! ©Ak.writer_2.0 एक डर मन से जाता ही नहीं आप बिना मांगे किसी और को मिल जाओगे और हम यूँ ही मंदिर मंदिर भटकते रह जाएँगे..! #sad #sadness #miss_u Sana naaz. di
Neelam Modanwal
कुछ छोटे सपनो के बदले कीमत कुछ छोटे सपनो के बदले, बड़ी नींद का सौदा करने, निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे! वही प्यास के अनगढ़ मोती, वही धूप की सुर्ख कहानी, वही आंख में घुटकर मरती, आंसू की खुद्दार जवानी, हर मोहरे की मूक विवशता,चौसर के खाने क्या जाने हार जीत तय करती है वे, आज कौन से घर ठहरेंगे निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे! कुछ पलकों में बंद चांदनी, कुछ होठों में कैद तराने, मंजिल के गुमनाम भरोसे, सपनो के लाचार बहाने, जिनकी जिद के आगे सूरज, मोरपंख से छाया मांगे, उन के भी दुर्दम्य इरादे, वीणा के स्वर पर ठहरेंगे निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे ©Neelam Modanwal कुछ छोटे सपनो के बदले कुछ छोटे सपनो के बदले, बड़ी नींद का सौदा करने, निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे! वही प्यास के अनगढ़ मोत
Ravi
Ravendra
Ravendra