Find the Latest Status about दुखों से मुक्ति from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, दुखों से मुक्ति.
Arun Rathore
कृष्ण नाम से ही प्रतीत होता है तृष्णा रहित कैसे रहा जा सकता है अगर मानुष सम्पूर्ण सांसारिक दुखों से मुक्ति प्राप्त करता है, तो राधा कृष्ण जपता है... जिसने मनुष्य के सारे दुख हर लिए केवल नाम मात्र से "हरे कृष्ण हरे कृष्ण " ©Arun Rathore कृष्ण नाम से ही प्रतीत होता है तृष्णा रहित कैसे रहा जा सकता है अगर मानुष सम्पूर्ण सांसारिक दुखों से मुक्ति प्राप्त करता है, तो राधा कृष्ण जप
KP EDUCATION HD
KP TECHNOLOGY HD video editing apps for 555 ©KP STUDY HD साथ ही सावन में द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का भी विशेष महत्व है। क्योंकि शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव के ये सभी ज्योतिर्लिंग प्राणिय
N S Yadav GoldMine
मान्यता है कि भगवान सत्यनारायण का व्रत रखने उनकी कथा सुनने से मनुष्य मात्र के सभी कष्ट मिट जाते हैं !! 🍒🍒 {Bolo Ji Radhey Radhey} सत्यनारायण कथा :- 📘 सत्यनारायण कथा सनातन (हिंदू) धर्म के अनुयायियों में लगभग पूरे भारतवर्ष में प्रचलित है। सत्यनारायण भगवान विष्णु को ही कहा जाता है भगवान विष्णु जो कि समस्त जग के पालनहार माने जाते हैं। लोगों की मान्यता है कि भगवान सत्यनारायण का व्रत रखने उनकी कथा सुनने से मनुष्य मात्र के सभी कष्ट मिट जाते हैं। सत्यनारायण व्रतकथा का उल्लेख स्कंदपुराण के रेवाखंड में मिलता है। क्या है भगवान सत्यनारायण की कथा 📘 पौराणिक ग्रंथों के अनुसार एक समय की बात है कि नैमिषारण्य तीर्थ पर शौनकादिक अट्ठासी हजार ऋषियों ने पुराणवेता महर्षि श्री सूत जी से पूछा कि हे महर्षि इस कलियुग में बिना वेद बिना विद्या के प्राणियों का उद्धार कैसे होगा? क्या इसका कोई सरल उपाय है जिससे उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति हो। इस पर महर्षि सूत ने कहा कि हे ऋषियो ऐसा ही प्रश्न एक बार नारद जी ने भगवान विष्णु से किया था तब स्वयं श्री हरि ने नारद जी को जो विधि बताई थी उसी को दोहरा रहा हूं। भगवान विष्णु ने नारद को बताया था कि इस संसार में लौकिक क्लेशमुक्ति, सांसारिक सुख-समृद्धि एवं अंत में परमधाम में जाने के लिये एक ही मार्ग हो वह है सत्यनारायण व्रत अर्थात सत्य का आचरण, सत्य के प्रति अपनी निष्ठा, सत्य के प्रति आग्रह। 📘 सत्य ईश्वर का ही रुप है उसी का नाम है। सत्याचरण करना ही ईश्वर की आराधना करना है उसकी पूजा करना है। इसके महत्व को सपष्ट करते हुए उन्होंने एक कथा सुनाई कि एक शतानंद नाम के दीन ब्राह्मण थे, भिक्षा मांगकर अपना व परिवार का भरण-पोषण करते थे। लेकिन सत्य के प्रति निष्ठावान थे सदा सत्य का आचरण करते थे उन्होंने सत्याचरण व्रत का पालन करते हुए भगवान सत्यनारायण की विधिवत् पूजा अर्चना की जिसके बाद उन्होंने इस लोक में सुख का भोग करते हुए अंतकाल सत्यपुर में प्रवेश किया। इसी प्रकार एक काष्ठ विक्रेता भील व राजा उल्कामुख भी निष्ठावान सत्यव्रती थे उन्होंनें भी सत्यनारायण की विधिपूर्वक पूजा करके दुखों से मुक्ति पायी। 