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Imran Shekhani (Yours Buddy)

Imran Shekhani (Yours Buddy)

Imran Shekhani (Yours Buddy)

सीखना और समजना आपके हाथों में है #सीख #सीखो #समज #समजना #Learn #Learning #Teach #Teaching #YoursBuddy #Zid

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aazam farouqui

writer pari Faiza Ali Vijaya Singh Halima Usmani #SUMAN#

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हम जले तो सब चिराग 
समज बैठे 
हम महके तो सब गुलाब 
समज बैठे 
मेरे लफजो का दर्द किसी 
नही देखा 
शायरी पड़ी तो सब शायर 
सजम बैठे 
आजम फारूकी writer pari Faiza Ali Vijaya Singh Halima Usmani #suman#

Shashikant Kendre

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जबसे छोड़ गईं हैं तू 
मेरे हात के तेरा ही हात समज बैठा हूँ 
मैं तो सां लेता हूँ पर तेरी ही सांसों को जिंदगी समज बैठा हूँ

Yogesh More

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मैं फिर भी तुमको चाहूँगा, पुछ रही है साहील के लहरें कुछ सवाल उन्हें 

क्या जवाब दे पाऊंगा, अपनी ही मुहाब्बत का

मे भला क्या गवाही दे पाऊंगा। ना समज 

साहील भी मेरे प्यार क्या समज पायेगा, रुठ 

भी जाए अगर मेरी सांसे मुझसे फिर भी मैं 

तुमको ही चाहुंगा।

अज़नबी किताब

hart bits 🙂🙂

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धड़कनो का क्या है, 
hart attack का जमाना है |
आज है कल सायद ना भी हो, 
दो दिन की ये दुनिया, 
क्या तुजे उसको समजाना है? 
मत जान दुनिया से, 
क्यों की वो खुदा ने तेरी पूरी कुंडली निकाली है |
और वहा जो खुदा समज गया तुजे तो,  
यहाँ सब की जुबा पे  तेरी ही कहानी है | hart bits 🙂🙂

अज़नबी किताब

pls respect the things 🙏🙏🙏

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समाज पे आज भी एक दाग है, 
सब उस चाँद के दाग को मिटाने चले | 
उसपे दाग क्या लगा है, 
सब कोई उसे ही दिखाने चले |
 चलो आज अपने समाज का एक दाग फिर एक बार देखे, 
चलो अपने आप का भी है एक दाग उसे भी आज देखे |
कितनी मोमबत्तीया जल गयी है आज तक उस एक जैसी हज़ारो पर, 
चलो आज उसका भी तो हिसाब देखे |
वो नही है तब पूरा जहाँ उसके पास है, 
जब वो थी तब उसके अपने भी उसके खिलाफ थे |
जहाँ को एक इसरा चाहिए था, 
उसको बदनाम करने का बहाना ही चाहिए था|
बदनामी सह नही पायी जब जग जननी सीता भी, 
 चिर जमी जब उनको भी जाना पड़ा था |
क्या दाग लगाया है तूने अपने आप पे वो तो चली गई, 
और तु ही उसकी मोमबत्ती लिए उसकी श्रद्धांजलि पे गया था |
क्यु तूने भी एक दिखावे हा मुखौटा पहना था,  
सुन कल भी हो रहा था और कल भी होगा |
जब तक ये जहाँ है तब तक ये होता ही रहेगा, 
पर याद रख बदनामी तेरे वाजे से पूरा समज क्यु सहे |
जिस  दिन पूरा समाज एक हो होगा  उस दिन की देर है, 
सुन ले तू तेरे घर पे उस दिन अंधकार  होगा |
थोड़ा भरोसा सब पे छोड़ रही हु, 
दाग लगाने वाले समाज पे और, 
वो दाग लगाने वाले हर इंसान पे, 
क्यु की वो इंसान पे सक नही पुरे समज पे है, 
समाज सुधर गया तो वो इंसान ही मिट जायेगा |
और जो वो इंसान ही मिट गया  तो मेरे समज पे कोई दाग नही लगाएगा | pls respect the things 🙏🙏🙏

RK Raj Chaure

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वो भी क्या दिन थे,
जिसकी हर सुबह ।
तेरे मिलने कि चाहत ,
और श्याम छोड जाणे के,
गम मे गुजर जाती थी।
मोहब्बत भी कैसी थी मेरी,
जो हर वक्त ,
बस तुझे पाने कि उम्मीद लिए,
तेरे साथ का हर पल जी लेती थी।
तू भी तो हर वक्त,
कुछ ना कुछ,
बहाणा कर मुझे याद कर लेती थी।
उसीको समज बैठा मै मोहब्बत,
नासमज समज ना पाया मै कभी।
जो बस तेरी एक आदत ,
जो बन बैठी थी।

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