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Guri

बूढ़े हाथ #शायरी

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बूढ़े हाथों को देख कुछ तो याद 
आया होगा
तुमने  भी अपने मां  बाप को 
कभी तो रुलाया होगा
guri बूढ़े हाथ

Adv. saras shivanujaa

बूढ़े मां बाप #poem

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vinita chundawat

बूढ़े प्रेम पत्र!

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"धुंधलापन,
अनगिनत झुर्रियां, कुछ अस्पष्ट वाक्य 
और मंद अस्तित्व के साथ,
आज भी तंदुरुस्ती और पवित्र प्रेम अपने भीतर समेटे
अलमारी के एक कोने में धड़क रहा है बूढ़े प्रेम पत्रों का हृदय।
मुरझाए हुए खतों में आज भी महक रहा है माँ बाबा का 
अतुल्य विश्वास,सुगंधित इत्र बनकर!"

_mirror of words❤ बूढ़े प्रेम पत्र!

मोहित "बेख़बर"

## बूढ़े माॅं बाप ## शायरी ##

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Mohan Sardarshahari

बूढ़े शादी कर रहे #जानकारी

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हम उस दौर में जी रहे
जहां बूढ़े शादी कर रहे
और जवान प्रयोग कर रहे। 

कई लिव - इन अपना रहे
कई नाम फ्रेंडशिप दे रहे
ढूंढ रहे‌ हैं साथी ऐसा जहां
जिम्मेदारी का नाम ना रहे। 

गर बात आगे बढ़ भी गई
कई हवा में प्रपोज कर रहे
हवा‌‌ पल में रूख बदलती है
ऐसे ही प्रपोजल हवा हवाई हुए।। 

गर बात हल्दी रस्म पहुंची
हल्दी उबटन में नहा रहे
उबटन‌ की गर्मी में ही
कई ‌प्रपोजल खाक हुए।। 

कई  देहरी पहुंच गये
साथ रिश्तेदार ना गये
बिना जड़ों को गहराई के
रिश्ते जल्दी उखड़ गये ।। 

हनीमून की ललक में
देवी पूजन भूल गये
बिन बेटी के तोरण के
घर अब पवित्र ना रहे।। 

बिना संस्कारों के ये प्रपंच देख
बूढ़े- बूढ़ी के मन भी डोल गये
अपने‌ लिए वो भी अब
बुढ़ापे का आलम सुनाने को
खुद जैसा ही  कोई
पुराना बरगद ढूंढ रहे।। 

हम उस दौर में जी रहे ...

©Mohan Sardarshahari बूढ़े शादी कर रहे

kumaarkikalamse

सेवा की भावना रखना, और सेवा करना बात अलग है,
घर के बूढ़े सदस्यों को भी, बच्चा ही समझना चाहिए!!  #kumaarsthought #समझनाचाहिए #बूढ़े #सेवा

Bagheswar Ki Vani

बच्चे बूढ़े सब देखो #Motivational

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Priyambada Singh

बूढ़े कंधे कि बड़ी जिममेदारी #कहानी

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बहुत सारी जिम्मेदारिया उठाई हैं ,इस बूढी कंधों ने
शायद इसे अब आराम की जरूरत है, लेकिन जिम्मेदारी  भी कुछ ऐसी होती हैं, जो शायद जिम्मेदारी की जगह मजबूरी का नाम ले लेती हैं ,
अब बस इस मजबूरी को खत्म करना है , इन बूढी आंखों पर लगे चश्में के शीशे भी कभी धुंधला जाते हैं , लेकिन उन्ही मजबूरियों की वजह से ये उसे बदलते नहीं बस ये सोच कर रह जाते हैं कि अच्छा घर की इस जरूरत को पूरा करने के बाद जरूर बदल दूंगा , लेकिन जिम्मेदारी तो कभी खत्म ही नहीं हुई  और ना ही उन बूढ़ी आंखो पर लगे चश्मे के शीशे बदले गए. बूढ़े कंधे कि बड़ी जिममेदारी

Raone

तुम अब बूढ़े हो गये #कविता

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ये सिकुड़ती चमड़ियाँ ये झुर्रियाँ कह रहीं 

तुम बूढ़े हो गये

तुम खुशियों की उम्मीद न लगाओ

तुम अब अकेले हो गये

क्यूँ कि तुम्हारे औलाद अब 

बड़े हो गये 

तुम्हारे बिछे बिस्तर अब बिगड़ेंगे नहीं

क्यूँ कि तुम्हारे बच्चे अब

बच्चे नहीं रह गये

कपड़े गिरे, छितराये, फ़ेंके नहीं मिलेंगे 

घर में किलकारियां, कोलाहल भी नहीं होंगे

खाने, पहनने की कोई फरमाइशी भी नहीं होगी

क्यूँ कि तुम्हारे बच्चे अब

बड़े हो गये 

तुम बूढ़े हो गये

चलो अब मान भी लो

तुम अब अकेले हो गये ।।

राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी तुम अब बूढ़े हो गये

दिनेश कुशभुवनपुरी

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