📘 आगे भगवान श्री हरि ने नारद को बताया कि ये सत्यनिष्ठ सत्याचरण करने वाले व्रती थे लेकिन कुछ लोग स्वार्थबद्ध होकर भी सत्यव्रती होते हैं उन्होंने बताया कि साधु वणिक एवं तुंगध्वज नामक राजा इसी प्रकार के व्रती थे उन्होंनें स्वार्थसिद्धि के लिये सत्यव्रत का संकल्प लिया लेकिन स्वार्थ पूरा होने पर व्रत का पालन करना भूल गये। साधु वणिक की भगवान में निष्ठा नहीं थी लेकिन संतान प्राप्ति के लिये सत्यनारायण भगवान की पूजार्चना का संकल्प लिया जिसके फलस्वरुप उसके यहां कलावती नामक कन्या का जन्म हुआ। कन्या के जन्म के पश्चात साधु वणिक ने अपना संकल्प भूला दिया और पूजा नहीं की कन्या के विवाह तक पूजा को टाल दिया। फिर कन्या के विवाह पर भी पूजा नहीं की और अपने दामाद के साथ यात्रा पर निकल पड़ा। दैवयोग से रत्नसारपुर में श्वसुर-दामाद दोनों पर चोरी का आरोप लगा। वहां के राजा चंद्रकेतु के कारागार में उन्हें डाल दिया गया। 📘 कारागर से मुक्त होने पर दंडीस्वामी से साधु वणिक ने झूठ बोल दिया कि उसकी नौका में रत्नादि नहीं बल्कि लता पत्र हैं। उसके इस झूठ के कारण सारी संपत्ति नष्ट हो गई। इसके बाद मजबूर होकर उसने फिर भगवान सत्यनारायण का व्रत रख उनकी पूजा की। उधर साधु वणिक के मिथ्याचार के कारण उसके घर में भी चोरी हो गई परिजन दाने-दाने को मोहताज हो गये। साधु वणिक की बेटी कलावती अपनी माता के साथ मिलकर भगवान सत्यनारायण की पूजा कर रही थी कि उन्हें पिता साधु वणिक व पति के सकुशल लौटने का समाचार मिला। 📘 वह हड़बड़ी में भगवान का प्रसाद लिये बिना पिता व पति से मिलने के लिये दौड़ पड़ी जिस कारण नाव वाणिक और दामाद समुद्र में डूबने लगे। तभी कलावती को अपनी भूल का अहसास हुआ वह दौड़कर घर आयी और भगवान का प्रसाद लिया। इसके बाद सब ठीक हो गया। इसी तरह राजा तुंगध्वज ने भी गोपबंधुओं द्वारा की जा रही भगवान सत्यनारायण की पूजा की अवहेलना की और पूजास्थल पर जाने के बाद भी प्रसाद ग्रहण नहीं किया जिस कारण उन्हें भी अनेक कष्ट सहने पड़े अंतत: उन्होंने भी बाध्य होकर भगवान सत्यनारायण की पूजा की और व्रत किया। 📘 कुल मिलाकर कहानी का निष्कर्ष यही है कि भगवान सत्यनारायण की पूजा करनी चाहिये व हमें सत्याचरण का व्रत लेना चाहिये। यदि हम भगवान सत्यनारायण की पूजा नहीं करते तो उसकी अवहेलना कभी नहीं करनी चाहिये और दूसरों द्वारा की जा रही पूजा का कभी मजाक नहीं उड़ाना चाहिये और आदर पूर्वक प्रसाद ग्रहण करना चाहिये। सत्यनारायण व्रत और कथा को करने की विधि :-📘 इस पूजा को सम्पूर्ण करने के दो मुख्य प्रकार हैं – व्रत और कथा। कुछ लोग भगवान विष्णु जी के लिए व्रत कर इस आयोजन को पूर्ण करते हैं तो कुछ जन घर में सत्यनारायण जी की पूजा (एक कथा) को कराकर इसे पूर्ण रूप देते हैं। सत्यनारायण जी की पूजा को विद्वान ब्राह्मण द्वारा पूरा करवाय जाना चाहिये। पूजा को करने के लिए सबसे उत्तम समय प्रातःकाल 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक बताया जाता है। 