Find the Latest Status about समज नही from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, समज नही.
vksrivastav
Unsplash कुछ नही चाहिए अब मुझको किसी अपने से जाग उट्ठा हूं मैं अब ऐसे हसीं सपने से ©Vk srivastav कुछ नही चाहिए अब #Life #Reality #SAD #viral #vksrivastav
कुछ नही चाहिए अब #Life #Reality #SAD #viral #vksrivastav
read moreRameshkumar Mehra Mehra
Unsplash मोहब्बत पहली दूसरी तिसरी नही.....! मोहब्बत तो बो है..!! मोहब्बत के बाद कभी हो ही नही..... ©Rameshkumar Mehra Mehra # मोहब्बत पहली दूसरी तीसरी नही,मोहब्बत तो बो है,जो मोहब्बत के बाद हो ही नही...
# मोहब्बत पहली दूसरी तीसरी नही,मोहब्बत तो बो है,जो मोहब्बत के बाद हो ही नही...
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी मनसूबे किया है जंगल जहाँ को बना देंगे सभ्यसमाज की हिला दी शिला खोदकर बुल्डोजरो से सब कुछ इंसानियत की मिशाल बुझा देगे धर्म की आड़ में लूटकर भिखारी जनता को बना देंगे बजट तक नही होता इंतजार हर महीने दाम बढ़ा देगे सरकार हो गयी बनिया की दुकान नफा नुकसान की भरपाई में कोई भी फार्मूला लगा देंगे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #good_night बजट तक नही होता इंतजार
#good_night बजट तक नही होता इंतजार
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} जिंदगी सफर है, मंजिल बिल्कुल नही, सारथी चुनिए, स्वार्थी नही। जय श्री राधेकृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine #sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} जिंदगी सफर है, मंजिल बिल्कुल नही, सारथी चुनिए, स्वार्थी नही। जय श्री राधेकृष्ण जी।।
#sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} जिंदगी सफर है, मंजिल बिल्कुल नही, सारथी चुनिए, स्वार्थी नही। जय श्री राधेकृष्ण जी।।
read morePraveen Jain "पल्लव"
Life Like पल्लव की डायरी कोई नही पनप रहा है जहर हवा पानी मे है लोभ लालच की नीयत पाले केमिकल्स के दायरे में जीवन है जानलेवा खाद्यान्न हो गये रोगी सबको बनाते है दवाइयों के सहारे दिन गुजरते जो विकलांग अंग अंग बनाते है जन्म मरण अब नार्मल नही होता वेंटीलेटर पर मौत और जन्म पेट चीर कर होता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Lifelike जन्ममरण अब नार्मल नही होता
#Lifelike जन्ममरण अब नार्मल नही होता
read moreRahul Varsatiy Parmar
सुबह के 5 बज चुके है तो जमाने ए बंदिश खैर एक खयाल एक गजल देखिए रातों की नींद से (अदावत/ दुश्मनी) हो गई है हमे भी ज़माने के रिवाजों से (कदूरत/ नफरत) हो गई है ज़माने- ए- बंदिश में कैद है (आबरू/ इज्जत) ) हमारी अब खुद को ही खामोश कर रही है खामोशी हमारी (मशगूल-ए- महफिल /मिलना जुलना) नही है रही अब फितरत हमारी मशरूफ-ए-बेरुखी जिंदगी खुद से हमारी हिदायत-ए -दिल है की मुखातिब हो ज़माने से क्यों हया-ए- आबरू खौफ से गुजरे जिंदगी हमारी (मशरूफ/व्यस्त,) (बेरुखी/नाराजगी,)( हिदायत/ सलाह ,) (मुखातिब/ सामना,) (हया ए आबरू/ शर्म) ,(खौफ/ डर) इस गजल का सीधा सा मतलब है 4 लोगो क्या कहेंगे इसे बेफिकर होकर जियो निर्मला पुत्र सिद्धांत परमार ©Rahul Varsatiy Parmar #foryoupapa जिंदगी खुद के लिए जियो समाज के लिए नही #
#foryoupapa जिंदगी खुद के लिए जियो समाज के लिए नही #
read more