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surendrasingh shyam

#पहेली बुझाओ

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कोई बताए??
एक बच्चा
करता छूते ही, गीला कच्छा
surendra #पहेली बुझाओ

surendrasingh shyam

#पहेली बुझाओ

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कोई बताए??
न मेरी नानी, न तेरी नानी
कहती कविता, सुनाए कहानी
surendra #पहेली बुझाओ

Amit Sir KUMAR

#kuchlafz चिराग मत बुझाओ..... #शायरी

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saket agarwal

बुझने दो साहब

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"बूझने दो "
आज बुझने दो साहब 
बड़े अर्शे बाद खुद की कीमत समझ मे आयी है। बुझने दो साहब

@pushpa

प्यासे हैं लव इनकी प्यास बुझाओ ना.. @pushpa.. #Shayari

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होकर रूबरू मेरे सांसो में उतर जाओ ना..
 प्यासे  हैं लव मेरे इनकी प्यास बुझाओ ना..
@pushpa प्यासे हैं लव  इनकी प्यास बुझाओ ना..
@pushpa..

DALY DEAIRY...❤️

बुझने लगी हो आँखें तेरी...♥️

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बुझने लगी हो आँखें तेरी चाहे थमने लगे रफ़्तार
उखड़ने लगी हो साँसे तेरी दिल करता हो चित्कार
दोष विधाता को ना देना बस मन में रखना तुम अपने आस
विजयी बनता है वही, जिसके पास हो आत्मविश्वास. बुझने लगी हो आँखें तेरी...♥️

Ashish Singh

हाल चाल बुझने पर पडा जुर्माना #Quotes

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Writer L B Yadav

#City एक बुझाओ एक जलाओ ख़्वाब का क्या है #कविता

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एक बुझाओ एक जलाओ ख़्वाब का क्या है 
आँखों में रख कर सो जाओ ख़्वाब का क्या है 

पाँव-तले है रौंद के गुज़रो कुचल के देखो 
पीछे जाओ आगे आओ ख़्वाब का क्या है 

शेल्फ़ पे उल्टा कर के रख दो और बिसरा दो 
गुल-दानों में फूल सजाओ ख़्वाब का क्या है 

ख़्वाब का क्या है रात के नक़्श-ओ-निगार बनाओ 
रात के नक़्श-ओ-निगार बनाओ ख़्वाब का क्या है 

नींद मिली है गुड़ से मीठी शहद से शीरीं 
गाओ नाचो नाचो गाओ ख़्वाब का क्या है

ला-यानी है सब ला-यानी या'नी या'नी 
और कहानी लिख कर लाओ ख़्वाब का कया है 

एक कबाड़ी गलियों गलियों वाज लगाए 
राख ख़रीदो आग के भाव ख़्वाब का क्या है 

 दानियाल तरीर

©Writer L B Yadav #City एक बुझाओ एक जलाओ ख़्वाब का क्या है

dharm desai

आज अरमानो की आग बुझने मत देना #कविता

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अरमानो की आहूती देकर
 प्रयत्नों की ज्वालाओं को आज बुझने मत देना
सुलगते सफ़हो की धीमी महक से
 हर्फ़ों के साज़ छूटने मत देना
दर्द से नाता जोड़ते हुए दर्स से वादा टूटने मत देना
सिर उठा कर चलना या सर कटाकर मरना 
मगर सामने गलत के अपना सिर ज़ुकने मत देना
आंसुओ के सैलाब में 
अपने आप को बेवा बनके बहने मत देना
तमस के तालाब में उजालों की रोशनी बन 
अपने आप को रहने मत देना आज अरमानो की आग बुझने मत देना

KUNAL MAHESHWARI

नरम-ए-आग को बुझने मत देना #Shayari

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ज़िन्दगी जग मगा रही है, खौफनाक अँगारे बुझ रहे है
जैसे चाँद निकल रहा है और अंधेरे बुझ रहे है

आज के दौर में दरियादिली नेक बुझ रहे है 
जैसेे दीपक जल रहे है और सवेरे बुझ रहे है

किसी ने पूछा आंखों के दरिये में क्या-क्या बुझ रहा है
आंखों ने राज खोला, तस्वीरे मिट रही है, जवाब बुझ रहे है

कोई अंदर तो झांके मेरे, क्या क्या बुझ रहा है
ख्वाईश जल रही है, ख्वाब बुझ रहे है नरम-ए-आग को बुझने मत देना
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