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Ravendra
Anuradha T Gautam 6280
पति पर झूठे मुकदमे करने वाली औरतों का टांका 100% बाहर भिड़ा रहता है...90% तो अपने ही जीजू या रिश्तेदारों संग व्यस्त रहती है, शादी तो बस समाज को दिखाने के लिए और पति से धन ऐंठने के लिए ही करती हैं..!! ऐसी औरतें शादी करके सबसे पहले पति को इस बात के लिए राज़ी करती हैं कि मैं भी गृहस्थी में आपके साथ हाथ बटाउंगी और मैं भी कोई काम-काज करूंगी... ताकि उन्हें घर से बाहर निकलने का मौका मिले और वो अपने आशिकों से मिल-जुल सकें..!! कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि धन की भूखी लालची लड़कियां जहां काम करती हैं, वही अपने से बड़े कर्मचारी या अधिकारी पर ही डोरे डालने लगती हैं... जबकि वो अच्छी तरह जानती है कि वो भी शादीशुदा व्यक्ति हैं फिर भी...लगी रहती हैं उसको रिझाने में.. वो भी सिर्फ इसलिए ताकि तरक्की/प्रमोशन हो जाएं... मेरे पैसे बच जाएं और वो ही सारे मेरे शौक और ब्रांडेड कपड़े, मेकअप और घूमने फिरने का खर्च पूरे करें...!! अपने फायदे के लिए किसी के भी साथ हमबिस्तर हो जाने पर इन्हें कोई अफसोस नहीं होता है....!! बाकी गृहणियों की तरह इनकी सोच नही होती है क्योंकि इनको मर्यादा में रहना गंवार पन लगता है...!! संस्कारी गृहणियों को ये गुलाम समझती हैं..!! ......... ...... ......... ...... ......... ...... ..... ..... ..... लिव इन रिलेशनशिप में रखैल बनकर रह लेंगी मगर इज्जत से ससुराल में नही रह पाएंगी क्यों कि... ससुराल में मर्यादा से रहना पड़ता है और बड़े-बुजुर्गों की रोक-टोक एवं हिदायतें सुननी पड़ती हैं..!! नोट-यह पोस्ट प्रेमी की खातिर या जिद पूरी करवाने की खातिर पति को झूठे मुकदमे में फंसाने वाली औरतों को समर्पित है, कृपया यह ना कहे कि "सभी एक जैसी नहीं होती" जो हैं या ऐसा करती हैं, उन्हें ही कहा गया है👍बाकी सभी घरेलू, गृहकार्य में दक्ष महिलाएं ही परिवार चला सकती है और सदैव सम्मान पाती हैं..!! सभी संस्कारी माताओं और बहनों को सादर 🙏🌹 #Repost #हर_बेटी_मेरी ©Anuradha T Gautam 6280 पति पर झूठे मुकदमे करने वाली औरतों का टांका 100% बाहर भिड़ा रहता है...90% तो अपने ही जीजू या रिश्तेदारों संग व्यस्त रहती है, शादी तो बस समाज
N S Yadav GoldMine
अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर सुबह जल चढ़ाना चाहिए आइये विस्तार से जानिए !!🍋🍋 {Bolo Ji Radhey Radhey} वैशाख अमावस्या :- 🌿वैशाख का महीना हिन्दू वर्ष का दूसरा माह होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी माह से त्रेता युग का आरंभ हुआ था। इस वजह से वैशाख अमावस्या का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। दक्षिण भारत में वैशाख अमावस्या पर शनि जयंती मनाई जाती है। धर्म-कर्म, स्नान-दान और पितरों के तर्पण के लिये अमावस्या का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिये भी अमावस्या तिथि पर ज्योतिषीय उपाय किये जाते हैं. वैशाख अमावस्या व्रत और धार्मिक कर्म :- 🌿प्रत्येक अमावस्या पर पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए व्रत अवश्य रखना चाहिए। वैशाख अमावस्या पर किये जाने वाले धार्मिक कर्म इस प्रकार हैं. 🌿इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देकर बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें। 🌿पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण एवं उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें। 🌿वैशाख अमावस्या पर शनि जयंती भी मनाई जाती है, इसलिए शनि देव तिल, तेल और पुष्प आदि चढ़ाकर पूजन करनी चाहिए। 🌿अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर सुबह जल चढ़ाना चाहिए और संध्या के समय दीपक जलाना चाहिए। 