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||स्वयं लेखन||
नक़ली दुनियां में असली चेहरा ढूंढ रहे हो? सुनो! तुम कोशिश बेकार कर रहे हो। ©Gunjan Rajput नक़ली दुनियां में असली चेहरा ढूंढ रहे हो? सुनो! तुम कोशिश बेकार कर रहे हो। #Life #Quote #thought #Poetry #Life_experience #Zindagi #poet
||स्वयं लेखन||
इस नक़ली दुनिया में अपनी वास्तविकता को बचाए रखना ही आपकी बहादुरी है। ©Gunjan Rajput इस नक़ली दुनिया में अपनी वास्तविकता को बचाए रखना ही आपकी बहादुरी है। #thought #life #trueoflife #poetry #poetrycommunity #lifeexperience #z
Abhishek 'रैबारि' Gairola
थोड़ा कुछ #2 कुछ टूटी फूटी जर्जर कविताओं, सतही साहित्य के महीम तख़्त नुमा पुलिया पर लड़खड़ाता डगमगाता हुआ जहाँ विचार भी उन हाथो की तरह हैं जो केवल संतुलन देने हेतु हैं न जाने कहाँ बढ़े जा रहा हूँ कुछ ख़बर, कुछ होश नहीं कोई है भी नही जो हमे कुछ बता पाए क्योंकि हमारे सलीके के नक़ली कलाकार कम ही हैं यहाँ जो अपनी कल्पनाओं, रचनाओं में खोते तो नहीं पर सो अवश्य जाते हैं जागते हैं तो आलकस की कलम से चार सुस्ताए बोल काग़ज़ पर ख़रोंच देते हैं जीवन ज़िम्मेदारियों से नज़र बचाते, छुपते, भगते शब्द हैं या उनका अभाव। ©Abhishek 'रैबारि' Gairola थोड़ा कुछ #2 कुछ टूटी फूटी जर्जर कविताओं, सतही साहित्य के महीम तख़्त नुमा पुलिया पर लड़खड़ाता डगमगाता हुआ जहाँ विचार भी उन हाथो की तरह हैं
||स्वयं लेखन||
नक़ली जिंदगी जी रहे लोग, असलियत से कोसों दूर हैं। ©Gunjan Rajput नक़ली जिंदगी जी रहे लोग, असलियत से कोसों दूर हैं। #poetry #poetrycommunity #thought #nojoto #quote #zindagi
R...Khañ
मैं क्या हूं यह मुझे ख़बर हैं, तुम हो क्या यह तुम्हें ख़बर हैं! 🪞 जो हैं यह बाहर हमारे वेह सारे के सारे ही हम में यहांँ नक़ल हैं! ©R...Khañ #नक़ल🪞Anwesha Rath Ramjan Ali अं_से_अंशुमान khubsurat kiran kee kalam se
Vedantika
कितना तंग करती थी तुम्हारी मश्ग़ले हमें उन दिनों, जिन दिनों हमने अपने दिल की किताब पढ़ना न सीखा था। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "मश्ग़ले" "mashGale" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है आदतें एवं अंग्रेजी में अर्थ होता
nvn ki dairy
लगा कर अपनी मुश्ग़ले, क्यूं मुझे नीलाम कर दिया 'इश्क़ ए रकीब बनाया तुमने, क्यूं मुझे बदनाम कर दिया। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "मश्ग़ले" "mashGale" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है आदतें एवं अंग्रेजी में अर्थ होता
CalmKazi
नींद (Full Poem in caption) //नींद// कहीं टूटी है, कहीं सिमटी है कुछ सादी है, कुछ खारी है वैसे हल्की है, जैसे भारी है।। यहीं ख़ालिस है, यहीं नक़ली है वही बाक़ी है,
Govind Meena
1990 का दूरदर्शन और हम *बचपन वाला वो रविवार अब नहीं आता* 1.सन्डे को सुबह-2 नहा-धो कर टीवी के सामने बैठ जाना और "रामायण" "महाभारत" और "कृष्णा" के वक्त पर सड़क का वीरान होना 2."रंगोली"में शुरू में पुराने फिर नए गानों का इंतज़ार करना 3."जंगल-बुक"देखने के लिए जिन दोस्तों के पास टीवी नहीं था उनका घर पर आना 4."चंद्रकांता"की कास्टिंग से ले कर अंत तक देखना 5.हर बार सस्पेंस बना कर छोड़ना चंद्रकांता में और हमारा अगले हफ्ते तक सोचना 6.शनिवार और रविवार की शाम को फिल्मों का इंतजार करना 7.किसी नेता के मरने पर कोई सीरियल ना आए तो उस नेता को और गालियाँ देना 8.सचिन के आउट होते ही टीवी बंद कर के खुद बैट-बॉल ले कर खेलने निकल जाना 9."मूक-बधिर"समाचार में टीवी एंकर के इशारों की नक़ल करना 10.कभी हवा से ऐन्टेना घूम जाये तो छत पर जा कर ठीक करना बचपन वाला वो 'रविवार' अब नहीं आता, दोस्त पर अब वो प्यार नहीं आता। जब वो कहता था तो निकल पड़ते थे बिना घडी देखे, अब घडी में वो समय वो वार नहीं आता। बचपन वाला वो 'रविवार' अब नहीं आता...।।। वो साईकिल अब भी मुझे बहुत याद आती है, जिसपे मैं उसके पीछे बैठ कर खुश हो जाया करता था। अब कार में भी वो आराम नहीं आता...।।। जीवन की राहों में कुछ ऐसी उलझी है गुथियाँ, उसके घर के सामने से गुजर कर भी मिलना नहीं हो पाता...।।। वो 'मोगली' वो 'अंकल Scrooz', 'ये जो है जिंदगी' 'सुरभि' 'रंगोली' और 'चित्रहार' अब नहीं आता...।।। रामायण, महाभारत, चाणक्य का वो चाव अब नहीं आता, बचपन वाला वो 'रविवार' अब नहीं आता...।।। वो एक रुपये किराए की साईकिल लेके, दोस्तों के साथ गलियों में रेस लगाना! अब हर वार 'सोमवार' है काम, ऑफिस, बॉस, बीवी, बच्चे; बस ये जिंदगी है। दोस्त से दिल की बात का इज़हार नहीं हो पाता। बचपन वाला वो 'रविवार' अब नहीं आता...।।। बचपन वाला वो 'रविवार' अब नहीं आता...।।। ©Govind Meena #1990 का दूरदर्शन और हम *बचपन वाला वो रविवार अब नहीं आता* 1.सन्डे को सुबह-2 नहा-धो कर टीवी के सामने बैठ जाना और "रामायण" "महाभारत" और "कृष
अम्बुज बाजपेई"शिवम्"
मुझे मुझसा ही रहने दे, तेरे रकीब की नक़ल नहीं हूं मैं। मुझे बना सके तो आज बना अपना, तेरा बीता हुआ कल नहीं हूं मैं। ये क्या लगा रखा है बार बार आना और जाना मेरी जिंदगी में, तेरे सारे पैंतरे समझता हूं पागल नहीं हूं मैं। ©अम्बुज बाजपेई"शिवम्" मुझे मुझसा ही रहने दे, तेरे रकीब की नक़ल नहीं हूं मैं। मुझे बना सके तो आज बना अपना, तेरा बीता हुआ कल नहीं हूं मैं। ये क्या लगा रखा है बार ब