📘 इस पूजा में दिन भर व्रत रखा जाता है। पूजन स्थल को गाय के गोबर से पवित्र करके वहां एक अल्पना बनाया जाता है और उस पर चौकी रखी जाती है। चौकी के चारों पायों के पास केले के पत्तों से सजावट करें फिर इस चौकी पर अष्टदल या स्वस्तिक बनाया जाता है। इसके बीच में चावल रखें, लाल रंग का कपड़ा बिछाकर पान सुपारी से भगवान गणेश की स्थापना करें। अब भगवान सत्यनारायण की तस्वीर रखें, श्री कृष्ण या नारायण की प्रतिमा की भी स्थापना करें। 📘 सत्यनारायण के दाहिनी ओर शंख की स्थापना करें व साथ ही पवित्र या स्वच्छ जल से भरा कलश भी रखें। कलश पर शक्कर या चावल से भरी कटोरी भी रखें। कटोरी पर नारियल भी रखा जा सकता है। बायीं ओर दीपक रखें। अब चौकी के आगे नवग्रह मंडल बनाएं। इसके लिये एक सफेद कपड़े को बिछाकर उस पर नौ जगह चावल की ढेरी रखें। अब पूजा शुरु करें। प्रसाद के लिये पंचामृत, गेंहू के आटे से बनी पंजीरी, फल आदि को कम से कम सवाया मात्रा में लें। 📘 सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें, उसके बाद इंद्रादि दशदिक्पाल की फिर अन्य देवी-देवताओं की पूजा करने के बाद सत्यनारायण की पूजा करें। भगवान सत्यनारायण के बाद मां लक्ष्मी व अंत में भगवान शिव और ब्रह्मा की पूजा करनी चाहिये। पूजा में सभी तरह की पूजा सामग्रियों का प्रयोग होता है और ब्राह्मण द्वारा सुनाई जा रही कथा को ध्यानपूर्वक सुनना चाहिए। सत्यनारायण जी की पूजा के बाद सभी देवों की आरती की जाती है और चरणामृत लेकर प्रसाद वितरण किया जाता है। श्री सत्यनारायण का पूजन महीने में एक बार पूर्णिमा या संक्रांति को किया जाना चाहिए। ©N S Yadav GoldMine मान्यता है कि भगवान सत्यनारायण का व्रत रखने उनकी कथा सुनने से मनुष्य मात्र के सभी कष्ट मिट जाते हैं !! 🍒🍒 {Bolo Ji Radhey Radhey} सत्यनारायण
KP EDUCATION HD
KP TAILOR HD wallpaper HD wallpaper HD ©KP TAILOR हर माह दो एकादशी आती है. और सभी एकादशियों का महत्व अलग होता है. उत्पन्ना एकादशी के दिन पूजन के दौरान भगवान विष्णु के साथ एकादशी माता की आरती
Ek villain
बच्चा जब विद्या अध्ययन या आजीविका अर्जुन के लिए मूल स्थान छोड़कर जाता है तब माता-पिता तथा अन्य परिजन प्रसन्न हो तो होते हैं लेकिन वह को दवाई रहते इस मोह से मुक्त ना होना जाए तो समस्या बढ़ती है इसकी तमाम उदाहरण है यदि स्थिति राजा दशरथ ही नहीं बल्कि अयोध्या वासियों के साथ हुई थी जब श्री राम को वनवास के लिए जाना पड़ा ऐसा नहीं है कि आयोजन छोड़ते समय श्रीराम को मुंह नहीं हुआ लेकिन वनवास के दौरान किए जाने वाले कार्य का विरोध था ©Ek villain मोह से मुक्ति
Kailash Bora
मेरे दोस्त ने मुझसे कहा अगर जिन्दगी में एक बार भगवान तेरे सामने आए और तुझसे कहे कि मांग तुझे क्या चाहिए तो तू क्या मांगेगा धन, दौलत या पावर..? मैंने कहा "रोग से मुक्ति" क्योंकि इन्सान जब किसी रोग से पीड़ित होता है तो ना धन ना दौलत और ना पावर काम आती है...। ©Kailash Bora #रोग से मुक्ति#
B M zala
है प्रभु ऐसी बारिश कर दो जिसमे तेरी रहमत हो जिसे पूरी दुनिया सेनिटाइजर हो जाए ताकि ये धरती फिर से जन्नत बन सके। Baba bholenath कोरोना से मुक्ति
पंकज कुम्हार
#DearZindagi रक्तरंजित हो रही है किसानों के खून से कहती अवनी है!अम्बर मुक्ति दे अब जून से मुक्ति दे जून से