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DR. LAVKESH GANDHI
ईश्वर प्राप्ति के मार्ग गैरों की बातें बहुत की चलो आज खुद की बातें करते हैं चलो आज आत्मा की बातें खुद की अंतरात्मा से करते हैं प्रार्थना और शक्ति दोनों साथ-साथ प्राप्त करते हैं चलो आज ईश्वर को साक्षात देखते हैं ©DR. LAVKESH GANDHI # ईश्वर प्राप्ति के मार्ग # # आत्मा का आत्मा से वार्तालाप करते हैं#
# ईश्वर प्राप्ति के मार्ग # # आत्मा का आत्मा से वार्तालाप करते हैं#
read more3 Little Hearts
★ नयी बहू जब ससुराल में आई ★ एक नई नवेली दुल्हन जब ससुराल में आई तो उसकी सास बोली बींदणी कल माता के मन्दिर में चलना है। बहू ने पूछा सासु माँ, एक तो माँ जिसने मुझे जन्म दिया और एक आप हो और कौनसी माँ है? सास बहुत खुश हुई कि मेरी बहू तो बहुत सीधी है। सास ने कहा बेटा पास के मन्दिर में दुर्गा माता है सब औरतें जायेंगी, हम भी चलेंगे। सुबह होने पर दोनों एक साथ मन्दिर जाती है। आगे सास पीछे बहू। जैसे ही मन्दिर आया तो बहू ने मन्दिर में गाय की मूर्ति को देखकर कहा माँ जी देखो ये गाय का बछड़ा दूध पी रहा है, मैं बाल्टी लाती हूँ और दूध निकालते है। सास ने अपने सिर पर हाथ पीटा कि बहू तो पागल है और बोली बेटा ये स्टेच्यू है और ये दूध नही दे सकती। चलो आगे। मन्दिर में जैसे ही प्रवेश किया तो एक शेर की मूर्ति दिखाई दी फिर बहू ने कहा माँ आगे मत जाओ ये शेर खा जायेगा। सास को चिंता हुयी कि मेरे बेटे का तो भाग्य फूट गया और बोली बेटा पत्थर का शेर कैसे खायेगा? चलो अंदर चलो मन्दिर में, और सास बोली बेटा ये माता है और इनसे माँग लो, यह माता तुम्हारी माँग पूरी करेंगी। बहू ने कहा माँ ये तो पत्थर की है, ये क्या दे सकती है? जब पत्थर की गाय दूध नही दे सकती? पत्थर का बछड़ा दूध पी नही सकता? पत्थर का शेर खा नही सकता? तो ये पत्थर की मूर्ति क्या दे सकती है? अगर कोई दे सकती है तो आप है आप मुझे आशीर्वाद दीजिये। तभी सास की आँखे खुली! वो बहू पढ़ी लिखी थी, तार्किक थी, जागरूक थी, तर्क और विवेक के सहारे बहु ने सास को जाग्रत कर दिया! अगर ईश्वर की प्राप्ति करनी है तो पहले असहायों, जरूरतमंदों, गरीबों की सेवा करो परिवार, समाज में लोगों की मदद करें। मानव सेवा ही सर्वोच्च सेवा है। ©Vishnuuu X "कर्म ही पूजा है" प्रत्येक मनुष्य में आत्म स्वरुप ईश्वर स्वयं विराजित है। इनमे ही परमात्मा के दर्शन करें। बाकी मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे तो
"कर्म ही पूजा है" प्रत्येक मनुष्य में आत्म स्वरुप ईश्वर स्वयं विराजित है। इनमे ही परमात्मा के दर्शन करें। बाकी मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे तो #समाज
read moreRohit
Kabir das ji ke Dohe भावार्थ – इस संसार में गुरु ही ईश्वर प्राप्ति का एकमात्र सहारा है। इसलिए हमें जब ईश्वर और गुरु दोनों में से किसी एक क
Kabir das ji ke Dohe भावार्थ – इस संसार में गुरु ही ईश्वर प्राप्ति का एकमात्र सहारा है। इसलिए हमें जब ईश्वर और गुरु दोनों में से किसी एक क
read moreSugandh Mishra
मुक्ति की अभिलाषा - एक आत्मसंवाद Full poetry in caption आत्मसंवाद मृग भटके वन वन पर कस्तूरी ना पाए , एक सुगंध की चाह में , चन्हुओर दौड़ लगाए । १ हर आकांक्षा पूर्
Full poetry in caption आत्मसंवाद मृग भटके वन वन पर कस्तूरी ना पाए , एक सुगंध की चाह में , चन्हुओर दौड़ लगाए । १ हर आकांक्षा पूर् #Salvation #मुक्ति
read morePankaj Singh Chawla
🙏🌹धन धन साहिब श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी🌹🙏 🙏🌹दे पहले प्रकाश गुरूपुरब दिया लख-लख वधाईयां🌹🙏 🙏वाहेगुरु जी दा खालसा🙏 🙏वाहेगुरु जी दी फतेह🙏 History Source: Google आदिग्रन्थ सिख संप्रदाय का प्रमुख धर्मग्रन्थ है। इसे ' ग्रंथ साहिब' भी कहते हैं। इसका संपादन सिख धर्म के पांचवें गुरु
