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ANIL KUMAR
मुझे भी शामिल करो गुनहगारों की महफ़िल में मैं भी कातिल हूँ मैंने भी अपनी ख्वाहिशों को मारा है ©ANIL KUMAR मैंने ख्वाहिशों को मारा है
Dr Wasim Raja
White देखो धरती पर तरह-तरह का नजारा है। यहां हर कोई परिस्थितियों का मारा है।। निस्वार्थ कौन किसको देता सहारा है? मजबूर किस्मत का मारा बना बेचारा है।। अमीर गरीबों से कर लेता किनारा है। गरीब मजबूर होकर रब को पुकारा है।। तय वक्त तक ही करना यहां गुजारा है। दौलतमंद ने जन्नत को धरा पर उतरा है।। ©Dr Wasim Raja सब परिस्थितियों का मारा है।
Kavi Himanshu Pandey
ek insan
इस घर के कोने कोने में मेरी यादें हैं, कोने कोने से मुझे प्यार था, मेरा हसना-मेरा रोना, मेरा खिलना, मेरा मुरझाना, तेरा पास आना, और दूर जाना, सपनों सा सजना और बिखर जाना.. ..पर सच है कि किराय के घर को कितना भी सजा लो.. वो अपना घर नहीं होता, मुझे जाना होगा.. सब कुछ छोड़ कर, तुम्हें छोड़ कर, अपनी यादों को छोड़ कर.. ©ek insan घर से दूर एक घर # vidai
Rudra Pratap Singh
मुझे घर बनाने; घर से दूर निकलना पड़ा, और गिरते-गिरते कई बार सम्हलना पड़ा। हारा हिम्मत; टूटा हौसला कई बार, बेशक! “कुछ दूर और!” कह कर बस चलना पड़ा। थक कर चूर; जब सोया कभी इत्मीनान से, नींद आई नहीं पूरी रात; बस करवट बदलना पड़ा। याद आती रही मां, बाप से दूर होना खलता रहा, मत पूछो, अपनों से दूर हो कितना मचलना पड़ा। और गिरते-गिरते कई बार सम्हलना पड़ा। ©Rudra Pratap Singh मुझे घर बनाने घर से दूर निकालना पड़ा #घर #होली #Festival #holi
Nimisha Mishra HI
White एक कहावत है और हकीकत भी कि मूर्ख लोग घर बनाते है, और अक्लमंद उसमे किराए पर रहते है .। ©Nimisha Mishra HI #City घर
Dev Rishi
मुस्कुरा चेहरा पे ये बोझ है ज़बान घरो की जिम्मेदारी उठानी तो रोज़ है ©Dev Rishi #जिम्मेदारी #घर
दिनेश
White धरती पे कदम बने रहें यूँ चाह नहीं कि आसमान मिले , पर मैं जब वापस आऊँ घर को सबके चेहरे पर मुस्कान मिले । तुम चिंता क्यूँ करते हो ? मैं मरा नहीं अभी जिंदा हूँ , पर लौटकर घर तो आऊँगा ही अभी बेशक एक परिंदा हूँ । भाई से बस एक भाई मिले न कि एक मेहमान मिले । पर मैं जब वापस आऊँ घर को सबके चेहरे पर मुस्कान मिले । ©दिनेश #Hope घर
Naren K
रात की ठंडी हवा बयांकर हो गई। रात के अंधेरे में, एक अजीब घटना हो गई। एक जोड़ा युवक और युवती, आधे रात को एक कॉलेज में बात कर रहे थे। उन्हें अचानक एक अजीब सी आवाज सुनाई दी। उन्हें संदेह हुआ और उन्हें लगा कि उन्हें भूतों का सामना हो रहा है। सोचते-सोचते उन्हें लगा कि किसी अज्ञात व्यक्ति ने भूतों का रहस्य बहुत ही सरल दिखाया है। उन्हें भूतों का अज्ञात अनुभव कुछ ही क्षणों के लिए साथ देने वाले अजीब सपने आने लगे। उनके सपने में, एक भयंकर भूत उन्हें उनकी प्रेमिका की ओर दौड़ता हुआ दिखाई दिया। अंधेरे में, उन्हें उनके वज्र दंड से काले आंखे दिखाई दी, लेकिन भूत ने उनकी प्रेमिका को कुछ नहीं किया। वह सिर्फ उनके भय पर धावित हो रहा था.....(पार्ट_1) ©Naren K भूतिया घर...।