🌿निर्धन व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन और यथाशक्ति वस्त्र और अन्न का दान करना चाहिए। पौराणिक कथा :- 🌿वैशाख अमावस्या के महत्व से जुड़ी एक कथा पौराणिक ग्रंथों में मिलती है। प्राचीन काल में धर्मवर्ण नाम के एक ब्राह्मण हुआ करते थे। वे बहुत ही धार्मिक और ऋषि-मुनियों का आदर करने वाले व्यक्ति थे। एक बार उन्होंने किसी महात्मा के मुख से सुना कि कलियुग में भगवान विष्णु के नाम स्मरण से ज्यादा पुण्य किसी भी कार्य में नहीं है। धर्मवर्ण ने इस बात को आत्मसात कर लिया और सांसारिक जीवन छोड़कर संन्यास लेकर भ्रमण करने लगा। एक दिन घूमते हुए वह पितृलोक पहुंचा। वहां धर्मवर्ण के पितर बहुत कष्ट में थे। पितरों ने उसे बताया कि उनकी ऐसी हालत तुम्हारे संन्यास के कारण हुई है। क्योंकि अब उनके लिये पिंडदान करने वाला कोई शेष नहीं है। यदि तुम वापस जाकर गृहस्थ जीवन की शुरुआत करो, संतान उत्पन्न करो तो हमें राहत मिल सकती है। साथ ही वैशाख अमावस्या के दिन विधि-विधान से पिंडदान करो। धर्मवर्ण ने उन्हें वचन दिया कि वह उनकी अपेक्षाओं को अवश्य पूर्ण करेगा। इसके बाद धर्मवर्ण ने संन्यासी जीवन छोड़कर पुनः सांसारिक जीवन को अपनाया और वैशाख अमावस्या पर विधि विधान से पिंडदान कर अपने पितरों को मुक्ति दिलाई। ©N S Yadav GoldMine #wholegrain अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर सुबह जल चढ़ाना चाहिए आइये विस्तार से जानिए !!🍋🍋 {Bolo Ji Radhey Radhey} वैशाख अमावस्या :- 🌿वैशा
healthy tips
Ravendra
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- जीवन रूपी रंगमंच को , देख रहा हूँ आज । कब क्या कैसा अभिनय होगा , छुपा अभी है राज ।। जीवन रूपी रंग मंच को..... किस किस के साथ चलूँ मैं , किसका छोडूँ साथ । कौन यहाँ अपनों सा मिलता , जिसका थामूँ हाथ ।। समझ न पाया अब तक देखो, कैसा आज समाज । जीवन रूपी रंग मंच को .... स्वार्थ-स्वार्थ ही भरा हृदय में , देखे ऐसे लोग । हम अपने है हम अपने है , कहें करें उपयोग ।। जिसका जितना मान किया था , वही बने अब खाज़ । जीवन रूपी रंग मंच को .... सोचा था मिलकर हम दोनो , नाचें गाये खूब । नही खबर थी कि गृहस्थी में , जायेंगे हम डूब ।। अब खोद कुआं हम पानी ले , यही बचा है काज । जीवन रूपी रंगमंच को .... जीवन रूपी रंगमंच को , देख रहा हूँ आज । कब क्या कैसा अभिनय होगा , छुपा अभी है राज ।। २८/२०/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- जीवन रूपी रंगमंच को , देख रहा हूँ आज । कब क्या कैसा अभिनय होगा , छुपा अभी है राज ।। जीवन रूपी रंग मंच को.....
Pratibha Dwivedi urf muskan
: *चेतावनी* चाहे कितनी भी बड़ी समस्या हो ज्यादा देर तक खिन्न होकर न रहें।मन हल्का करने के लिए घरवालों के होते हुए भी यदि कोई भरोसे मंद अपना न मिले, तो सब कुछ ऊपर वाले पर छोड़ दें लेकिन मन ही मन हलकान न हों, परेशान न हों नहीं तो नुकसान आपको ही होगा, क्योंकि अगर आपके अत्यधिक दुखी स्वभाव का असर आपके दिमाग पर हो गया तो आप अवसाद के शिकार हो सकते हैं और घरवालों ने वक्त पर ध्यान नहीं दिया तो समस्या अतिगंभीर हो जायेगी मतलब दिमाग फिर सकता है, पागल भी हो सकते हैं। *तो अपने स्वास्थ्य का ध्यान स्वयं रखें, बात बात पर गुस्सा करने वाले ज्यादा ध्यान रखे* जिनके जीवन साथी का मिजाज ऐसा अतिसंवेदनशील, है तो वे अपने जीवन साथी को गुस्सा नहीं दिलायें , अगर वो चिड़चिड़ाएँ या झल्लाएँ तो उनको समझें ना कि उन पर उल्टा तुनककर जवाब दें नहीं तो स्थिति गंभीर हो सकती है। या तो नौबत तलाक की आ सकती है या मानसिक बीमारी उनको घेर सकती है। *कुल मिलाकर दोनों में जो स्वस्थ हैं उसकी गृहस्थी चौपट हो सकती है। और जो दिमागी रूप से अस्वस्थ है उसकी जिंदगी चौपट हो सकती है।* *लेख का उद्देश्य यही है किसी भी हाल में स्वयं खुश रहें,और दूसरों को भी खुश रहने दें।* घर को घर बनायें कोर्ट कचहरी नहीं । घर के नियमों में लचीलापन रखें। छोटी-मोटी गलतियों को नजरंदाज करें। अपने और घरवालों के मानसिक स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें। और जो चालूगिरी कर रहा है या इमोशनली ब्लैकमेल कर रहा है, उसकी बातों का असर अपने ऊपर न होने दें। हो सके तो उसे समझदारी से एहसास करा दे कि दाल यहाँ गलने वाली नहीं है। लेकिन सही परिस्थिति समझे बिना दोषारोपण से बचें। तभी घर स्वर्ग बनेगा। 24 सितंबर 2023 ©Pratibha Dwivedi urf muskan #Chalachal #स्वस्थ #मानसिकता #जिंदगी #गृहस्थी #विचार #प्रतिभाउवाच #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कान© #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कानकीकलमसे #नोजोटो S
Ravendra
Ravendra