History Source: Google आदिग्रन्थ सिख संप्रदाय का प्रमुख धर्मग्रन्थ है। इसे ' ग्रंथ साहिब' भी कहते हैं। इसका संपादन सिख धर्म के पांचवें गुरु #Punjabi #yqbaba #yqdidi #yqbhaji #pchawla16 #yqpowrimo #गुरूपुरब
read moreEk villain
जड़ जगत की रचना के लिए ईश्वर की जो शक्ति काम करती है उसे प्राकृतिक कहते हैं और चैतन्य जगत की रचना करने वाले शक्ति को जीव कहते हैं जिस प्रकार दोनों हाथ एक ही शरीर के दो भाग हैं उसी प्रकार जी और प्राकृत दोनों ही ईश्वर तत्व के दो उनसे आध्यात्मिक तत्वों के जिज्ञासु ईश्वर की उपासना करते हैं असल में मैं अखिल आधार शक्ति का सतोगुण हमसे मानवीय उन्नति तो शत्रुघ्न को प्राप्त करने से ही हो सकती है तो तत्वों की प्राप्ति करने से ही हो सकती है इसलिए उनको छोड़ो की एक मानसिक प्रतिमा बनाकर उपासना करने का विधान किया गया ईश्वर का सत्व गुण आदर्श रूप से हमारे निकट ही वर्तमान है उसे अधिक मात्रा में प्रेम श्रद्धा विश्वास और ध्यान अभ्यास की आवश्यकता होती है और होगी भी उतना ही आकर्षित होगा अंदर बाहर लेना ही प्रेम श्रद्धा विश्वास और ध्यान की आवश्यकता होती है इन चारों के समवाय को पास में कहा जाता है उपासना की प्राप्ति प्रेम दया करुणा सहानुभूति उदारता त्याग समता और अन्याय आदि सद्गुणों का निष्ठावान जितना अधिक चिंतन किया जाता है उतनी अधिक उनके प्राप्ति होती है उन्नति का करम है हमसे सादगी और चल रहा है जिनसे जितना ही सद्गुण अपने में धारण कर लिया आध्यात्मिक दृष्टि से भी उतना ही उन्नति कहा जाएगा यदि एक भक्त सत्य तत्वों की उपासना करता है तो कोई कारण नहीं कि उस पर प्राप्त ना हो ईश्वर की उपासना का तात्पर्य उसके निर्देशक तत्व की आराधना है श्रद्धा विश्वास प्रेम जब तक ध्यान आदि से जीवन को ईश्वर ईश्वर तत्व में सरोवर मिलता है ©Ek villain #ईश्वर की प्राप्ति #VantinesDay
#ईश्वर की प्राप्ति #VantinesDay #Society
read moreMahadev Son
ईश्वर को जानना इतना भी मुश्किल न सोच बच्चे नादान शिद्दत की बस... कोमल निर्मल ह्रदय और कुछ न स्वाद जाने वही चखा जिसने... वैसे भी जूठन में क्या रखा..... वर्ना नास्तिक की फ़ौज न होती .. सनातन में ही खोज का माध्यम बस किताबी, विज्ञान, गुरु बखान... सब मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा पवित्र स्थान.... वर्ना ईश्वर के आगे ध्यान के लिये नेत्रों को बंद करने की क्या आवश्कता.... वशिष्ट बुद्ध नानक सूरदास बाल्मीकि... खोज के लिये एकांत की जरूरत न.... ©Mahadev Son ईश्वर को प्राप्ति का साधरण मंत्र.... 👍
ईश्वर को प्राप्ति का साधरण मंत्र.... 👍 #erotica
read moreEk villain
संसार में हर मनुष्य की इच्छा है कि उसे ईश्वर की प्राप्ति हो इस प्राप्ति का मार्ग केवल ज्ञान द्वारा जाना जा सकता है इसके लिए मनुष्य को पहले स्वयं के बारे में जानना जरुरी होता है प्रत्येक जीव प्रकृति के 5 महा भूतों अग्नि जल वायु पृथ्वी तथा आकाश से निर्मित है इसके साथ शरीर में पांच ज्ञानेंद्रियां आंख कान नाक जीव एवं 245 का मिंदर या हाथ पैर मुंह खुदा एवं लिंग और चार अंत करण मन बुद्धि चित्त एवं अहंकारी होती है इनके विषय होते हैं इच्छा दोएस सुख-दुख कामनाएं क्रोध मोह इत्यादि ©Ek villain #Missing #संसार में हर मनुष्य की इच्छा है कि ईश्वर की प्राप्ति हो
अद्वैतवेदान्तसमीक्षा
*हर प्रयत्न में सफलता न मिल पाए शायद* * लेकिन* *हर सफलता का कारण प्रयत्न ही होता है !!* प्रयत्न बिना प्राप्ति नहीं। प्रयत्न से ही प्रत्येक प्राप्ति
प्रयत्न बिना प्राप्ति नहीं। प्रयत्न से ही प्रत्येक प्राप्ति #विचार
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