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Poemaholic
मैं थार के बबूल सा हो गया हूँ ओस की बूंदों को मैं पत्तो से पी रहा हूँ ज़िंदा हूँ नही पर जी रहा हूँ एक अरसे बाद आये वो बौछारें शायद की क़यामत से कर रहा हूँ इंतेज़ार क़यामत का ©Poemaholic #थार #रेगिस्तान #बबूल #ओस #क़यामत
Sunil Kumar Maurya Bekhud
बंजर का इक बबूल हूं, करता न कोई प्यार पहना दिया है रब ने क्यों कांटों का मुझको हार कहते हैं लोग मुझको मैं किसी काम का नहीं जड़ से ही काट देते हैं ,देते हैं मुझको मार पत्थर पर भी उग जाता हूं ,पानी नहीं जहां मेरे गुलों से जाने क्यों आती नहीं बहार कोई पथिक ना बैठता डरता है छांव से सुनता नहीं है कोई भी दिल की मेरे पुकार हर कोई मेरी और है नफरत से देखता बेखुद ये देख दिल मेरा दुखता है बार-बार ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #बबूल #गज़ल #हिंदी #सुनील कुमार मौर्य बेखुद
Brijesh Maurya
बबूल सा है ये इश्क तेरा, मुझ जैसे बंजर में भी उगने लगा। बबूल सा है ये इश्क तेरा, मुझ जैसे बंजर में भी उगने लगा।
Aashi Prajapati
झरोखों से आंखें बांचती हैं राहें कि ये उपन्यास सरीखी हयात के मध्य से अन्त की ओर जाते हुए अंतिम बेला में हाथों के हाथ प्रेम का बोया अंकुर
Mahima Jain
किस्मत भी हम ही लिखते है। किसी दूसरे का कोई हाथ नहीं सब हम अपने कर्मों से ही कर पाते है।। सुप्रभात। जब बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से आए।। सच तो यही है मुक़द्दर हम बनाते हैं, कोई दूसरा नहीं। #मुक़द्दर #collab #yqdidi #YourQuoteAnd
Prasoon Pandey
प्रेम के प्रतीक हमेसा ठोस हों तो अच्छा है अमलतास गुलमोहर और सोनजुही अपेक्षाकृत कमजोर रूपक हैं प्रेम के प्रतीक वटवृक्ष जैसे सघन हों या फिर बबूल जैसे दुर्गम हों प्रेम जड़ होता है इसलिए प्रेम के सभी रूपांतरों की जड़े मजबूत होने चाहिए ~prasoon प्रेम के प्रतीक हमेसा ठोस हों तो अच्छा है अमलतास गुलमोहर और सोनजुही अपेक्षाकृत कमजोर रूपक हैं प्रेम के प्रतीक वटवृक्ष जैसे सघन हों या फिर