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Geeta khati
White मत काटो इन पेड़ों को मत लगाओ जंगलो में आग पेड़ों को तुम्हारी जरूरत नहीं तुम्हारी स्वासों को पेड़ों की जरूरत है। हाँ जी बहुत थक गये हो मोबाइल की बोर्ड पर अंगूठियां घिसकर। तुम्हारे ज्जबातो को कागज की जरूरत हैं। कब तक रहोगे ऐसी कुलर पंखा फ्रीज की आड़ में तुम्हें पेड़ों की हवा की जरूरत हैं। हाँ जी एक दिन बोर हो जाओगे कमरों में रहकर तुम्हारे नयनों को धारों नौलो पहाडो़ नदियों और जंगल और नदियों की जरूरत हैं। एक दिन उदास हो जाओगे कानों में हेड फोन लगाकर आपके कानों को पक्षियों के मधुर संगीत की जरूरत हैं। हाँ जी सब सुन लो अपने संरक्षण के लिए हम सभी को पर्यावरण संरक्षण की जरूरत है। ©Geeta khati पर्यावरण दिवस
पर्यावरण दिवस #Poetry
read morekoko_ki_shayri
White ना जाने अब वो सोच का ही क्या हुआ, जन्नत बनाने का ख़्वाब ही छुट गया! वृक्षों को लगाने का विचार बदल रहा हैं, इसीलिए पारा 50 के पार पहुँच रहा हैं!! ©koko_ki_shayri #पर्यावरण दिवस
Dr Wasim Raja
मेहनत परिश्रम करने वालों को मत समझो मजबूर हैं। ईमानदारी वफादारी खुद्दारी का दूसरा नाम मजदूर हैं।। देखो फिजा में श्रर्म से ही फूलों में खुशबू आई है। वो खाता अपने मेहनत पसीने की गाढ़ी कमाई है।। यहां परिश्रमी मजदूर सब आपस में भाई भाई है। ये दुनिया है मजदूरों की ,मानिए यही सच्चाई है।। उद्यमी के बल पर ही हर ओर हरियाली छाई है। 1 मई विश्व मजदूर दिवस की हार्दिक बधाई है।। ©Dr Wasim Raja मजदूर दिवस
मजदूर दिवस #कविता
read moreManojkumar Srivastava
White विशाल से विशाल पत्थर सैकड़ों साल पड़ा रहता है तो उसमें कोई गतिविधि और हलचल नहीं होती! वह हिल- डुल नहीं सकता और न कोई क्रिया कर सकता क्योंकि वह अचेतन है,निष्क्रिय है! दूसरी ओर चींटी सबसे छोटा जीव है फिर भी चल,फिर सकता है,आगे- पीछे चल सकता है! खा पी सकता है,सो सकता है और वह जो चाहे वह क्रिया कर सकता है क्योंकि वह चेतन है,सजीव है! मनुष्य के अलावा अन्य जीवों में चेतना का स्तर न्यून होता है! चेतना जितनी अधिक होगी सृजनशीलता,चिन्तनशीलता- मननशीलता उतनी अधिक होगी जिससे नये- नये विचार उत्पन्न होंगे! मनुष्यों में भी चेतना का स्तर समान नहीं होता! मैंने इंटरमीडिएट में तर्कशास्त्र पढ़ा है! इसमें मनुष्य और पशु में अन्तर बताया गया है! मनुष्य= पशुता+ विवेकशीलता (Human beings=Animality + Rationality) चिन्तन- मनन करनेवाले प्राणी को मनुष्य कहा गया है और जो चिन्तन- मनन में दक्ष होता है उसे मुनि कहते हैं! अत: मुनियों को चिन्तन- मनन से भागना नहीं चाहिए! किसी भी विषय पर निष्पक्ष होकर तार्किक रूप से विचार करना चाहिए किन्तु यह घोर आश्चर्य का विषय है हर वर्ग- अनपढ़,शिक्षित,उच्च शिक्षित,गरीब,धनी से चिन्तन- मनन की प्रवृत्ति लुप्त हो रही है! मुनि समाज में स्थिति सुखद नहीं है! किसी विषय पर चर्चा नहीं करना और किसी पुस्तक में जो भी लिखा गया है उसे ही अन्तिम मान लेना मानसिकता बन गयी है जो मुनि समाज के विकास में बाधक बन सकता है! जय जय जीव मुनि/ मुनिमती जी!🙏🌺🌻🌹🌷 सद्गुरु योगेश्वर शिव मुनि महाराज की जय! ©Manojkumar Srivastava #nightthoughts #योग का महत्त्व#
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बिहार दिवस की आप सबको हार्दिक शुभकामनाएं।। 22 मार्च बिहार दिवस ©@Manorama morya #बिहार दिवस
#बिहार दिवस
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