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Stories related to परचून की दुकान का सामान

Praveen Jain "पल्लव"

#mothers_day नारी का अपनापन,लालच की भवनाओं में बह गया

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White पल्लव की डायरी
तेवर नारी के देखो घर घर मे
संस्कारो का दायरा सिमट गया
कामकाजी ग्रहस्थी का बोझ
औरतो को नॉकरानी सा लगने लगा
अपनी निजी जिंदगी जीने का 
भूत उन पर चढ़ गया
बन्धन सारे पीछे छूते 
ममता का आँचल  सिकुड़ गया
एक डोर से बाँधने का जिम्मा था जिस पर
उसका संयम आधुनिकता के सामने डोल गया
बुनियाद परिवार की धूमिल होती
नारी का अपनापन, बदले की भावना में बह गया
                                                   प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #mothers_day नारी का अपनापन,लालच की भवनाओं में बह गया

Praveen Jain "पल्लव"

#delhiearthquake डबल इंजन की सरकार का आगाज हुआ है

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पल्लव की डायरी
सियासतों के साथ हुआ खूब दंगल
वायदे खूब परवान चढ़े
दिल दिल्ली का उसने जीता
डबल इंजन की सरकार का आगाज हुआ है
खूब उछली इज्जत दिल्ली की चुनावो में
मतों का विभाजन खूब हुआ
जीरो सीट लाकर कांगेस इतराती
केजू का बंटाहार हुआ है
झाड़ू की सफाई के बाद कमल खिला
मगर सदमा फ्री बिजली पानी और बसों का लगा है
मेहमानबाजी में दिल्ली वन है
पूरे भारत का दर्शन यहाँ होता है
दिल्ली का दिल जीतने के लिये
पूरा दामोदार नई सरकार की नीतियों पर टिका है
                                     प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #delhiearthquake डबल इंजन की सरकार का आगाज हुआ है

Vinod Mishra

"ये अन्धविश्वास का जाता(पीसने वाली पत्थर की चक्की) नहीं,आस्था का तांता है."

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"ये अंधविश्वास का जाता(पीसने वाली पत्थर की चक्की)नहीं, आस्था का तांता है."

©Vinod Mishra "ये अन्धविश्वास का जाता(पीसने वाली पत्थर की चक्की) नहीं,आस्था का तांता है."

Anand Kumar Jha

#achievement मृत्यु का तमसा, सत्य की राह 🙂

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'मृत्यु का तमाशा देखो' 

पंच दिवस की ज़िंदगी में, पंच रत्न बन जाता हूँ ,  
जब जीवित रहूँ, तो कौन पूछे मृत्यु हो, तो सब पूछे । 
 
स्वार्थ यदि समाया हो सब में ,  
तो क्रूर सभी बन जाएंगे ।  

मैंने देखा है उस राजपाट को ,  
जो मैं शीघ्र ही छोड़ जाऊँगा ।  

जो क्षणभंगुर है, वही सत्य है ।  
माया के बंधन तोड़कर ही  
जीवन का सार मिलेगा ,  
और आत्मा को शांति का द्वार मिलेगा ।।

©आनन्द कुमार झा #achievement मृत्यु का तमसा, सत्य की राह 🙂

Health Is Wealth DK

इंसान एक दुकान है,

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Health is wealthdk

©Health Is Wealth DK इंसान एक दुकान है,

Priya

#हमसे ज्ञान ले जाओ जब भी जाओ कोई दुकान तो ध्यान दो उसके वजन पर

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Google आप हमसे जुड़े हमारी बातों की ध्यान दें जब आप मिल पे गेहूं या चावल पिसवाने के लिए जाते हो तो ध्यान देना 1 किलो वाला वजन 800 ग्राम रहता है 2 किलो वाला वजन 1800 ग्राम रहता है यहां तक की हर एक इंसान बेईमानी करता है मैं गया था एक किराना स्टोर पर वह मैंने काजू खारडा 100 ग्राम फिर दूसरे टारजू से नापा तो वह 90 का नाम निकला और नहीं मैंने एक जगह 2 किलो प्याज खारडा और दूसरे तर्जुमा से नापा तो 1700 ग्राम निकल यहां तक की हर एक जगह बीमारी किया जाता है क्या गरीबों को लूटा जाता है हमारी बातों से सहमत है तो हमें फॉलो करें

©Priya #हमसे ज्ञान ले जाओ जब भी जाओ कोई दुकान तो ध्यान दो उसके वजन पर

Jeetal Shah

#poem दिसंबर की सर्दियों का जादू दिसंबर की सर्दियों का जादू, चिलचिलाती ठंड, और हरियाली का नजारा।

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White दिसंबर की सर्दियों का जादू

दिसंबर की सर्दियों का जादू,
चिलचिलाती ठंड, और हरियाली का नजारा।

साग-सब्जियों की बहार, और गरमा-गरम सूप का आनंद,
सर्दियों की रातों में भी, दिल को गरम रखने का मौसम।

क्रिसमस की धूम, और सांता क्लॉज़ की कहानी,
एक्समास ट्री की सजावट, और चर्च में प्रार्थना की धुन।

साल के अंत में, नए साल का स्वागत,
365 नए दिन, नए विचार, नए लक्ष्य, और नए सपने।

भूल जाने को पुराने दिन, और नए साल की शुरुआत,
नए संकल्पों के साथ, और नए जोश के साथ।

दिसंबर की सर्दियों का जादू,
हमें नए साल की ओर ले जाने का एक मौसम।

©Jeetal Shah #poem 
दिसंबर की सर्दियों का जादू


दिसंबर की सर्दियों का जादू,

चिलचिलाती ठंड, और हरियाली का नजारा।

KrishnaYadavNews

मकान मालिक ने सड़क पर फेंक दिया किराएदार का सामान... बल्लभगढ़ जेसीबी चौक, संजय कॉलोनी नजदीक रेलवे पावर हाउस.. #FaridabadNews #Ballabhgarh J

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नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर सौ बरस की आरज़ू, पल में ढह गई, ज़िंदगी की ये कश्ती, लहरों में बह गई। ख्वाब जो संजोए थे, वो पल में बिखर गए, सफ़र का हिसाब करने स

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सौ बरस की आरज़ू, पल में ढह गई,
ज़िंदगी की ये कश्ती, लहरों में बह गई।

ख्वाब जो संजोए थे, वो पल में बिखर गए,
सफ़र का हिसाब करने से पहले ही गुज़र गए।

बरसों बरस का सामान किस काम आएगा,
जब मौत का फरिश्ता पल में बुलाएगा।

जिंदगी को समझने में उम्र गुजर गई,
और मौत ने आते ही कहानी बदल गई।

साजो-सामान क्या, ये तख़्तो-ताज क्या,
पल भर की है जिंदगी, फिर ये आज क्या।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
सौ बरस की आरज़ू, पल में ढह गई,
ज़िंदगी की ये कश्ती, लहरों में बह गई।
ख्वाब जो संजोए थे, वो पल में बिखर गए,
सफ़र का हिसाब करने स

Uttam Bajpai

हिंदी कॉमेडीचाचा की वाइफ का नाम क्या है

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